'नरक में सड़ेगा आतंकी', फारूक अब्दुल्ला ने आतंकवादियों को तमाचा मारने के लिए पर्यटकों से की अपील; भुट्टो पर क्या बोले पूर्व CM
पहलगाम आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने आतंकियों के मुंह पर तमाचा मारने के लिए पर्यटकों से भारी संख्या में वादियों का दीदार करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पर्यटकों की आमद ही दहशतगर्दों के मुंह पर तमाचा होगी। साथ ही उन्होंने कहा कि सिंधु जल समझौता पर फिर से विचार करने की जरूरत है।

पीटीआई, श्रीनगर। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सुप्रीमो फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को पर्यटकों से अपील करते हुए कहा कि आप बेखौफ होकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लें। उन्होंने कहा कि अगर आप वादियों का दीदार करने आते हैं तो यह आतंकवादियों के मुंह पर तमाचा होगा।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों से प्रगति और समृद्धि के लिए पहलगाम जैसे हमलों के अपराधियों के खिलाफ खड़े होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि 22 अप्रैल के नरसंहार के पीछे जो लोग हैं, उन्हें 'नरक में सड़ना होगा'।
वे शनिवार को आतंकी हमले में मारे गए आदिल हुसैन शाह के घर पहुंचे। उन्होंने कहा कि आदिल ने अपनी जान की कुर्बानी दी है। उन्होंने 'इंसानियत' की मिसाल कायम की है, यही कश्मीरियत है।
पीएम लेंगे निर्णय- फारूक अब्दुल्ला
पूर्व सीएम ने कहा कि हमें आतंकवादियों से लड़ना है और हिम्मत से लड़ना है। हम जब तक उनसे नहीं लड़ेंगे, हम कभी खुश और समृद्ध नहीं हो सकते। इसलिए, हमें हिम्मत रखनी चाहिए। हालांकि, इस दौरान फारूक अब्दुल्ला ने आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत की कार्रवाई पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री ऐसा निर्णय लेंगे। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो-जरदारी की धमकी भरी टिप्पणियों पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि भुट्टो गीदड़ भभकी दे रहा है।
'नदी हमारी फिर भी जम्मू में पानी की कमी'
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सिंधु जल समझौता पर फिर से विचार करने की जरूरत है। हम इसके कारण नुकसान उठा रहे हैं। नदियां हमारी हैं, लेकिन हम पीड़ित हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि पानी रोका जाए, लेकिन इस पर हमारा भी अधिकार है।
उन्होंने कहा कि जम्मू में पानी की कमी है और संधि के कारण चेनाब नदी का पानी क्षेत्र के निवासियों के लिए नहीं मोड़ा जा सकता। हमने चेनाब नदी का पानी उन तक मोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन विश्व बैंक ने यह कहते हुए हमारी मदद नहीं की कि यह सिंधु जल संधि के अंतर्गत आता है।
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