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    श्रीनगर एसकेआइएमएस में फर्जी डाक्टर बन सालों वेतन पाता रहा ठग, क्राइम ब्रांच ने किया भंडाफोड़

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 04:15 PM (IST)

    फर्जी डॉक्टर नुमान फारूक वानी न सिर्फ फर्जी मेडिकल पंजीकरण प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी खजाने से सालों से वेतन ले रहा है। बल्कि उसके द्वारा दिखाई गई एमसीआई और राज्य चिकित्सा परिषद से एमबीबीएस एमडी प्रमाण पत्र और पंजीकरण प्रमाण पत्र भी फर्जी हैं। इन्हीं सबूतों के आधार पर आरोप पत्र दायर किया गया है।

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    श्रीनगर के बेमिना में स्थित शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेस।

    श्रीनगर, डिजिटल डेस्क। क्राइम ब्रांच कश्मीर की आर्थिक अपराध शाखा ने एक ऐसे फर्जी डाक्टर को गिरफ्तार किया है, जिसने कभी एमबीबीएस यानी डॉक्टरी की कभी पढ़ाई ही नहीं की। इसके बाद भी खुद को डॉक्टर बताकर वो घाटी के प्रसिद्ध एसकेआईएमएस मेडिकल कॉलेज बेमिना में सालों से न सिर्फ नौकरी कर रहा था बल्कि सरकारी खजाने से अच्छा-खासा वेतन भी पा रहा था।

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    फिलहाल अब इस ठग और फर्जी डॉक्टर नुमान फारूक वानी पुत्र स्वर्गीय फारूक अहमद वानी निवासी अबू बकर लेन उमराबाद जैनाकोट श्रीनगर को क्राइम ब्रांच कश्मीर ने गिरफ्तार कर उसके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है। प्रवक्ता ने एक बयान में बताया कि आर्थिक अपराध शाखा श्रीनगर (क्राइम ब्रांच कश्मीर) ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीनगर के माननीय न्यायालय के समक्ष मामले से संबंधित सभी सबूत पेश कर दिए हैं। फर्जी डाक्टर नुमान ने एसकेआईएमएस बेमिना, श्रीनगर में नियुक्ति के समय फर्जी एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) पंजीकरण प्रमाण पत्र और अन्य चिकित्सा दस्तावेज जमा कराए थे। इन्हीं सबूतों के आधार पर आरोप पत्र दायर किया गया है।

    आर्थिक अपराध शाखा श्रीनगर (क्राइम ब्रांच कश्मीर) ने मामले की पूरी जानकारी देते हुए बताया कि उन्हाेंने यह जांच एक शिकायत के आधार पर की। शिकायत में यह आरोप लगाया गया था कि नुमान फारूक वानी नामक एक फर्जी डॉक्टर दिसंबर 2016 से एसकेआईएमएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बेमिना श्रीनगर में काम कर रहा है। वह न सिर्फ फर्जी मेडिकल पंजीकरण प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी खजाने से सालों से वेतन ले रहा है। बल्कि उसके द्वारा दिखाई गई एमसीआई और राज्य चिकित्सा परिषद से एमबीबीएस, एमडी प्रमाण पत्र और पंजीकरण प्रमाण पत्र भी फर्जी हैं।

    इस शिकायत के प्राप्त होने पर आर्थिक अपराध शाखा श्रीनगर (सीबीके) में मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई। जैसे-जैसे मामले की जांच आगे बढ़ी सभी आरोप सच साबित होेते गए। तत्काल मामले की चार्ज-रिपोर्ट (चालान) बनाकर न्यायिक निर्धारण के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, श्रीनगर की माननीय अदालत में पेश की गई है। अब अदालत के फैसले का इंतजार है। 

    वहीं यह मामला आसपास के क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है कि किस तरह से एक फर्जी डाक्टर इतने सालों तक न सिर्फ सरकार को चूना लगाता रहा बल्कि लोगों की जान के लिए खतरा बना रहा। लोगों का यह भी कहना है कि अगर आरोपित डाक्टर था ही नहीं तो वे इतने सालों तक अस्पताल प्रबंधन से बचा कैसे रहा। उन्हें तो शुरूआत में ही इस पर शोक हो जाना चाहिए था।