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    जम्मू-कश्मीर आर्थिक अपराध शाखा की कार्रवाई, पूर्व एसआई को जन्म रिकॉर्ड में हेराफेरी करने के आरोप में 6 साल की सजा

    By Digital Desk Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Mon, 10 Nov 2025 01:12 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में आर्थिक अपराध शाखा ने पूर्व सब-इंस्पेक्टर को जन्म रिकॉर्ड में हेराफेरी करने के आरोप में 6 साल की सजा सुनाई है। आरोपी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रिकॉर्ड में बदलाव किया था। अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सजा सुनाई, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़ा संदेश है।

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    पूर्व सब इंस्पेक्टर जगदीश सिंह की ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। 

    डिजिटल डेस्क, जागरण, श्रीनगर। कश्मीर अपराध शाखा की आर्थिक अपराध शाखा ने पुलिस के पूर्व सब इंस्पेक्टर जगदीश सिंह पुत्र करतार सिंह निवासी अनिता, बडगाम को रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) की धारा 420, 468, 471 और 201 के तहत दर्ज एफआईआर संख्या 32/2013 के संबंध में दोषी ठहराया है। 

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    यह मामला पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) जम्मू-कश्मीर से प्राप्त एक पत्र से सामने आया। पत्र में बताया गया था कि आरोपी ने अपनी सेवाकाल को अवैध रूप से दो वर्ष बढ़ाने के लिए आधिकारिक रिकॉर्ड में अपने जन्म वर्ष को 1957 से 1959 में बदल दिया था। 

    जांच से पता चला कि सिंह ने अनुचित सेवा लाभ प्राप्त करने के लिए अपने चरित्र प्रमाणपत्र और मैट्रिकुलेशन प्रमाणपत्र सहित अपने सेवा दस्तावेजों में अपनी जन्मतिथि को धोखाधड़ी से 10 नवंबर, 1959 में बदल दिया था। 

    मुकदमे के दौरान आर्थिक अपराध शाखा ने सिंह के अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त गवाह और ठोस दस्तावेज साक्ष्य प्रस्तुत किए। गहन जांच के बाद माननीय नगर न्यायाधीश श्रीनगर की अदालत ने आरोपी को धारा 420, 511 और 468 आरपीसी के तहत दोषी पाया। 

    अदालत ने उसे धारा 420 सहपठित 511 आरपीसी के तहत तीन साल के साधारण कारावास और 5,000 के जुर्माने की सजा सुनाई। इसके अलावा धारा 468 आरपीसी के तहत अतिरिक्त तीन साल के साधारण कारावास और 5,000 जुर्माने की सजा भी शामिल की। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में आरोपी को छह महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। ये सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। 

    आर्थिक अपराध शाखा ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई कि धोखाधड़ी, जालसाजी या भ्रष्टाचार के किसी भी कृत्य की, चाहे वह किसी भी पद का हो, पूरी तरह से जांच की जाए और कानून के अनुसार मुकदमा चलाया जाए।