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    छह वर्षों का इंतजार खत्म, जम्मू-कश्मीर लोकतंत्र के उत्सव को तैयार; राज्य का दर्जा और आतंकवाद का समूल नाश बड़ा मुद्दा

    Updated: Sat, 17 Aug 2024 07:22 AM (IST)

    अनुच्छेद-370 हटने के बाद अस्तित्व में आए केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव होगा। इससे पहले 2014 में जब अंतिम बार विधानसभा चुनाव हुआ था तो जम्मू-कश्मीर राज्य था और लद्दाख भी इसका भाग था। तब पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार बनी थी जो जून 2018 में भंग हो गई। इसके बाद से जम्मू-कश्मीर में कोई निर्वाचित सरकार नहीं है।

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    अनुच्छेद-370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव

     नवीन नवाज, जागरण, श्रीनगर। राजनीति में आए खालीपन का छह वर्षों का इंतजार खत्म हुआ..। जम्मू-कश्मीर लोकतंत्र का उत्सव मनाने के लिए तैयार हो चुका है। चुनाव आयोग ने तीन चरणों में विधानसभा चुनाव की घोषणा कर बता दिया कि जम्मू-कश्मीर अब बदल चुका है। इससे पहले सुरक्षा कारणों से पांच से छह चरणों में चुनाव होते रहे हैं।

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    सात अक्टूबर तक केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में पहली निर्वाचित सरकार सत्ता संभाल लेगी और पहली बार अपनी विधानसभा भी होगी। इस बार विधानसभा चुनाव में राज्य का दर्जा और आतंकवाद का समूल नाश बड़ा मुद्दा होगा। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव करवाने को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर लगातार सवाल उठा रहे कश्मीर केंद्रित राजनीति दल भी घोषणा के बाद अब अपनी तैयारी व रणनीति बनाने में जुट गए हैं।

    जम्मू-कश्मीर का आम मतदाता बेहद उत्साहित

    वहीं, लोकसभा चुनाव में रिकार्ड मतदान कर पहले ही लोकतंत्र में अपनी पूर्ण आस्था जता चुका जम्मू-कश्मीर का आम मतदाता बेहद उत्साहित है। वर्ष 2014 के बाद जम्मू-कश्मीर में हो रहे विधानसभा चुनाव में न सिर्फ निर्वाचन क्षेत्रों का भूगोल बदला है बल्कि राजनीतिक-सामाजिक समीकरण भी बदल चुके हैं।

    जम्मू-कश्मीर में कोई निर्वाचित सरकार नहीं

    अनुच्छेद-370 हटने के बाद अस्तित्व में आए केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव होगा। इससे पहले 2014 में जब अंतिम बार विधानसभा चुनाव हुआ था तो जम्मू-कश्मीर राज्य था और लद्दाख भी इसका भाग था। तब पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार बनी थी, जो जून 2018 में भंग हो गई। इसके बाद से जम्मू-कश्मीर में कोई निर्वाचित सरकार नहीं है।

    कितनी सीटों पर होगा चुनाव

    बता दें कि प्रदेश में 114 में से सिर्फ 90 सीटों पर मतदान होगा। शेष 24 सीटें गुलाम जम्मू-कश्मीर की हैं, जो खाली रखी जाती हैं। उन पर कोई चुनाव नहीं होता। पांच सीट नामांकन कोटे की हैं। इनमें दो विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के लिए, एक गुलाम जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों के लिए और दो महिला सदस्यों की सीट हैं, जिन्हें उपराज्यपाल की ओर से नामांकित किया जाएगा।

    ये मुद्दे छाए रहेंगे

    चुनाव में नेशनल कान्फ्रेंस, पीडीपी, भाजपा, कांग्रेस समेत लगभग सभी दलों के मुद्दे पिछले चुनाव से अलग होंगे। नेकां ग्रेटर आटोनामी, पीडीपी सेल्फ रूल जैसा मुद्दा नहीं उठाएगी। दोनों दल पांच अगस्त, 2019 से पहले की संवैधानिक स्थिति की बहाली, जम्मू-कश्मीर के प्राकृतिक संसाधनों और नौकरियों पर यहां के लोगों का पहला हक और सुरक्षा को एजेंडा बनाने की तैयारी में हैं। भाजपा एक ईमानदार और कर्मठ सरकार के नारे के साथ आगे बढ़ेगी। कांग्रेस भी जम्मू-कश्मीर के हितों की रक्षा का दावा करेगी। इस चुनाव में पूर्ण राज्य के दर्जे का मुद्दा सभी राजनीतिक दलों के एजेंडे में होगा। आतंकवाद के समूल नाश की गूंज भी सुनाई देगी।

    उमर व महबूबा नहीं लड़ेंगे चुनाव

    नेकां उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले ही इन्कार कर रखा है। अलबत्ता, दोनों अपने दलों की चुनाव प्रचार की कमान संभालेंगे। महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ्ती चुनाव में अपनी राजनीतिक पारी शुरू कर सकती हैं।

    उमर अब्दुल्ला ने कही ये बात

    जम्मू-कश्मीर में यह चुनाव 1987-88 के चुनावों के बाद इतनी संक्षिप्त समय सीमा के भीतर आयोजित होने वाला पहला चुनाव हो सकता है। यह स्पष्ट रूप से राजनीतिक दलों के लिए एक नया प्रयोग होगा। मगर जहां तक हमारी पार्टी का सवाल है, नेशनल कान्फ्रेंस इस दिन के लिए तैयार थी और जल्द ही चुनाव प्रचार शुरू करेगी। - उमर अब्दुल्ला, उपाध्यक्ष, नेकां

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