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    'डॉ. नबी और मुजम्मिल ने 6 महीने...', व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल में पकड़ा गया मौलवी ने खोला ऐसा राज सुनकर हो जाएंगे हैरान

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 07:08 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ मिलकर जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद के एक आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। इस अभियान में आठ लोग गिरफ्तार हुए हैं और 2900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किया गया है। यह कार्रवाई श्रीनगर में धमकी भरे पोस्टर लगने के बाद शुरू हुई, जिसके बाद सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तारियां हुईं।

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    व्हाइट कॉलर आतंकी मॉड्यूल में पकड़ा गया मौलवी ने खोला गजब का राज। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। सफेदपोश आतंकी मॉडयूल में पकड़े गए हरियाणा के एक मौलवी से पूछताछ के दौरान एक ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई जिसने पूछताछ केंद्र में गंभीरता भरे माहौल को हल्का कर दिया। पूछताछ के दौरान मौलवी को यह चिंता सताती रही कि जो डाक्टर हिरासत में लिए गए हैं, उन्होंने उनका किराया नहीं दिया है।

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    हरियाणा के एक मौलवी की नज़र गिरफ्तार डाक्टरों से बकाया किराए पर रही। हरियाणा के मेवात के मौलवी इश्तियाक को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरीदाबाद के अल फलाह विश्वविद्यालय के बाहर स्थित उनके किराए के घर से 2500 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री जिसमें अमोनियम नाइट्रेट, पोटेशियम क्लोरेट और सल्फर शामिल है, बरामद होने के बाद हिरासत में लिया है। यह विश्वविद्यालय आतंकी माड्यूल का केंद्र बनकर उभरा है।

    विश्वविद्यालय से गिरफ्तार किए गए सफेदपोश आतंकी माड्यूल के एक प्रमुख सदस्य डा. मुज़म्मिल गनई से पूछताछ के दौरान उनका नाम सामने आया। उनकी निशानदेही पर पुलिस टीम ने मौलवी के आवास से विस्फोटक बरामद किए।

    श्रीनगर पुलिस द्वारा गहन जांच के बाद 10 नवंबर को इस सफेदपोश माड्यूल का भंडाफोड़ हुआ और तीन डाक्टरों समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया। लेकिन एक डा. उमर-उन-नबी चकमा देकर भागने में कामयाब रहा और विस्फोटकों से लदी कार चला रहा था जिसने 10 नवंबर को लाल किले के बाहर विस्फोट किया जिसमें 15 लोग मारे गए।

    अधिकारियों के अनुसार मौलवी इश्तियाक ने पूछताछकर्ताओं को एक अलग ही कहानी सुनाई। उसने दावा किया कि गनई और उमर ने इस साल की शुरुआत में उससे संपर्क किया था और उससे अपने घर पर उर्वरक नामक सामान रखने को कहा था और कथित तौर पर 2500 रुपये प्रति माह भंडारण शुल्क पर सहमति जताई थी।

    मौलवी इश्तियाक को स्थिति की गंभीरता की कोई चिंता नहीं थी बल्कि उसकी चिंता गनई और उमर द्वारा पिछले छह महीनों से बकाया किराए को लेकर थी।गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने और अपने चार बच्चों व परिवार का भरण-पोषण करने के लिए संघर्ष कर रहे इस मौलवी ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी, श्रीनगर पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अन्य अधिकारियों से गनई से बकाया किराया वसूलने को कहा ताकि वह पैसे घर भेज सके।

     

    एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह घटना बड़ी आतंकी साजिशों के केंद्र में उलझे लोगों की जिंदगियों पर एक विचित्र और दुखद हास्यपूर्ण नज़र डालती है। अधिकारियों ने बताया कि पूछताछ के दौरान गनई ने उसकी कहानी की पुष्टि की और मौलवी इश्तियाक को आगे की कार्रवाई के लिए राज्य जांच एजेंसी को सौंप दिया गया है।12 नवंबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस और हरियाणा पुलिस द्वारा कई छापों के बाद इस मौलवी को हिरासत में लिया गया था।

    10 नवंबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ मिलकर प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद के एक सफेदपोश आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश करने के लिए एक अभियान चलाया और आठ लोगों को गिरफ्तार किया।जांच के दौरान अल फलाह विश्वविद्यालय पहुंचा जहां 2900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किया गया।

    यह सब 18-19 अक्टूबर की रात को शुरू हुआ जब प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर श्रीनगर शहर के बाहर दीवारों पर दिखाई दिए। पोस्टरों में घाटी में पुलिस और सुरक्षा बलों पर हमले की चेतावनी दी गई थी।सीसीटीवी फुटेज में पोस्टर चिपकाते हुए दिखाई देने के बाद तीन लोगों आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर उल अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद को गिरफ्तार कर लिया गया।

    पूछताछ के दौरान उन्होंने पूर्व पैरामेडिक से धर्मोपदेशक बने मौलवी इरफान का नाम लिया जिसने पोस्टर मुहैया कराए थे। उसे गिरफ्तार कर लिया गया।यही वह सूत्र था जिससे साजिश का पर्दाफाश हुआ। गनई और डा. शाहीन सईद को फरीदाबाद से पकड़ा गया। बाद में अदील राथर को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से पकड़ा गया।