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    'घुटने पर था पाकिस्तान, सेनाओं को 2-3 दिन और मिलते तो...'; JK के पूर्व DGP बोले- ट्रंप की मध्यस्थता स्वीकार नहीं

    Updated: Sun, 11 May 2025 09:31 PM (IST)

    भारत-पाकिस्तान के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता को लेकर पूर्व पुलिस महानिदेशक वैद ने भारत-पाकिस्तान गतिरोध पर भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक भारतीय होने के नाते मुझे लगता है कि हमारे सशस्त्र बलों को पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए 2-3 दिनों की जरूरत थी। वे पहले ही घुटनों पर थे।

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    जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपी वैद।

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने की पेशकश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपी वैद ने कहा कि भारत की दीर्घकालिक नीति, शिमला समझौते के अनुरूप, किसी भी तीसरे पक्ष की भागीदारी को अस्वीकार करती है।

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    उन्होंने जोर देकर कहा कि कश्मीर विवाद एक द्विपक्षीय मुद्दा है जिसे भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।

    'आपस में सुलाझा लेंगे'

    पूर्व पुलिस महानिदेशक वैद ने भारत-पाकिस्तान गतिरोध पर भारतीय सशस्त्र बलों की ताकत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक भारतीय होने के नाते मुझे लगता है कि हमारे सशस्त्र बलों को पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए 2-3 दिनों की जरूरत थी।

    वे पहले ही घुटनों पर थे। वैद ने कहा कि जहां तक कश्मीर मुद्दा है, भारत की घोषित नीति है कि हम किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है, यह दो देशों के बीच एक विवाद है और वे इसे आपस में बात करके सुलझाएंगे।

    उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान की सेना की नीति जिहाद के लिए लड़ने की है, तब तक कोई गारंटी नहीं है कि पुलवामा या पहलगाम जैसी घटनाएं फिर नहीं होंगी। अगर फिर ऐसा हुआ तो भारत फिर से पाकिस्तान पर हमला करेगा।

    गजवा-ए-हिंद के लिए करेगा आतंकवाद का उपयोग

    उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि कई तथ्य हैं जिनसे भारतीय नेतृत्व अवगत है, इस बात पर जोर देते हुए कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक देश के हितों का संतुलन बनाना शामिल है और अहंकार के आधार पर काम नहीं करना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि मेरी व्यक्तिगत राय है कि जब तक पाकिस्तान की सेना की नीति जिहाद के लिए लड़ने की है, तब तक वे एक सामान्य सेना या इस्लामिक सेना नहीं हैं। यह गजवा-ए-हिंद के लिए आतंकवाद का उपयोग करेग।