Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्ली बम विस्फोट में बड़ा खुलासा: 2019 से शुरू हुआ कट्टरपंथ, सोशल मीडिया पर राडिकलाइजेशन, टेलीग्राम पर प्लानिंग

    By Rohit Jandiyal Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Mon, 24 Nov 2025 11:46 AM (IST)

    दिल्ली बम विस्फोट की जांच में सामने आया कि कट्टरपंथ की शुरुआत 2019 में हुई। सोशल मीडिया, विशेषकर टेलीग्राम, का उपयोग राडिकलाइजेशन और प्लानिंग के लिए किया गया। जांच एजेंसियों के अनुसार, कुछ लोग सोशल मीडिया के माध्यम से कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित हुए और टेलीग्राम पर हमले की योजना बनाई।

    Hero Image

    पूरे आतंकी माड्यूल का पर्दाफ़ाश हो गया है।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। लाल किला क्षेत्र में हुए बम विस्फोट के साथ सामने आए सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल में शामिल डॉक्टरों का कट्टरपंथीकरण 2019 की शुरुआत में ही सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शुरू हो गया था।

    अब तक की जांच से सीमा पार आतंकी रणनीति में एक चिंताजनक बदलाव का संकेत मिला है जहां उच्च शिक्षित पेशेवरों को पाकिस्तान और दुनिया के अन्य हिस्सों से संचालित आकाओं द्वारा पूरी तरह से डिजिटल माध्यमों से तैयार किया गया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अधिकारियों का कहना है कि आतंकी सेल के सदस्यों जिनमें डा. मुज़म्मिल गनई, डा. अदील राथर, डा. मुज़फ़्फ़र राथर और डा. उमर उन नबी शामिल थे जिन्होंने 10 नवंबर को विस्फोटकों से लदी कार चलाई थी, उनको शुरुआत में सीमा पार के आकाओं ने फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म और एक्स जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था, पर चर्चा के दौरान देखा था।

    लाल किला हमले के आरोपी गनई, अदील, मुजफ्फर और उमर की कहानी

    उन्होंने बताया कि उन्हें तुरंत टेलीग्राम के निजी ग्रुपों में स्थानांतरित कर दिया गया और यहीं से ब्रेनवाशिंग शुरू हुई। गनई और अदील अब लाल किला विस्फोट की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी की हिरासत में हैं जबकि मुज़फ़्फ़र इस साल अगस्त में अफ़ग़ानिस्तान भाग गया था और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिससे पूरे आतंकी माड्यूल का पर्दाफ़ाश हो गया है।

    उन्होंने आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस बनाने का तरीका सीखने के लिए यूट्यूब का भी खूब इस्तेमाल किया। पूछताछ के दौरान विश्लेषण किए गए डिजिटल फुटप्रिंट्स से उनके मुख्य संचालकों की पहचान उकासा, फैज़ान और हाशमी के रूप में हुई।

    हमले में जैश-ए-मोहम्मद का हाथ, 6 आरोपी गिरफ्तार

    अधिकारियों ने बताया कि तीनों भारत के बाहर से अपनी गतिविधियां संचालित कर रहे थे और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी नेटवर्क से जुड़ी जानकारियों में अक्सर उनके नाम सामने आते हैं।उन्होंने बताया कि भर्ती किए गए डाक्टरों ने शुरुआत में सीरिया या अफ़ग़ानिस्तान जैसे संघर्ष क्षेत्रों में आतंकी समूहों में शामिल होने की मंशा जताई थी लेकिन बाद में उनके संचालकों ने उन्हें भारत में ही रहने और भीतरी इलाकों में कई विस्फोट करने के लिए कहा।

    जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर इस सफेदपोश आतंकी माड्यूल का भंडाफोड़ किया। इससे जांचकर्ता फरीदाबाद विश्वविद्यालय पहुंचे जहां से 2900 किलोग्राम विस्फोटक बरामद हुआ।यह सब 18-19 अक्टूबर की रात को शुरू हुआ जब प्रतिबंधित जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर श्रीनगर शहर के बाहर दीवारों पर दिखाई दिए। इन पोस्टरों में घाटी में पुलिस और सुरक्षा बलों पर हमलों की चेतावनी दी गई थी।श्रीनगर पुलिस ने इस मामले को एक गंभीर मुद्दा माना। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्रीनगर जीवी संदीप चक्रवर्ती ने गहन जांच के लिए कई टीमें गठित कीं।

    उच्च शिक्षित आतंकी, चीन से जुड़े लिंक और हथियारों की तस्करी

    2018 के बाद से सोशल मीडिया पर कट्टरपंथीकरण के तरीके में आतंकवादी समूहों द्वारा एक रणनीतिक बदलाव देखा गया है जो डिजिटल प्लेटफ़ार्म के माध्यम से लोगों की भर्ती करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि कड़े सुरक्षा उपायों ने प्रत्यक्ष, आमने-सामने की बातचीत को लगातार मुश्किल बना दिया है।

    एक बार इन संभावित भर्तियों की पहचान हो जाने के बाद उन्हें टेलीग्राम जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप पर निजी समूहों में जल्दी से स्थानांतरित कर दिया जाता है जहां उन्हें अत्यधिक हेरफेर करने वाली और मनगढ़ंत सामग्री दिखाई जाती है। अक्सर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बनाए गए वीडियो के रूप में जिसका उद्देश्य भर्ती के लिए नफरत और एक कहानी फैलाना होता है।

    क्षेत्र में परिचालन कार्य सौंपे जाने से पहले भर्तियों को वर्चुअल प्रशिक्षण दिया जाता है।वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क और फर्जी प्रोफाइलों के व्यापक उपयोग से इन आतंकी नेटवर्कों को पता लगने से बचने में मदद मिलती है क्योंकि एन्क्रिप्टेड संचार के लिए टेलीग्राम और मैस्टोडान जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफार्मों का उपयोग किया जाता है।