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    'ये खाते हमारे रहे और वोट बीजेपी को दे आए...', राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग पर भड़के CM उमर अब्दुल्ला

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 08:23 AM (IST)

    राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भूचाल आ गया है। उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि कुछ विधायकों ने उनकी पार्टी के साथ धोखा किया है और भाजपा को वोट दिया। पीडीपी और अन्य दलों ने भी नेकां पर सवाल उठाए हैं, जिससे गठबंधन में दरार आ गई है। निर्दलीय विधायकों ने निष्ठा पर सवाल उठाने पर जांच की मांग की है।

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    राज्यसभा चुनाव: क्रॉस वोटिंग से जम्मू-कश्मीर की राजनीति में मची खलबली (File Photo)

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। राज्यसभा चुनाव में भाजपा की गुगली में फंसे नेकां और उसके सहयोगी दलों में आपसी खींचतान चरम पर पहुंच गई है। तमाम सियासी मतभेद भुलाकर भाजपा को रोकने के नाम पर साथ आए ये दल सात वोट खिसक जाने के बाद अब आपस में लड़ते दिख रहे हैं।

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    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तो यहां तक कह दिया कि यह खाते हमारा रहे और वोट भाजपा को दे आए। राजनीतिक पंडित उनका इशारा निर्दलीयों की ओर बता रहे हैं। वहीं कुछ स्वतंत्र विधायकों ने सामने आकर कहा कि उन पर संदेह न करें, जांच कराएं। यहां बता दें कि शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा के चार सदस्यों के लिए हुए चुनाव से पूर्व नेकां ने सभी निर्दलीय और तमाम छोटे दलों को साथ लेकर 59 विधायकों का समर्थन जुटा चारों सीटें जीतने का दावा किया था।

    विधानसभा में 28 विधायक भाजपा के

    88 सदस्यों वाले सदन में भाजपा के 28 विधायक हैं। पर चुनाव में भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग हुई और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सत शर्मा को 32 वोट मिले। इतना ही नहीं तीन विधायकों के तीन अमान्य पाए गए। नतीजा हुआ कि चारों सीटें जीतने का सपना देख रही नेकां को तीन पर संतोष करना पड़ा।

    चौथी सीट भाजपा के खाते में गई। इस चुनाव में कुल 87 वोट पड़े थे। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि जाने-पहचाने कुछ चेहरों ने नेकां को धोखा दिया है। उनके नाम हर कोई जनता है, मैं दोहराना नहीं चाहता। इसपर पीडीपी ने कहा कि उमर जिस तरह आरोप लगा रहे हैं उन्हें याद रखना चाहिए कि सवाल उनकी पार्टी पर भी उठ रहे हैं।

    वहीं, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन ने आरोप मढ़ा कि नेकां विधायकों ने स्वयं क्रॉस वोटिंग की है। उमर को नाम पता हैं तो बताते क्यों नहीं? भाजपा ने भी कहा कि उमर को बताना चाहिए कि उन्होंने 41 विधायकों के रहते 58 वोट किन तरीकों से जुटाए। दिनभर यही उठापटक का दौर चलता रहा।

    'खाया हमारा वोट भाजपा को दिया'

    उमर ने कहा कि हमने राज्यसभा की सभी चार सीट जीतने का पूरा प्रयास किया। हमारे लिए यह चुनाव खुशी और गम वाला है। हमें तीन-एक की जीत का यकीन था, उसके बावजूद चौथी सीट के लिए प्रयास किया, लेकिन कुछ लोगों ने हमें नीचा दिखाया, हमें धोखा दिया। यह लोग हमारी बैठकों में आते रहे, खाते हमारा रहे, वोट भाजपा को दे आए। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि कौन हमारे साथ खड़ा था और कौन हमारे खिलाफ गया।

    उमर ने सहयोग के लिए कांग्रेस व अन्य दलों का आभार जताया। उमर ने दावा किया कि हमारी पार्टी के किसी भी विधायक ने क्रास वोटिंग नहीं की। उन्होंने सज्जाद लोन पर तंज कसते हुए कहा कि जिन लोगों ने भाजपा को नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए वोट नहीं दिया, उन्हें अपना रुख लोगों के सामने बताना चाहिए था।

    नेकां न भूले, सवाल उनके विधायकों पर भी: परा

    पीडीपी विधायक वहीद उर रहमान परा ने कहा कि नेकां के पक्ष में मतदान का निर्णय हमारे लिए आसान नहीं था। लेकिन हमने जम्मू-कश्मीर के हित में नेकां का साथ दिया। अब जिस तरह से मुख्यमंत्री एक सीट की हार को लेकर आरोप लगा रहे हैं तो उन्हें याद रखना चाहिए कि सवाल तो उनके विधायकों पर भी उठ रहे हैं। यहां कोई नहीं जानता कि किसने भाजपा के उम्मीदवार को वोट दिया है।

    उन्होंने कहा कि हमने राज्यसभा चुनाव में नेकां का साथ दिया है। इसलिए हमें पूरी उम्मीद है कि विधानसभा सत्र में नेकां हमारे भूमि अधिकार और दैनिक वेतनभोगियों से संबंधित विधेयक का समर्थन कर उन्हें पारित कराएगी। यहां बता दें कि कब्जाधारियों को संपत्ति के अधिकार वाले बिल के नाम पर पीडीपी समर्थन का वादा किया था।

    नेकां ने भाजपा को दिए सात वोट: लोन

    हंदवाड़ा से विधायक सज्जाद गनी लोन ने कहा कि आज मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि उन्हें पता है कि किसने क्रास वोटिंग की और किसने जानबूझकर अपने मतपत्र को रद कराया।

    उनके पास यह नाम कहां से आए? उन्हें इन नामों को बताना चाहिए। नेकां अब हार का ठीकरा दूसरों के सिर पर फोड़ रही है। क्रॉस-वोटिंग नेकां ने खुद की थी। नेकां ने स्वयं अपने सात सदस्यों के वोट भाजपा को उपहार में दिए हैं। राज्यसभा चुनाव नेकां और भाजपा के बीच एक फिक्सड मैच था। आरोप-प्रत्यारोप का यह सिलसिला दिनभर चलता रहा और उधर भाजपा इसे सत्य की जीत बताकर जश्न मनाती रही।

    'भाजपा की नीतियों को देख विधायकों ने समर्थन किया'

    भाजपा के प्रदेश उप प्रधान युद्धवीर सेठी ने कहा कि विधायकों ने पीएम मोदी व भाजपा की नीतियों को देखते हुए कि हमारी पार्टी का समर्थन किया है। जवाब तो नेकां को देना चाहिए कि 41 विधायक होने के बावजूद उसे 58 वोट कहां से मिले। इसलिए मुख्यमंत्री उमर को आरोप लगाने से पहले खुद की पार्टी की हालत की ओर देखना चाहिए।

    'हमारी निष्ठा पर सवाल क्यों?'

    निर्दलीय विधायकों ने कहा कि उनकी निष्ठा पर सवाल क्यों हैं। वह पहले दिन से गठबंधन के साथ थे, अब भी हैं। इस पर आरोप-प्रत्यारोप की बजाय जांच होनी चाहिए। प्रदेश में सात निर्दलीय विधायक हैं और उनमें से पांच पहले से सरकार के समर्थन में थे और दो अन्य ने भी चुनाव से पहले नेकां प्रत्याशी को वोट देने का वादा किया था।

    इंद्रवाल के निर्दलीय विधायक प्यारेलाल शर्मा ने कहा कि वह पहले से नेकां से जुड़े थे और आज भी जुड़े हैं। हमें खुशी है कि नेकां ने क्षेत्र के वरिष्ठ नेता सज्जाद किचलू को राज्यसभा भेजा। यह भाजपा का दुष्प्रचार है।

    बनी के निर्दलीय विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री का इशारा निर्दलीयों की ओर है तो उन्हें जांच करवानी चाहिए कि किसने क्रास वोटिंग की। दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। हम पहले से उनके साथ थे, अब भी हैं। सरकार को क्रास वोटिंग करने वालों का चेहरा बेनकाब करना चाहिए।