"हम हमेशा डर के साय में नहीं रह सकते", सीएम उमर बोले- वर्ष 2014 के बाद लागू बाढ़ प्रबंधन योजना का आकलन जरुरी
जम्मू कश्मीर सरकार 2014 की बाढ़ के बाद बाढ़ प्रबंधन उपायों की समीक्षा करेगी। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि दो दिन की बारिश से बाढ़ का खतरा पैदा हो गया। बीते वर्षों में बाढ़ प्रबंधन में बदलावों का आकलन होगा। विश्व बैंक की मदद से लागू योजनाओं की जांच होगी और नदी-नालों की क्षमता का मूल्यांकन किया जाएगा ताकि भविष्य में ऐसे संकटों से बचा जा सके।
राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार वर्ष 2014 की विनाशकारी बाढ़ के बाद, प्रदेश में बाढ़ प्रबंधन के लिए किए गए उपायों की समीक्षा करेगी।
यह जानकारी गुुरूवार को स्वयं मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने यहां पत्रकारों के साथ एक संक्षिप्त बातचीत में दी। उन्होंने कहा कि यहां दो दिन बारिश हुई और पूरे प्रदेश में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई,इसलिए यह पता लगाना जरुरी है कि बीते 11 वर्ष के दौरान बाढ़ प्रबंधन मे क्या बदलाव किया गया है।
यह संबंधित अधिकारियों को बताना होगा,क्या कमियां हैं, उन्हें जानना जरुरी है,हम हमेशा डर के साए में,बाढ़ के खतरे में नही रह सकते।
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सितंबर 2014 में घाटी का लगभग हर कस्बा बाढ़ के पानी में डूबा था
आपको बता दें कि सितंबर 2014 में जम्मू कश्मीर में विनाशकारी बाढ़ आई थी। उसमे जानमाल का व्यापक नुक्सान हुआ था। कश्मीर घाटी का लगभग हर कस्बा बाढ़ के पानी में डूबा था। जम्मू प्रांत में भी व्यापक नुक्सान हुआ था।
उसके बाद जम्मू कश्मी प्रदेश सरकार ने विश्व बैंक की मदद से प्रदेश में बाढ़ के जोखिम को कम करने और बाढ़ प्रबंधन के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू किया है। निचले इलाकों में जलभराव को रोकने के लिए जलनिकासी का तंत्र तैयार किया गया, बाढ़ बिखराव नहरों को फिर से बहाल किया गया।
कई नदी नालों से अतिक्रमण हटाया गया। नदी-नालों की जलवहन क्षमता को बढ़ाने के लिए गाद भी निकाली गई। अलबत्ता, गत दिनों प्रदेश के विभिन्न भागो में बारिश से व्यापक नुक्सान हुआ है और कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई, कई आवासीय बस्तियां जलमग्न भी हुई।
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बारिश से पूरे प्रदेश में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया
जम्मू में बाढ़ से हुए नुक्सान का जायजा लेने के बाद आज श्रीनगर लौटे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हजरतबल दरगाह में ईद ए मिलाद उल नबी की तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान पत्रकारों प्रदेश में गत दिनों बाढ़ की स्थिति से संबधित पत्रकारों के सवालो का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि हाल में जो बारिश हुई है, उससे पूरे प्रदेश में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया था।
अगर यह बारिश दो दिन और जारी रहती तो यहां वर्ष 2014 की विनाशकारी बाढ़ से कहीं ज्यादा विकट स्थिति पैदा हो चुकी होती। यह सिर्फ एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है,पूरे प्रदेश में लगभग समान हालात हैं।
वर्ष 2014 में लगातार छह दिन की बारिश के बाद बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हुई थी,लेकिन इस बार मात्र दो दिन लगातार बारिश ने हमे बाढ़ के संकट में धकेल दिया।
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खुदा का शुक्र है कि मौसम में सुधार हुआ और खतरा टल गया
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि खुदा का शुक्र है कि मौसम में सुधार होने के साथ ही नदी नालों का जलस्तर घट गया और बाढ़ का खतरा टल गया,लेकिन यह भविष्य के लिए एक चेतावनी है। हमें भविष्य में एेसे हालात से बचने के लिए दीर्घकालिक उपाय करने की जरुरत हे।
हमें एक बार फिर झेलम, तवी और अन्य कुछ नदियों की जलवहन क्षमता का आकलन करना होगा, बाढ़ बिखराव नहरों को भी परखना होगा। हमें यह पता लगाना होगा कि वर्ष 2014 की बाढ़ के बाद जो योजनाएं लागू की गई हैं, जो उपाय अपनाए गए हें,वह कितने प्रभावकारी हैं।
मैं स्वयं इन सभी बिंदुओं पर संबधित अधिकारियों के साथ अगले चंद दिनों में एक बैठक करने जा रहा हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ प्रबंधन में, आपदा के जोखिम को न्यूनतम बनाने में जो भी खामियां हैं, उनकी जांच जरुरी है तभी उन्हें दूर किया सकेगा,अन्यथा जब भी बरसात होगी,हमें ऐसे हालात का सामना करना पड़ेगा। हम हमेशा डर के साए में नहीं रह सकते।
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