'उन्हें भूखा और ठंड से मरने के लिए नहीं छोड़ सकते', रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर ये क्या बोले सीएम उमर अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजा जा सकता है तो उन्हें भेजा जाना चाहिए लेकिन अगर ऐसा नहीं हो सकता तो उन्हें भूखा और ठंड से मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। इस मसले पर और क्या बोले सीएम अब्दुल्ला।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या शरणार्थियों की मौजूदगी पर सोमवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गेंद सरकार के पाले में फेंकते हुए कहा कि केंद्र सरकार को इस विषय में अंतिम निर्णय लेना है, अगर रोहिंग्या शरणाथियाें को वापस भेज सकती है तो भेजे, लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो हम उन्हें भूखा और ठंड से मरने के लिए नहीं छोड़ सकते। उन्होंने यह टिप्पणीय आज यहां चैंबर आफ कामर्स इंडस्ट्रीज के एक समारोह के दौरान पत्रकारों से बातचीत में कही।
उन्होंने बांग्लादेश के साथ संबंधों पर भी केंद्र सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपयी की नीति का अनुसरण करने की सलाह देते हुए कहा कि हमें अपने पड़ोसियों से बेहतर संबंध बनाने चाहिए। अटल जी कहते थे कि हम अपने दोस्त बदल सकते हैं, पड़ोसी नहीं।
उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में विशेषकर जम्मू प्रांत में रोहिग्या शरणार्थियों की मौजूदगी एक बड़ा मुद्दा है। विभिन्न स्थानीय संगठन रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने की मांग कर रहे हैं।
जम्मू में बड़ी संख्या में अवैध रोहिंग्या नागरिक हैं। इनकी बस्तियों में बिजली-पानी की आपूर्ति काे काटा गया था,लेकिन बाद में बहाल कर दिया गया। इससे यह मामला फिर से तूल पकड़ रहा है। भाजपा ने जम्मू में रोहिंग्या शरणार्थियों के बसने-बसाने के मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
जानवरों जैसा व्यवहार नहीं कर सकते
आज यहां चैंबर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज द्वारा आयोजित एक समारोह के दौरान पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब देते हुए कहा कि यह एक मानवीय मुद्दा है। केंद्र सरकार को तय करना चाहिए कि उनके बारे में क्या करना है।
अगर रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेज सकते हैं तो भेजें, लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं है तो हमें उन्हें भूखा और ठंड से मरने के लिए नहीं छोड़ सकते। जब तक वह यहां हैं, हमें उनकी देखभाल करनी होगी। हम उन्हें यहां लेकर नहीं आए हैं।
अगर केंद्र सरकार की नीति बदल गई है तो जहां चाहे ले जाए। लेकिन जब तक वह यहां हैं, हम उनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार नहीं कर सकते। लेकिन उन्हें जानवरों की तरह नहीं रखा जा सकता।
उमर अब्दुल्ला ने केंद्र से अपील की कि इस मुद्दे केंद्र से अपील की कि इस मुद्दे को राजनीतिक चश्मे से न देखकर मानवीय दृष्टिकोण से देखा जाए। उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश के लिए यह जरूरी है कि वह अपनी परंपराओं और जिम्मेदारियों के अनुरूप इन शरणार्थियों का ध्यान रखें।
भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में तनाव
तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा इंडिया ब्लाक का नेतृत्व किए जाने की संभावना पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद इंडिया ब्लाक की कोई बैठक नहीं हुई है, इसलिए नेतृत्व परिवर्तन का सवाल ही नहीं उठता। बैठक होने दीजिए और अगर ममता बनर्जी चाहें तो उन्हें नेतृत्व का दावा करने दीजिए।
बैठक में इस विषय में बात होगी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री के बांग्लादेश दौरे पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में कुछ तनाव जरूर हैं। विदेश सचिव वहां बैठकें कर रहे हैं और हालात सुधारने की कोशिश की जा रही है। स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हम अपने दोस्त बदल सकते हैं लेकिन अपने पड़ोसी नहीं। पड़ोसियों से अच्छे रिश्ते रखना हमारी मजबूरी है।
जल्द ही राज्य का दर्जा बहाल होगा
जम्मू कश्मीर के राज्य के दर्जे की पुनर्बहाली संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दा है। हमें स्टेटहुड चाहिए, जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए और यही हरेक नागरिक की मांग और इच्छा है।
जम्मू कश्मीर की जनता के साथ संसद ने, सर्वाेच्च न्यायालय, प्रधानमंत्री और गृहमत्री ने भी कई बार राज्य का दर्जा बहाल करने का यकीन दिलाते हुए वादा किया है। हमें यकीन दिलाया गया है कि जल्द ही राज्य का दर्जा बहाल होगा।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सत्ता के दो केंद्र किसी भी सरकार के हित में नहीं हैं, इससे जम्मू कश्मीर का भला नहीं होगा। किसी भी अन्य राज्य में यह व्यवस्था नहीं है।जम्मू कश्मीर की जनता ने अपनी मर्जी से एक लोकप्रिय सरकार चुनी है, अब निर्वाचित सरकार को निर्विघ्न रूप से काम करने देना चाहिए।
रोहिंग्या को किसने जम्मू में बसने दिया
इस बीच, प्रदेश भाजपा ने रोहिंग्या व बांग्लादेशीयों के जम्मू में बसने को बड़ी साजिश का हिस्सा करार देते हुए उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से इस मामले की सीबीआई से जांच करवाने पर जोर दिया है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता सुनील सेठी ने जम्मू में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जम्मू में रोहिंग्या वह बांग्लादेशी 90 के दशक में बसे थे।
तभी जम्मू कश्मीर में आतंकवाद भी फैला था। इसके साथ यह पता लगाना बहुत जरूरी है कि वह कौन लोग थे जिन्होंने उन्हें जम्मू में बसाने में मदद की थी।
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