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    CJI चंद्रचूड़ ने देर से न्याय मिलने पर जताई चिंता, कहा- न्याय प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी व सुलभ बनाने की जरुरत

    By Jagran NewsEdited By: Preeti Gupta
    Updated: Sat, 01 Jul 2023 08:29 AM (IST)

    srinagar News सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश (सीजेआई) डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ सिंह ने न्यायिक प्रणाली को और ज्यादा पारदर्शी सरल व सुलभ बनाने की जरूरत बताई है। शुक्रवार को श्रीनगर में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के 19वें सम्मेलन का शुभारंभ करने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने अपने संबोधन में आम लोगों को न्याय मिलने में देरी पर चिंता व्यक्त की।

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    न्याय प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी व सुलभ बनाने की जरुरत- CJI चंद्रचूड़

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। Dr. DY Chandrachud Singh in Shrinagar: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश (सीजेआई) डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ सिंह ने न्यायिक प्रणाली को और ज्यादा पारदर्शी, सरल व सुलभ बनाने की जरूरत बताई है।

    उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण दूसरों की सेवा, न्याय प्रदान करने की हमारे राष्ट्र की संकल्पबद्धता को दर्शता है। हमारा संविधान समानता और मौलिक अधिकारों को मान्यता देते हुए प्रत्येक नागरिक के लिए मौलिक अधिकारों और न्याय को सुनिश्चित बनाते हुए उनका संरक्षण करता है। इसके बावजूद यहां कई सामाजिक व आर्थिक कारणों से न्याय प्रभावित होता है।

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    क्या बोले डॉ. डीवाई चंद्रचूड़?

    सीजेआई ने आगे कहा कि कई लोगों के लिए एफआईआर दर्ज कराना तक मुश्किल हो जाता है, तो कई बार निरपराध लोगों को न्याय नहीं मिलता। कई बार किसी मामूली अपराध में ही वर्षों तक सुनवाई चलती है और सजा भी कठोर होती है। हमें इन मुद्दों से निपटना है।

    राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम ने कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाने के साथ कानून औार न्यायिक प्रक्रिया को मानवीय बनाया है। शुक्रवार को श्रीनगर में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के 19वें सम्मेलन का शुभारंभ करने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने अपने संबोधन में आम लोगों को न्याय मिलने में देरी पर चिंता व्यक्त की।

    विधिक सहायता प्रकोष्ठ खोलने पर दिया जा रहा जोर

    डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ सिंह ने कहा कि देश के प्रत्येक हिस्से में और हर जिले में विशेषकर सभी लॉ कालेजों में विधिक सहायता प्रकोष्ठ खोलने पर भी जोर दिया है। उन्होंने कहा कि विधिक सम्मेलन ज्ञान के भंडार और भारतीय न्यायपालिका के अनुभव का संगम है।

    भारतीय न्यायपालिका के परिप्रेक्ष्य में श्रीनगर में इस सम्मेलन का आयोजन जम्मू कश्मीर और लद्दाख का भारत के विकास के परामर्श की मुख्यधारा में शामिल होने को प्रतिबिंबित करता है।

    डल झील के किनारे स्थित एसकेआइसीसी में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में केंद्रीय कानून राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा समेत देश के विभिन्न राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश व देश के प्रतिष्ठित कानूनविद हिस्सा ले रहे हैं।

    विधिक सेवा प्राधिकरण का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभाव नजर आने लगा

    केंद्रीय कानून राज्यमंत्री मेघवाल ने कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण आम नागरिकों के लिए हक हमारा भी है...की भावना के अनुरूप न्याय को सुनिश्चित बना रहा है। आज देश के ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसकी उपस्थिति और प्रभाव नजर आ रहा है। उन्होंने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की प्रधानमंत्री की परिकल्पना का उल्लेख करते हुए कहा कि यह तभी होगा जब कि यहां सभी के लिए न्याय सुलभ होगा। न्यायिक प्रक्रिया त्वरित और पारदर्शी होगी। उन्होंने कहा कि ई-कोर्ट न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया में क्रांतिकारी कदम साबित होगा।

    विधिक सेवा न्यायिक व्यवस्था में क्रांतिकारी कदम-सिन्हा

    उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि कहा कि समता, समरसता और न्याय की भावना प्राचीन काल से ही हमारी सभ्यता का एक हिस्सा रही है। कानूनी प्रक्रिया और न्याय में विलंब नहीं होना चाहिए। विधिक सेवा प्राधिकरण हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था में एक क्रांतिकारी कदम है।

    इसने हमारे देश के दूरदराज के क्षेत्रों में भी न्यायिक प्रणाली को मजबूत बनाया है। जम्मू कश्मीर के दूरदराज के इलाकों में प्रदेश विधिक प्राधिकरण सराहनीय कार्य कर रहा है। यह समाज में धर्म यानि न्याय की स्थापना करने में सक्षम हुआ है।