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    Jamaat-E-Islami: प्रतिबंध हटाए केंद्र सरकार लड़ेंगे चुनाव, जमात-ए-इस्लामी के पूर्व मुखिया वानी ने की मांग

    Updated: Wed, 15 May 2024 09:16 PM (IST)

    जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर (Jamaat-e-Islami Jammu and Kashmir) के पूर्व प्रमुख गुलाम कादिर वानी ने आज पत्रकारों से बातचीत की। जिसमें उन्होंने कुछ शर्ते रखी हैं। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार 2019 में संगठन पर लगाए गए अपने प्रतिबंध को हटा लेता है तो उनका जमात-ए-इस्लामी संगठन चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेगा। वानी ने कहा कि वह लोकतंत्र में यकीन रखते हैं।

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    Jammu-Kashmir News: जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर केंद्र से प्रतिबंध हटाने की उठाई मांग। फाइल फोटो

    पीटीआई, श्रीनगर। जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के पूर्व प्रमुख गुलाम कादिर वानी ने बुधवार को कहा कि अगर केंद्र 2019 में संगठन पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा देता है तो उनका संगठन विधानसभा चुनावों में भाग लेगा।

    वानी ने पुलवामा से 32 किलोमीटर दूर पत्रकारों से बातचीत किया। कहा-हम केंद्र के साथ बातचीत कर रहे हैं। हम अपना प्रतिबंध हटाना चाहते हैं और हम समाज में अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं। अगर प्रतिबंध हटा दिया जाता है। तो हम चुनाव में हिस्सा ले सकते हैं।

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    वानी ने कहा कि सोमवार को श्रीनगर लोकसभा क्षेत्र के लिए मतदान के दौरान अपना वोट डाला। उनका संगठन लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास करता है और पहले भी चुनावों में भाग ले चुका है। उन्होंने ने कहा कि हम (विधानसभा चुनाव में) भाग लेंगे क्योंकि हमें लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास है।

    हमें भाग लेना होगा जैसे हम पहले भी करते थे। संगठन ने 1987 के बाद से किसी भी चुनाव में भाग नहीं लिया है। पूर्व अमीर-ए-जमात (पार्टी के नेता) सोशल मीडिया पर चल रहे एक पत्र पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। जिसमें दावा किया गया था कि जमात की मजलिस-ए-शूरा ने चुनाव में भागीदारी को मंजूरी नहीं दी थी।

    गुलाम कादिर ने कहा कि हमने (लोकसभा) चुनावों में भाग लिया और अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए स्वतंत्र रूप से मतदान करें क्योंकि लोकतंत्र से समस्याओं का समाधान हो सकता है। हमारे (पार्टी) संविधान के मुताबिक यह एक आवश्यक बात है।

    किसी शरारती ने कहीं लिखा है कि (मजलिस) शूरा (परामर्शदात्री परिषद) ने इसे मंजूरी नहीं दी है। केवल वही जानते हैं कि इस पत्र के पीछे क्या मकसद है। हम इसका खंडन कर रहे हैं और अपनी स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं।

    लोकसभा चुनाव के बाद के चरणों में मतदान वाले क्षेत्रों में जमात कार्यकर्ताओं को दिए गए उनके संदेश के बारे में पूछे जाने पर वान ने कहा कि बदलाव केवल मतदान के जरिए ही लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम मतदान के माध्यम से बदलाव ला सकते हैं। अगर अच्छे लोग आगे आएंगे तो समाज का विकास होगा और मुद्दों का समाधान होगा।

    ड्रग माफिया जैसे इन माफियाओं को खत्म किया जाएगा। मेरी कार्यकर्ताओं से अपील है कि वे बिना किसी डर के मतदान करें। जमात-ए-इस्लामी जम्मू और कश्मीर को केंद्र द्वारा फरवरी 2019 में "गैरकानूनी सहयोग" और "आंतरिक सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक गतिविधियों" के लिए पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था। फरवरी 2024 में प्रतिबंध को पांच साल की अवधि के लिए बढ़ा दिया गया।

    कट्टरपंथी नेता सैयद अली शाह गिलानी के प्रभाव में 1993 में अलगाववादी मिश्रण हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के गठन में जमात एक प्रमुख खिलाड़ी थी। हालांकि जमात का गठन शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले एक धार्मिक संगठन के रूप में किया गया था, लेकिन इसे राजनीतिक शाखा के रूप में देखा गया था।