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    चरने के दौरान LoC पार गए मवेशी, बांदीपोरा के एक दर्जन से अधिक परिवारों ने सरकार से लगाई मदद की गुहार

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 10:06 PM (IST)

    उत्तरी कश्मीर के बांडीपुरा के गुरेज गाँव के कुछ परिवार अपने मवेशियों को वापस लाने के लिए सरकार से मदद मांग रहे हैं जो नियंत्रण रेखा पार कर गए हैं। ग्रामीणों ने दोनों सरकारों से मवेशियों की वापसी में तेजी लाने का अनुरोध किया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मवेशी उनकी आजीविका का महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

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    सीमा पार चला गए मवेशी, प्रशासन से मदद की गुहार। सांकेतिक फोटो

    जागरण संवाददाता, श्रीनगर। उत्तरी कश्मीर के बांडीपुरा में नियंत्रण रेखा के पास गुरेज गांवों के एक दर्जन से ज़्यादा परिवार अपने मवेशियों, जिनमें याक भी शामिल हैं, को वापस लाने के लिए सरकार से मदद मांग रहे हैं।

    उनका कहना है कि ये मवेशी एक महीने पहले नियंत्रण रेखा पार करके दूसरी तरफ चले गए थे। नियंत्रण रेखा से सटे गुरेज के अचूरा और चूरवान के ग्रामीणों ने एक अपील में दोनों सरकारों से मवेशियों की वापसी में तेज़ी लाने का अनुरोध किया है।

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    ग्रामीणों ने कहा कि ज़्यादातर मवेशी एक महीने पहले नियंत्रण रेखा पार करके पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की नीलम घाटी की ओर चले गए थे। उन्होंने कहा, हम दोनों देशों से अपने मवेशियों को वापस लाने में मदद की अपील करते हैं। स्थानीय लोगों ने दावा किया है और हम सेना के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

    इधर अधिकारी ने कहा कि ग्रामीणों का दावा है कि लगभग 20 मवेशी दूसरी तरफ चले गए हैं। गुरेज के एसएचओ नज़ीर अहमद ने बताया, लगभग हर घर से एक मवेशी गायब है। स्थानीय लोग इस बात पर अड़े हैं कि वे दूसरी तरफ चले गए हैं।

    पुलिस के आंकड़ों के अनुसार,19 या उससे अधिक मवेशी लापता हैं। एक अधिकारी ने बताया कि वे शुक्रवार को भी इस समस्या का समाधान खोजने के लिए नियंत्रण रेखा के पास सेना की चौकी पर मौजूद थे। चूरवान निवासी अब्दुल वहाब लोन ने बताया कि चूरवान और अचूरा के लगभग सभी परिवारों ने नियंत्रण रेखा पार करके अपने एक-एक मवेशी को खो दिया है।

    वीरवार को एक वीडियो अपील में भी स्थानीय लोगों ने मवेशियों की वापसी में मदद मांगी। गुरेज के निवासियों के लिए, मवेशी उनकी आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं और वे कहते हैं कि उनकी वापसी में मदद करना बेहद ज़रूरी है।

    गौरतलब है कि जुलाई 2021 में, गुरेज के तुलैल के बादु-आब गांव से भी यही समस्या सामने आई थी, जब लगभग 29 याक नियंत्रण रेखा पार कर गए थे। एक हफ्ते बाद, दोनों पक्षों के अधिकारियों की मदद से उन्हें वापस भेज दिया गया था।