'मूकदर्शक और शक्तिहीन बताने से काम नहीं चलेगा', महबूबा मुफ्ती की सलाह- कश्मीर का केजरीवाल बनें CM उमर अब्दुल्ला
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को कश्मीर का केजरीवाल बनने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से लोगों में ज़मीन और रोज़गार की असुरक्षा बढ़ गई है। उन्होंने उमर अब्दुल्ला की आलोचना करते हुए कहा कि उन्हें केजरीवाल से सबक लेना चाहिए।
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पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को कश्मीर का केजरीवाल बनने की सलाह देते हुए कहा कि मूकदर्शक बने रहने या खुद को शक्तिहीन बताने से काम नहीं चलेगा। उन्हें दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल से सबक लेना चाहिए जिन्होंने केंद्र के आगे झ़ुकने के बजायख्जिन्होंने तमाम चुनौतियों के बावजूद मुफ़्त बिजली, गैस और बस्तियों को नियमित किया।
आज यहां पत्रकारों से बातचीत में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में लोगों के बीच ज़मीन और रोज़गार की असुरक्षा और बढ़ गई है। ज़मीन और रोज़गार के मुद्दे पूरे क्षेत्र में एक गंभीर चिंता का विषय बनकर उभरे हैं। लोगों में ऐसा डर हैऐसा डर है कि हमारी ज़मीन और रोज़गार अब सुरक्षित नहीं रहे या हमारे लिए नहीं रहे।"
उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की आलोचना करते हुए कहा कि लोगों को उम्मीद थी कि 2024 के चुनावों में ऐसी सरकार आएगी जो ऐसी संपत्तियों और लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून बनाएगी। राजस्व विभाग, जो मुख्यमंत्री के अधीन है, घरों, दुकानों और पट्टे की ज़मीनों को नियमित करने के लिए एक कानून ला सकता था, खासकर उन होटल व्यवसायियों के लिए जो दशकों से पर्यटन क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
होटल व्यवसायियों को अपने पट्टे जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए थी और सरकार को अदालत में उनका समर्थन करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को एक स्पष्ट रवैया अपनाना चाहिए। हाल ही में खुद (उमर अब्दुल्ला) की तुलना दूसरे क्षेत्रीय नेताओं से करने वाली उनकी
(उमर अब्दुल्ला) टिप्पणियों का ज़िक्र करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अगर आप कुछ बनना चाहते हैं, तो केजरीवाल जैसे बनें, जिन्होंने तमाम चुनौतियों के बावजूद मुफ़्त बिजली, गैस और बस्तियों को नियमित किया। उन्होंने दिल्लीवासियों के हित में केंद्र के आगे झुकने के बजाय अपने एजेडे को लागू करने के लिए हर मुश्किल का सामना किया।
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