कश्मीर में एक सदी बाद फिर लौटी नदी-नालों की रानी ब्राउन ट्राउट, डेनमार्क से आयात किए गए अंडे
श्रीनगर में एक सदी के बाद नदी-नालों की रानी ब्राउन ट्राउट मछली फिर से दिखाई दी है। डेनमार्क से आयातित अंडे से इन मछलियों को कश्मीर में लाया गया है। यह ...और पढ़ें

यह ब्राउन ट्राउट जेनेटिकली परिष्कृत है ।
नवीन नवाज, श्रीनगर। कश्मीर घाटी के नदी नालों में ब्राउन ट्राउट फिर से लौट रही है। इसकी वापसी से न सिर्फ स्थानीय जलीय जैव विविधिता और उसके पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने में मदद मिलेगी बल्कि स्पोर्ट फिशिंग को शुरू करने और इको-टूरिज्म को प्रोत्साहित करने में भी मदद मिलेगी।
जम्मू-कश्मीर मत्स्य पालन विभाग के अनुसार, ठंडे पानी वाली नदी-नालों में रहने वाली ब्राउन ट्राउट लगभग एक सदी पहले तक कश्मीर में अच्छी खासी संख्या में मिलती थी और फिर धीरे धीरे समाप्त हो गई। कुछेक इलाकों में यह कभी कभार स्थानीय मछुआरों को मिली,जो इस बात का संकेत दे रही थी कि अगर प्रयास किया जाए तो वह फिर यहां नदी-नालों की रानी बनकर रहेगी।
मतस्य पालन विभाग के अनुसार,ब्राउन ट्राउट का बड़े पैमाने पर शिकार और जेनेटिक डिप्रेशन व पर्यावरण में बदलाव केसाथ प्रदूषण के कारण इसका प्राकृतिक प्रजनन लगभग समाप्त हो गया और उसकी आबादी आगे नहीं बढ़ पा रही थी।
डेनमार्क से आयात किए गए ब्राउन ट्राउट के अंडे
कश्मीर में ब्राउन ट्राउट को फिर से बसाने के लिए प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत इसी वर्ष की शुरुआत में डेनमार्क से ब्राउन ट्राउट (साल्मो ट्रुटा फारियो) के तीन लाख आंखों वाले अंडे आयात किए गए। इस स्टाक को त्शानसर में ट्राउट हैचरी में 29 जनवरी 2025 से 31 अक्टूबर 2025 तक नौ महीने तक पोषित किया और मत्स्य पालन विशेषज्ञों की निगरानी में अंडो से फिंगरलिंग कोविकसित किया गया और 2.5 लाख फिंगरलिंग्स—हर एक का वज़न 5 से 15 ग्राम के बीच है—को ठंडे पानी वाली नदियों में छोड़ने के लिए तैयार किया गया है।
ब्राउन ट्राउट जेनेटिकली परिष्कृत है
मत्सय पालन विभाग कश्मीर में गगरीबल केंद्र की सीपीओ नाहिदा अख्तर ने कहा कि ब्राउन ट्राउट मछली के फिंगलिंग्स को पहले घाटी की उन नदियों में छोड़ा जाएगा, जहां इसकी आबादी पहले बहुत अच्छी थी। जहां भी इन्हें छोड़ा जाएगा, वहां जलीय गुणवत्ता और जैव विविधिता और पारिस्थितिक तंत्र की जांच की गई है। उन्होंने कहा कि यह ब्राउन ट्राउट जेनेटिकली परिष्कृत है ।
इस परियोजना मकसद कश्मीर में ब्राउन ट्राउन का प्रजनन, उत्पादन फिर से शुरू करना, स्पोर्ट फिशिंग का प्रोत्साहित करना, इको टूरिज्म को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि दुनिया के विभिन्न इलाकों में मछली पकड़ने की प्रतियोगिताएं होती हैं और कई जगह लोग सिर्फ मछली के शिकार के लिए घूमने जाते हैं। कश्मीर में भी इस संभावना के दाेहन में भी यह मदद करेगी।
कश्मीर में एक सदी पहले लुप्त हो गई थी ब्राउन ट्राउटन
शेरे कश्मीर कृषि एवं विज्ञान प्रौद्याेगिकी विश्वविद्यालय कश्मीर के प्रो संदीप ने कहा कि अलग-अलग प्रजातियों के स्वस्थ बीज को लाने से कश्मीर में मछलियों की घटती आबादी को फिर से बढ़ाने, नदियों में मछलियों के प्राकृतिक प्रजनन को बढ़ाने में मदद मिलेगी और ब्राउन ट्राउट इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। कश्मीर में ब्राउन ट्राउटन एक सदी पहले तक अच्छी खासी तादाद में थी जो बाद में लगभग लुप्त हो गई थी।
सीपीओ नाहिद अख्तर ने कहा कि ब्राउन ट्राउट को फिर से यहां यहां बसाना, उसके फिंगलिंग्स को तैयार करना, कश्मीर में मत्स्य पालन में ही नहीं कश्मीर की जलीय जैव विविधता के लिए भी जरुरी है।
मत्सय पालन विभाग कश्मीर के निदेशक अब्दुल मजीद टाक ने काह कि यह यह परियोजा कश्मीर में ट्राउट की मौजूदगी,उसकी आबादी विशेषकर ब्राउन ट्राउट की आबादी को बढ़ाने में मदद करेगी। इससे मत्स्य क्षेत्र से जुड़े लोगों को लाभ पहुंचेगा, यह कश्मीर में एंगलिंग पर्यटन को बढ़ावा देगी और जम्मू कश्मीर में रोजगार व आर्थिक विकास के नए अवसर पैदा करेगा।

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