हिमपात और भूस्खलन के बावजूद कश्मीर में नहीं होगा खाद्यान्न संकट, जल्द पहुंचेगी राशन से भरी 21 बोगियों वाली मालगाड़ी
कश्मीर में हिमपात और भूस्खलन के बावजूद खाद्यान्न संकट नहीं होगा, क्योंकि 21 बोगियों वाली मालगाड़ी घाटी पहुंच रही है। भारतीय खाद्य निगम 1384 टन खाद्यान ...और पढ़ें

हिमपात हो,भूस्खलन हो या फिर सड़क बंद कश्मीर में नहीं होगा खाद्यान्न संकट (फाइल फोटो)
नवीन नवाज, श्रीनगर। चिल्लें कलां 21 दिसंबर को कश्मीर में पहुंच जाएगा और इसके साथ ही हिमपात, घने कोहरे का दौर शुरु हो जाएगा।
जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग भी बंद हो सकता है,लेकिन घाटी में लोग इस बाद चिल्लें कलां के दौरान खाद्यान्न की उपलब्धता को लेकर किसी भी तरह से संशय की स्थिति में नहीं हैं।
कारण-चिल्ले कलां के साथ साथ घाटी में खाद्यान्न से लदी एक मालगाड़ी भी रविवार को पहुंच रही है। भारतीय खाद्य निगम 1384 टन खाद्यान्न रेलमार्ग के जरिए कश्मीर में पहुंचा रहा है। घाटी में रेलगाड़ी के जरिए खाद्यान्न आपूर्ति की यह पहली रेलगाड़ी होगी।
पंजाब के अजितवाल फिरोजपुर से आज रवाना हुई चावल, चीनी और गेंहू से लदी 21 बोगियों वाली मालगाड़ी रविवार की सुबह नौ बजे दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में स्थापित गुडस टर्मिनल पर पहुंचेगी।
उल्लेखनीय है कि 21 दिसंबर को ही कश्मीर में परम्परागत रूप से सदिर्याेां का सबसे ठंडा मौसम जिसे चिल्ले कलां कहते हैं, शुरु हो रहा है। अनंतनाग गुड्स टर्मिनल इसी वर्ष नौ अगस्त केा शुरु हुआ है।
इससे पूर्व सीमेंट रैक, इंडस्ट्रीयल व अन्य साजो सामान, सैन्य सामग्री को रेलगाड़ी के जरिए कश्मीर पहुंचाया जा रहा है। भारतीय खाद्य निगम से संबधित सूत्रों के अनुसार, घाटी में मौजूदा समय में निगम भंडारण क्षमता लगभग 95 हजार मीट्रिक टन है।
रेलवे के जरिए खाद्यान्न आपूर्ति सुनिश्चित होने के साथ ही इस क्षमता को अगले एक वर्ष के दौरान लगभग डेढ़ लाख मीट्रिक टन किए जाने का प्रस्ताव है।
यहां यह बताना असंगत नहीं होगा कि कश्मीर घाटी का रेल संपर्क बहाल होने से पहले सड़क मार्ग के जरिए ही कश्मीर में साजो सामान की आपूर्ति होती थी।
इसमें न सिर्फ समय ज्यादा लगता था बल्कि लागत भी ज्यादा रहती थी। इसके साथ सड़क पर ट्रकों की बड़ी संख्या में आवाजाही जहां आम यात्रियों के लिए दिक्कत पैदा करती थी, वहीं उनका शोर और धुआं पर्यावरण को भी नुक्सान पहुंचा रहा था।
इसके अलावा जब कभी हिमपात,बारिश् और भूस्खलन से श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग बंद होता तो कश्मीर में जरुरी साजो सामान की आपूर्ति भी लगभग ठप हो जाती। कालाबाजारी और जमाखोर सक्रिय हो जाते थे। अलबत्ता, रेलमार्ग से खाद्यान्न आपूर्ति इन दिक्कतों को दूर करने में सहायक होगी।
भारतीय खाद्य निगम के कश्मीर स्थित एक अधिकारी ने बताया कि अनंतनाग टर्मिनल पर हम पंजाब से आ रहे खाद्यान्न को प्राप्त करने और उसके भंडारण के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने अनंतनाग गुडस टर्मिनल से कुछ ही दूरी पर हमारा अपना एक बड़ा गोदाम है और इस तरह के गाेदाम वादी के अन्य शहरों में नहीं हैं।
जिलावार आवश्यक्तानुरुप इस खाद्यान्न को संबधित गोदामों तक ट्रकों के जरिए ही पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा रेलगाड़ी से खाद्यान्न की कश्मीर में ढुलाई हमारे लिए, निगम के लिए काफी सस्ती और सुगम है।
जम्मू रेल मंडल के सीनियर डिविजनल कमर्शियल मैनेजर उचित सिंघल ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि रविवार का दिन सिर्फ कश्मीर के लिए ही महत्वपूर्णनहीं हैं, 21 दिसंबर 2025 का दिन हमारे लिए भी यादगार बनने जा रहा है, क्योंकि खाद्यान्न का रेल से कश्मीर पहुंचना, नेशनल फ्रेट नेटवर्क से कश्मीर को जोड़ने में एक और मील का पत्थर है।
यह एक ऐतिहासिक कामयाबी है और कश्मीर घाटी की अनाज की ज़रूरतों को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह रेलवे के अत्याधुनिकीकरण और इलाके के विकास के लिए हमारे संकल्प को दर्शाता है।
रेलवे के ज़रिए अनाज का परिवहन तेज और सस्ता होगा, जिससे किसानों, और उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचेगा। उन्होने कहा एफसीआई और रेलवे आने वाले समय में कश्मीर के अन्य भागों में ऐसी और रेलसेवा उपलब्ध कराने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इससे पूरे प्रदेश में लाजिस्टिक्स और सप्लाई चेन में बड़ा बदलाव आएगा।
कश्मीर चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के पूर्व चेयरमैन शेख रशीद अहमद ने कहा कि कश्मीर का रेलवे के फ्रेट नेटवर्क से जुढ़ाव, हम सभी के लिए फायदेमंद है।
इससे कश्मीर में खाद्यान्न ,ईंधन व अन्य साजो सामान की आपूर्ति न सिर्फ सुगम हाे रही है बल्कि उसके जिस संकट की आशंका में यहां व्यापारी हमेशा त्रस्त रहते थे,वह भी दूर होगा। कालाबाजारी और जमाखोरी भी बंद होगी। इसका प्रत्यक्ष-परोक्ष लाभ हरेक को होगा।

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