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    'सभी मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों ने किया PSA का दुरुपयोग', CM उमर के बयान पर ओवैसी-सज्जाद लोन ने घेरा 

    Updated: Sun, 19 Oct 2025 05:21 PM (IST)

    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पीएसए हटाने के बयान पर नेशनल कान्फ्रेंस घिर गई है। ओवैसी और सज्जाद लोन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के सभी मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों ने जन सुरक्षा अधिनियम का दुरुपयोग किया। उन्होंने सवाल किया कि जब वे हटा सकते थे, तो उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया। लोन ने पुलिस सत्यापन प्रणाली को भी प्रतिशोधात्मक बताया।

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    ओवैसी व सज्जाद लोन ने CM उमर को घेरा। फाइल फोटो 

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा मिलते ही जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) हटाने के बयान के बाद अब राजनीतिक दल नेशनल कान्फ्रेंस को ही इस मुद्दे पर घेरने लगे हैं।

    आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से लेकर पीपुल्स कान्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन तक ने कहा कि पीएसए का जम्मू-कश्मीर के 1978 के बाद के सभी मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों ने दुरुपयोग किया है। वे जब इसे हटा सकते थे, तब किसी ने भी इसे नहीं हटाया।

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    एआइएमआइएमद प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 का प्रत्येक निर्वाचित और अनिर्वाचित सरकार द्वारा दुरुपयोग किया गया है। इस कारण कई लोग दुखी हुए और मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है।ओवेसी ने एक्स पर पोस्ट किया कि सब कुछ लूटा के होश में आए तो क्या किया, दिन में अगर चिराग जलाए तो क्या किया।

    उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला सहित जम्मू-कश्मीर के पिछले मुख्यमंत्री पीएसए को रद्द कर सकते थे और मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोक सकते थे।एआइएमआइएम प्रमुख ने कहा कि तस्करी से निपटने के लिए शेख अब्दुल्ला ने 1978 में पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 लागू किया था। फारूक अब्दुल्ला, जीएम शाह, मुफ्ती सईद, गुलाम नबी आजाद, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सभी जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वे आसानी से पीएसए को हटा सकते थे और अनगिनत कष्टों और मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोक सकते थे।

    ओवैसी ने कहा कि 1978 से जम्मू.कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला के समय से 20 हजार से ज़्यादा लोगों को बिना किसी आपराधिक आरोप, निष्पक्ष सुनवाई या यहां तक कि उचित अपील प्रक्रिया के भी जेल में डाला जा चुका है। कुछ लोगों की नज़रबंदी 7-12 साल तक बढ़ा दी गई थी। एक अलगाववादी को पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया था और जब बाद में उसकी ज़रूरत पड़ी, तो उसे अदालती वारंट जारी कर ज़मानत दे दी गई। अब एक निर्वाचित सरकार है और उसे पीएसए हटाने का विचार आया है।

    पीपुल्स काफ्रेंस के अध्यक्ष और हंदवाड़ा से विधायक सज्जाद गनी लोन ने एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जन सुरक्षा अधिनियम एक सख्त कानून है जिसका जम्मू-कश्मीर के सभी मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों ने बेखौफ होकर इस्तेमाल किया है। लोन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में किसी भी सरकार ने जब वे ऐसा करने की स्थिति में थे, जन सुरक्षा अधिनियम को को निरस्त नहीं किया।

    लोन ने कहा कि जब वे कर सकते थे तब उन्होंने इस सख्त कानून को कभी निरस्त नहीं किया।अब भी वे कभी नहीं करेंगे।उन्होंने कहा कि जब भी जम्मू-कश्मीर केंद्रीय शासन के अधीन था, सभी कश्मीरी मुख्यमंत्रियों और सभी राज्यपालों ने इसका बेखौफ होकर इस्तेमाल किया है।लोन ने कहा कि मुझे कहना होगा कि यह पहली बार है कि देश के बाकी हिस्सों से किसी ने सच कहा है। पूर्व मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पुलिस सत्यापन प्रणाली प्रतिशोधात्मक न्याय पर आधारित है।

    प्रतिशोधात्मक न्याय और सामूहिक दंड पर आधारित कुख्यात पुलिस सत्यापन प्रणाली का इस्तेमाल सभी ने अपने कार्यकाल के दौरान किया।वर्ष 2025 में हमारे पास पाषाण युग का एक कानून है जिसमें पिता या माता द्वारा किए गए अपराध के लिए बेटी या बेटे को दंडित किया जाता है या बेटे या बेटी द्वारा किए गए अपराध के लिए पिता को दंडित किया जाता है। प्रभावित होने वाले रिश्तों की सूची लंबी है। चचेरे भाई द्वारा किए गए अपराध के लिए चचेरे भाई को दंडित किया जाता है।