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    बेटे की लाश घर लाते ही पिता अचेत, उठ जा हर्ष बेटा...फफक-फफक कर रोने लगी मां, कब्र से निकाल डेढ़ माह बाद आया शव

    Updated: Sun, 28 Jul 2024 01:04 AM (IST)

    Harsh Nargotra हर्ष नरगोत्रा का शव चिनाब नदी में डूबकर पाकिस्तान चला गया था। जहां पाकिस्तानी सेना ने हर्ष के शव को दफना दिया था। हर्ष के पिता ने भारत सरकार की मदद से पाकिस्तान से शव को वापस लाने में कामयाब हो गए। अब वे बेटे हर्ष का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से करेंगे। अगर बेटे का शव वापस नहीं आता तो जिंदगी भर दुख रहता।

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    Harsh Nargotra: डेढ़ महीने बाद कब्र से निकालकर हर्ष नगरोत्रा का शव आया भारत।

    संवाद सहयोगी, ज्यौड़ियां। पाकिस्तान के सियालकोट में दफनाए गए ज्यौड़ियां के हर्ष नरगोत्रा का शव कब्र से निकालकर करीब डेढ़ माह बाद शनिवार को सुचेतगढ़ में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तान की सेना ने बीएसएफ के अधिकारियों को सौंपा।

    अपने बेटे का शव लेने के लिए उसके पिता सुभाष चंद्र भी वहां पहुंचे थे। जैसे वे हर्ष का शव लेकर घर के अंदर दाखिल हुए तो वे सुध-बुध खो बैठे और अचेत होकर जमीन पर गिर गए। वहीं, हर्ष की मां संतोष देवी के मुंह से सिर्फ यही आवाज आई कि हर्ष बेटे उठ जा और वे फफक-फफक कर रोने लगीं।

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    11 जून को हर्ष नरगोत्रा ज्यौड़ियां के बकोर गांव में चिनाब दरिया में डूब गया था और उसका शव बहकर पाकिस्तान के सियालकोट पहु्ंच गया, जहां उसे दफना दिया गया था।

    सेना में जाकर देश सेवा करना

    हर्ष के पिता ने बताया कि उन्होंने पहले आस छोड़ दी थी कि उनके बेटे का शव उन्हें मिलेगा, लेकिन सेना के अधिकारियों से मिलकर बड़ी उम्मीद बंधी थी। हर्ष के छोटे भाई शिवम ने बताया कि उनके बड़े भाई का एक ही सपना था कि वह सेना में जाकर देश की सेवा करना चाहते थे।

    इसके लिए वह दौड़ने का अभ्यास करते थे और हमेशा अव्वल आते थे। शिवम ने बताया कि उनके पिता अस्थायी कर्मचारी हैं। उनकी कमाई बहुत सीमित है। हम दोनों भाइयों का यही सपना था कि हम अपने माता-पिता को हर खुशी देंगे, लेकिन भाई मुझे अकेला छोड़कर चले गए।

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    पिता ने भारत सरकार का जताया आभार

    हर्ष नरगोत्रा के पिता सुभाष चंद्र ने कहा कि 43 दिनों के बाद उसका शव पाकिस्तान से जहां पहुंचा है जिसके लिए उन्होंने भारत सरकार सहित मीडिया और सभी लोगों के सहयोग के लिए आभार जताया।

    उन्होंने कहा कि बेटा के चले जाने के बाद अगर उसका शव नहीं मिलता तो जिंदगी भर यही दुख रहता कि वह उसका अंतिम संस्कार सनातन धर्म के अनुसार नहीं कर पाए।

    अब सब मिलने के उपरांत बेटे का अंतिम संस्कार धर्म के मुताबिक कर अस्थियों का विसर्जन हरिद्वार में करने पर मां को शांति जरूर मिलेगी।

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