सेब जैम, कश्मीरी कहवा व मसाला टिक्की... इन उप्तादों से बनीं आत्मनिर्भर; निगहत की 'सफलता' ने महिलाओं को दिखाई नई राह
कश्मीर की निगहत हुसैन ने जैविक उत्पादों से सफलता की कहानी लिखी है। उन्होंने 'सफलता' ब्रांड के तहत सेब का जैम, मसाला टिक्की और कश्मीरी कहवा जैसे उत्पाद बनाए। सरकारी मदद से शुरू किए गए इस कारोबार में वे 20 अन्य लड़कियों को भी रोजगार दे रही हैं। निगहत ने साबित कर दिया कि अवसर मिलने पर लड़कियां भी उद्यमिता में सफल हो सकती हैं।

निगहत हुसैन की 'सफलता' ने महिलाओं को दिखाई नई राह। फोटो जागरण
नवीन नवाज, श्रीनगर। निगहत अर्थात खुशबु। कश्मीर घाटी में पीरपंजाल की पहाड़ियों के बीच स्थित बदरगुं (अनंतनाग) की रहने वाली निगहत हुसैन की 'सफलता' से आज हर कोई प्रभावित हो रहा है।
उनकी सफलता ने अनुसूचित जनजातीय समुदाय की महिलाओं को ही नहीं, उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढ़ने की चाह रखने वाली कश्मीर की हजारों युवतियों को एक नयी राह दिखाई है। सेब का जैम हो या कश्मीरी मसाला टिक्की या फिर कश्मीरी कहवा, अगर उसके पैकेट पर 'सफलता' लिखा है तो स्थानीय ग्राहक बिना किसी संशय के उसे खरीदने में देर नहीं लगाते।
खास बात यह है कि उन्होंने अपने उत्पाद को पूरी तरह से जैविक रखा है और इसमें किसी भी प्रकार के रसायन का उपयोग नहीं किया जाता। सरकारी योजना की मदद से शुरू किए कारोबार में आज निगहत 20 अन्य लड़कियों को भी रोजगार दे रही हैं। कश्मीर के हालात में आ चुके सकारात्मक बदलाव का ही असर है कि आज घाटी के युवा हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं।
निगहत ने स्थानीय स्कूल से मैट्रिक और कालेज से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। उन्होंने कहा, "मैं चाहती थी कि अपना कोई कारोबार शुरू करूं, लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इसे कैसे करूं। इसके अलावा, कारोबार के लिए पूंजी और खरीदारों की भी आवश्यकता होती है।"
निगहत ने कहा कि मैंने देखा कि कश्मीर में सेब की भरपूर उपज होती है और उसका जैम न केवल कश्मीर में, बल्कि बाहर भी बिकता है। उन्होंने महसूस किया कि बाजार में अन्य राज्यों से आयातित सेब का जैम प्रचुर मात्रा में है, लेकिन कश्मीर में स्थानीय सेब का जैम बनाना एक अच्छा अवसर हो सकता है।
अपने भाई की मदद से उन्होंने स्थानीय बाजार में जैम बनाकर बेचना शुरू किया। उन्होंने अपने उत्पाद को पूरी तरह से जैविक रखा और इसमें किसी भी प्रकार के रसायन का उपयोग नहीं किया। उनकी मेहनत का फल मिला और प्रतिक्रिया सकारात्मक रही। हालांकि, काम को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण की आवश्यकता थी।
इस विषय पर घर में चर्चा करते हुए उनके भाई ने बताया कि जम्मू-कश्मीर अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग विकास निगम की कुछ योजनाएं अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए हैं। निगम से संपर्क करने पर उन्हें आसानी से ऋण मिल गया और प्रशिक्षण भी प्राप्त हुआ।
इसके बाद उन्होंने अपने स्टार्टअप को एक पूर्ण जैविक प्रसंस्करण इकाई में बदल दिया, क्योंकि बाजार में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ रही थी। उन्होंने अपने स्टार्टअप का नाम 'सफलता' रखा और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग से संबंधित योजनाओं का लाभ उठाते हुए तीन लाख का ऋण प्राप्त किया। निगहत ने कहा, "बाजार में आप एक उत्पाद पर टिक नहीं सकते, इसलिए मैंने अचार, मसाला टिक्की और कश्मीरी कहवा भी बनाना शुरू किया।
मैंने अपने सभी उत्पाद जैविक रखे और उन्हें घाटी के सभी शहरों और कस्बों में ही नहीं, बल्कि जम्मू संभाग के बाजार में भी उतारा। सरकारी एजेंसियों ने भी प्रदर्शनियों और व्यापार मेलों के माध्यम से उनका सहयोग किया। निगहत ने बताया कि जब उन्होंने अपना काम शुरू किया, तो वे चार-पांच लड़कियां थीं। वे स्वयं बाजार से कच्चा माल लाती थीं, जिसमें सब्जियां, फल और मसाले शामिल थे।
उन्होंने कहा कि कई लोग मुझसे पूछते हैं कि मैंने जैम ही क्यों बनाया। मैंने पहले ही बताया कि कश्मीर में सेब की भरपूर उपज होती है, लेकिन जैम बहुत कम बनाया जाता है और उसकी गुणवत्ता भी एक मुद्दा है। इसलिए मैंने इस मौके का लाभ उठाया। आज, निगहत के साथ 20 लड़कियों का एक दल है।
हमने 'सफलता कार्निवल' प्रदर्शनी आयोजित की। इसमें निगहत हुसैन ने भाग लिया। वहां हमने इनके उत्पादों को लेकर ग्राहकों में जो दिलचस्पी देखी, वह प्रेरक है। निगहत ने दिखाया है कि लड़कियों को अगर मौका मिले तो वह भी उद्यमिता में अपनी पहचान बना सकती हैं।
उन्होंने अपने लिए ही नहीं, अपने गांव में और भी कई लड़कियों के लिए रोजगार का अवसर पैदा किया है। -रणजीत सिंह, प्रबंध निदेशक, जम्मू-कश्मीर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विकास निगम
कश्मीर में सिर्फ लड़कियों के लिए ही नहीं, बल्कि लड़कों के लिए भी बड़ी संभावनाएं हैं। यदि आप यहां फल-सब्जियों पर आधारित कोई भी कारोबार शुरू करें, लेकिन गुणवत्ता का ध्यान रखें, तो वह जरूर सफल होगा। आपको शुरुआत में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन हिम्मत बनाए रखें। -निगहत हुसैन, युवा उद्यमी
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