Amarnath Yatra: भेष बदल कर भी आए तो बच नहीं पाएंगे आतंकी, जबरदस्त सुरक्षा के साथ शुरू होगी अमरनाथ यात्रा
अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन ने कड़े इंतजाम किए हैं। यात्रा मार्ग पर एफआरएस तकनीक से लैस कैमरे लगाए गए हैं जो आतंकियों की पहचान करने में मदद करेंगे। सुरक्षा बलों की 580 से ज्यादा कंपनियां तैनात की गई हैं। यात्रा 3 जुलाई से 9 अगस्त तक चलेगी। पहलगाम और बालटाल मार्गों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। Amarnath Yatra: श्री अमरेश्वर धाम की तीर्थयात्रा में कोई भी आतंकी किसी साधु, सेवा प्रदात्ता या किसी श्रद्धालु के भेष में दाखिल होने का प्रयास करेगा तो वह एफआरएस तकनीक से लैस कैमरों की पकड़ में आ जाएगा। श्री अमरेश्वर धाम जिसे श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा भी पुकारा जाता है, की वार्षिक तीर्थयात्रा को सुरक्षित, शांत और विश्वासपूर्ण वातावरण में संपन्न कराने के लिए प्रदेश प्रशासन और केंद्र सरकार को सभी उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग कर रही है। केंद्रीय अर्धसैन्यबलों की 580 से ज्यादा कंपनियों को यात्रा के सुरक्षा बंदोबस्त में तैनात किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि श्री अमरेश्वर धाम की तीर्थयात्रा 1990 में कश्मीर में आतंकी हिंसा का दौर शुरु होने से ही आतंकियों के निशाने पर रही है और कई बार आतंकियों ने श्रद्धालुओं पर हमले किए हैं।इस वर्ष तीन जुलाई से नौ अगस्त तक चलेगी। यह तीर्थयात्रा दो मार्गों से पहलगाम और बालटाल से होती है।
तीर्थयात्रा के सुरक्षा प्रंबधो को अंतिम रूप देने में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि बैसरन पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जिस तरह से भारत सरकार ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों केा नष्ट किया है, उससे आतंकी संगठन हताश है।
वह जम्मू कश्मीर में हालात बिगाड़ने और पूरे देश में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने के अपने षडयंत्र के तहत इस तीर्थयात्रा में कोई भी गड़बड़ी कर सकते हैं। वह सुरक्षा प्रबंधों में किसी भी चूक का लाभ उठाने की कोशिश करेंगे,इसलिए उनके किसी भी षडयंत्र को विफल बनाने के लिए सभी संभव उपाय किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए किए जा रहे उपायों के तहत ही इस बार पहलगाम और उससे आगे यात्रा मार्ग पर चिह्नित स्थानों पर चेहरे की पहचान करने वाली प्रणाली (एफआरएस) से लैस कैमरों का उपयोग किया जा रहा है।
एफआरएस डिजिटल तस्वीरों या वीडियो से चेहरे की विशेषताओं का विश्लेषण करके और डेटाबेस में मिलान की तलाश करके किसी व्यक्ति की पहचान करता है। जब भी ब्लैक लिस्टेड व्यक्ति निगरानी कैमरों की फ्रेम में आएगा , सुरक्षा बलों को वास्तविक समय के आधार पर उसका पता चलेगा।
उन्होंने कहा कि श्री अमरनाथ यात्रा को पूरी तरह सुरक्षित बनाने और किसी भी आतंकी या उनके ओवरग्राउंड वर्कर को यात्रा मार्ग व श्रद्धालुओं से दूर रखने के लिए, घाटी में सक्रिय सभी आतंकियों, संदिग्ध आतंकियों और ओवरग्राउंड वर्करों की तस्वीरें एफआरएस प्रणाली से लैस कैमरे के डेटा सर्वर में उपलब्ध कराई गई हैं।
अब जैसे ही उनमें से कोई कैमरे के फ्रेम मे आएगा, संबधित नियंत्रण कक्ष में उसी समय एक अलार्म बजेगा और मौके पर तैनात सुरक्षा दस्ता संभावित खतरे को टालने के लिए तत्काल कार्रवाई करने में समर्थ रहेगा।
उन्होंने बताया कि इस प्रणाली को फिलहाल पहलगाम मार्ग पर उपयोग में लाया जा रहा है। सोनमर्ग-बालटाल-पवित्र गुफा मार्ग पर इसे स्थापित करने की संभावना पर विचार किया जा रहाहै। उन्होंने बताया कि यात्रा मार्ग पर सुरक्षाबलों की तैनाती की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है।
तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाने और उनकी निगरानी के लिए रेडिया फ्रीक्वेंसी पहचान तकनीक वाले बैंड भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं। यात्रा मार्गों और आधार शीविरों व लंगर सेवा स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। ड्रोन से भी यात्रा मार्ग की लगातार निगरानी की जा रही है।
खोजी कुत्तों का भी सुरक्षा बंदोबस्त मे इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा यात्रा मार्ग पर चौबीस घंटे सेना व अर्ध सैन्यबलों के जवान व रोड ओपनिंग दस्ते तैनात रहेंगे। किसी भी आधार या यात्री शीविर में सिर्फ यात्रा पंजीकरण दस्तावेज और संबधित प्रशासन द्वारा जारी पहचान व अनुमति पत्र के आधार पर ही प्रवेश मिलेगा।
उन्होंने बताया कि श्री अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा पर की सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं हो सकता। आतंकियों ने नुनवन पहलगाम आधार शीविर में अगस्त 2000 में दो दर्जन अमरनाथ तीर्थयात्रियों सहित 32 लोगों की हत्या की थी।
जुलाई 2001 में एक अन्य हमले में तेरह लोग मारे गए थे, जब आतंकवादियों ने यात्रा के शेषनाग बेस कैंप पर हमला किया था। 2002 में चंदनवाड़ी शीविर पर आतंकी हमले में 11 अमरनाथ यात्री मारे गए थे।

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