Pahalgam Attack: आतंकी हमले के बाद छिन गई पहलगाम की रौनक, बेनूर हो गई वादी; दूर तक पसरा है सन्नाटे
पहलगाम में बैसरन की घटना के बाद से पर्यटकों की कमी हो गई है जिससे वादी में सन्नाटा पसर गया है। होटल खाली हैं दुकानें बंद हैं और स्थानीय लोग परेशान हैं ...और पढ़ें

रजिया नूर, श्रीनगर। वीरवार 22 मई सुबह 9 बजे,पहलगाम वादी -पहाड़ों की ओट से निकले सूरज की किरणें चारों तरफ खड़े देवदार के हरे भरे पेड़ों की औट से निकल पहलाम वादी में बिछी सब्ज मखमली घास पर पड़ रही है। शबनम से तर मखमली घास पर पड़ने वाली सूरज की इन किरणों के देख ऐसा लग रहा है कि जैसे हरी कालीन पर किसी ने चांदी के तार पिरो दिए हो।
वहीं इस वादी के बीचोंबीच बहने वाले लिदर नाले की जलतरंग के साथ साथ कोयल,बुलबुल व मीना की कानों में रस घोलने वाली मधुर आवाजों ने समा बांधा हुआ है। हर दिन की तरह आज भी प्राकृतिक सुंदरता के शाहकार इस पहलगाम की वादी की सुबह मदमस्त कर देने वाली है। लेकिन अफसोस आज यह इस सुंदरता को निहारने वाला कोई नही है। आज यह वादी सुनसान है।
दूर-दूर तक सड़कों पर पसरा है सन्नाटा
आज पहले की तरह लिदर किनारे बैठी पर्यटकों की भीड़ इस सुंदरता को खुद में समेटने के प्रयास करने के लिए मौजूद नहीं है। लिदर अकेला ही अपनी धुन में बहे जा रहा है। होटल खाली, रेस्टोरेंटे व ढाबों के चूल्हे ठंडे है। आज यहां छुरी कांटों का शोर नही और ना ही यहां लजीज खानों का लुत्फ लेते व ठहाके लगाते पर्यटक।
दूर-दूर तक सड़कों पर पसरा सन्नाटा और सन्नाटे को कभी कभी वहां से गुजरने वाली कोई गाड़ी चीर देती। गाड़ी वहां से गुरते ही फिर सन्नाटा पसर जाता और यह नजारा देख दिल में स्कून नही उतरता बलकि दिल दहल जाता है।
आतंकी हमले से बदल गया है बैसरन घाटी की स्थिति
पहलगाम की यह स्थिति बीते एक महीने से लगातार ऐसी ही बनी हुई है। गत महीने 22 अप्रैल दोपहर तक तो यहां मंजर ही कुछ और था। पर्यटकों की उपस्थित इतनी कि घाटी में तिल धरने की भी जगह नही थी। होटल, गेस्टहाउस फुल, रेस्टोरेंटों व ढाबों पर चाय पानी पीने के लिए बारी का इंतजार करना पड़ा था।
घुड़सवारी करने के लिए घोड़ा पौनी मुश्किल से मिल जाता। बेताब वैली, आडू, चंदनवाड़ी जाने के लिए वाहन ढूंढना मशक्कत का काम होता। दुकानदारों को खाना खाने तक की फुर्सत नही थी। लेकिन 22 अप्रैल दोपहर बैसरन में चली गोली ने न केवल पहलगाम बल्कि पूरी घाटी का नक्शा बदल कर रख दिया।
आतंकी हमले के बाद परेशान हैं स्थानीय लोग
पहलगाम मेन मार्केट में स्थित टेक्सी स्टैंड नम्बर 3 के निकट बैंच पर बैठे दो तीन स्थानीय लोगों के चेहरों को देख ऐसे लग रहा है जैसे वह भी अपनी इस वादी की हालत पर मातम कर रहे हो। उनसे बातचीत करने पर पता चला कि उनमें से दो वहीं पर टूरिस्ट टेक्सी चालते थे जबकि एक की पहलगाम मेन बाजार में कपड़ों की दुकान थी।
रऊफ अहमद नामक टेक्सी चालक से जब यह पूछा गया कि वह यहां क्या कर रहा है। उसने रुंधी हुई आवाज के साथ कहा कि अपनी तबाही का मातम मनाने के लिए हम लोग यहां आते हैं।
रऊफ ने कहा, इसका ज्यादा गम नही हमें कि इस घटना से हमारा टूरिज्म ठप हो गया यह तो देर सवेर फिर से पटरी पर आ जाएगा। बल्कि हमें यह दुख चैन से नहीं रहने दे रहा कि बैसरन में हमारे 26 महमानों का खून बहाने वाले आतंकियों ने हमारे माथे को दागदार कर दिया जिसकी अब भरपाई मुशिकल से ही हो सकती है।
स्थानीय लोगों ने और क्या कहा?
रऊफ के साथ ही बैठे जुबैर यतू नामक एक व्यक्ति ने कहा, यकीन ही नहीं होता कि यह हमारा वहीं पहलगाम है जो इन दिनों हमारे महमानों से खचाखच भरा रहता था। बाजार की तरफ इशारा करते हुए जुबैर ने कहा, आप खुद देखिए बाजार का हाल। सब कुछ ठप है। मेरी यहां मेन मार्केट में दुकान है।
यहीं पास के गांव लारीपोरा में रहता हूं। उस घटना के बाद से हमारी दुकानें लगातार बंद है। करने के लिए कोई काम नहीं है। घर में बेकार बैठे-बैठे वहशत हो जाती है। बस हर रोज मैं यहां चला आता हूं और यहां बैठकर हम एक दूसरे के साथ अपनी परेशानियां बांट दिल को थोड़ा हल्का करते हैं।
वहीं बैठे लियाकत नामक एक और टेक्सी चालक ने कहा,मैं 47 साल का हूं। बीते 16 वर्षों से मैं यहां टूरिस्ट टेक्सी चलाता हूं। मैंने अपनी जिंदगी में यहां कभी ऐसी हालत नही देखी, हालांकि 2008 में अमरनाथ लैंड रोड के दौरान भी यहां टूरिस्ट आए, 2010 व 2016 में भी टूरिस्ट नहीं रुके। लेकिन बैसरन ने कश्मीर को हिला कर रख दिया।
लियाकत ने कहा कि आतंकियों ने जो कुछ किया, उसे हम कश्मीरी कभी नही भूल सकते। उन्होंने हमारे उन मासूम मेहमानों के खून से अपने हाथ रंग उनके परिवारों को न भरने वाले जख्म दिए जबकि हमारे परिवारों के मुंह से भी निवले छीन लिए।
बैसरन की घटना के बाद चरमरा गया है पर्यटन उद्योग
बता देते हैं कि बैसरन घटना के बाद से घाटी का पर्यटन उद्योग पूरी तरह से चरमरा गया है। इस घटना के फौरन बाद यहां मौजूद 95 प्रतिशत पर्यटकों ने वापसी की राह ली। आज एक महीना गुजरने के बाद भी स्थिति बिलकुल जस की तस बनी हुई है।
पहलगाम, गुलमर्ग व सोनमर्ग समेत घाटी के अधिकांश पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों के न होने के चलते वीरानी छाई हुई है। इस सिथिति के चलते उद्योग से जुड़े लाखों लोगों की स्थिति दयनीय हो गई हैं। वहीं पर्यटन विभाग ने भी स्वीकारा है कि इस घटना से उक्त क्षेत्र बुरी तरह से चरमरा रहा है।
विभाग का कहना है कि क्षेत्र को पटरी पर आने में समय लगेगा। उन्होंने यह भी कहा है कि पर्यटकों को फिर से घाटी की तरफ आकर्षित करने के लिए कड़े प्रयास किए जाएंगे।

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