Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चार महीनों में 3200 किलोमीटर पैदल चल अमरनाथ पहुंचे यशवंत, बोले- यह सिर्फ तीर्थयात्रा नहीं, सनातन संस्कृति का है प्रतीक

    Updated: Sat, 19 Jul 2025 01:22 PM (IST)

    मध्य प्रदेश के यशवंत नामक एक युवा भक्त लगभग 3200 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके अमरनाथ धाम की ओर बढ़ रहे हैं। अयोध्या हरिद्वार और ज्योतिर्लिंग मंदिरों के दर्शन के बाद अब वह बालटाल के रास्ते अमरनाथ गुफा जाएंगे। यशवंत का कहना है कि यह यात्रा सनातन परंपरा और भारतीयता का प्रतीक है। उनका उद्देश्य देश में शांति और विकास के लिए प्रार्थना करना है।

    Hero Image
    अमरनाथ यात्रा सांस्कृतिक एकता का जीवंत प्रमाण है।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। भोले के भक्त जितने जीवट हैं, उतने ही सादे। उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता कि बारिश हो रही है या आसमान में सूरज तप रहा है। पैरों में छाले हैं या कधों पर कोई बोझ।

    बस उन्हें सिर्फ देवों के देव महादेव के दर्शनों की चाह रहती है और यही चाह यशवंत को समुद्रतल से लगभग 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरेश्रर धाम की तरफ लेकर जा रही है। लगभग 3200 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुए यशवंट काजीगुंड, कश्मीर पहुंचे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    धर्मपताका और कंधे पर एक भारी थैला उठाए यशवंत ने कहा कि थैले में मेरा कुछ सामान है। भगवान शंकर के दर्शन करने हैं, वह इस सृष्टि के देव हैं, वह नीलकंठ हैं जिन्होंने विष का प्याला पीकर इस सृष्टि को बचाया है। मैं अगर उनके लिए पैदल चला हूं तो यह कुछ भी नहीं है।

    चार माह पहले मैने अपनी यात्रा शुरु की थी और अयोध्या, हरिद्वार और ज्योतिर्लिंग मंदिरों के दर्शन करने के बाद अब मैं श्री अमरनाथ की गुफा के दर्शन करने के लिए जा रहा हूं। वही गुफा जिसमें भगवान शंकर ने मां पार्वती को अमरकथा सुनाई थी।

    यशपंत ने कहा कि मैं पिछले चार महीनों से पैदल यात्रा कर रहा हूं। अब मैं आखिरकार पवित्र गुफा पहुंचने वाला हूं। मैं बालटाल के रास्ते पवित्र गुफा तक जाऊंगा। उन्होंने कहा कि यह तीर्थयात्रा सिर्फ तीर्थयात्रा नहीं है, यह हमारी सनातन परम्परा का प्रतीक, यह भारतीयता का प्रतीक है।

    मैंने अगर देश के विभिन्न राज्यों में विभिन्न तीर्थस्थलों की यात्रा की है और पैदल चला हूं तो मैं कहूंगा कि आप कार या घोड़े से दुनिया की सैर कर सकते हैं, लेकिन आप लोगों और संस्कृतियों को उनके बीच चले बिना सही मायने में नहीं समझ सकते।

    उन्होंने रास्ते में मिले गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि यात्रा के दौरान उन्हें कोई बड़ी परेशानी नहीं हुई। यशवंत ने कहा, "पवित्र गुफा पहुंचने के बाद मैं देश में शांति और विकास के लिए प्रार्थना करूंगा।"

    श्री अमरेश्वर धाम की तीर्थयात्रा एक आंतरिक शुद्धिकरण है, जहां हर थकान, हर दर्द, हर कठिनाई बाबा बर्फानी के नाम पर अर्पण कर दी जाती है। अमरनाथ यात्रा केवल एक तीर्थयात्रा नहीं, बल्कि एक जीवंत प्रमाण है उस सांस्कृतिक एकता का, जिसने विविधताओं से भरे भारत को एक धागे में पिरो रखा है और यशवंत जैसे भोले शंकर भक्त इसी परम्परा के वाहक हैं।

    comedy show banner
    comedy show banner