जम्मू-कश्मीर में समाज सुधार के नाम पर फैलाया जा रहा आतंकी एजेंडा, कुवैत से लेकर तुर्किए तक फैला है जाल
श्रीनगर में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई समाज सुधार के नाम पर कश्मीर में आतंक फैलाने में लगी है। आईएसआई ने कार्यकर्ताओं का नेटवर्क बनाया है जो महिला सशक्तीकरण और पर्यावरण संरक्षण के नाम पर राष्ट्रविरोधी एजेंडे को बढ़ावा दे रहे हैं। ये कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर अलगाववादी सोच का समर्थन करते हैं और भारत की नकारात्मक छवि पेश करते हैं।

नवीन नवाज, श्रीनगर। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और उसके पाले हुए आतंकी संगठन अब समाज सुधार के नाम पर कश्मीर में आतंक और अलगाववाद के विचारों के पोषण में जुटे हैं।
पाकिस्तानी हैंडलरों ने ऐसे तथाकथित कार्यकर्ताओं का नेटवर्क तैयार कर लिया है, जो कभी महिला सशक्तीकरण और कभी पर्यावरण संरक्षण की आड़ लेकर राष्ट्रविरोधी एजेंडे को हवा देते हैं। यह कार्यकर्ता इंटरनेट मीडिया से लेकर अन्य मंचों का धड़ल्ले से प्रयोग करते हैं और राष्ट्रविरोधी गतिविधियां चलाते हैं।
एक तरफ यह कश्मीर में अलगाववादी सोच के समर्थन में खड़े दिखते हैं और साथ ही भारत की नकारात्मक छवि देश-दुनिया में गढ़ने में जुटे रहते हैं। इनका नेटवर्क कश्मीर से लेकर कुवैत व तुर्किये में फैला है। आरोपितों में व्यापारी, सरकारी कर्मी से लेकर युवा शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस की काउंटर इंटेलिजेंस-कश्मीर (सीआईके) इकाई ने शनिवार को इस नेटवर्क से जुड़े ठिकानों पर दबिश दी और सात लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में भी लिया गया है।
इनमें एक सरकारी कर्मी भी बताया जाता है। श्रीनगर, अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां, हंदवाड़ा, कुपवाड़ा और बारामुला में की गई छापेमारी में कुछ आपत्तिजनक डिजिटल सुबूत बरामद हुए हैं और मोबाइल फोन, सिमकार्ड और अन्य उपकरण भी जब्त किए गए हैं।
सीआईके के अनुसार, इस मामले की शुरुआत वर्ष 2023 में हुई थी। उस समय यह कुछ लोगों द्वारा इंटरनेट के दुरुपयोग का मामला नजर आ रहा था, लेकिन जांच आगे बढ़ी तो आतंकवाद और अलगाववाद के पोषक सामाजिक कार्यकर्ताओं की आड़ में इंटरनेट जिहादियों की एक नई फौज खड़ी करने के षड्यंत्र सामने आया। अब चिह्नित तत्वों के घरों की तलाशी लेते हुए शिकंजा कसा गया है।
पाकिस्तान में आतंकी हैंडलरों के संपर्क में थे
जांच में स्पष्ट हुआ कि आरोपित अलगाववादी इंटरनेट मीडिया के माध्यम से पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के हैंडलर के साथ लगातार संपर्क में थे और और उनके एजेंडे के मुताबिक, भारत के खिलाफ दुष्प्रचार, झूठी बातें फैलाकर युवाओं को कट्टरपंथी बनाकर और जम्मू-कश्मीर में शांति भंग करने की कोशिश कर रहे थे।
सामाजिक बदलाव के नाम पर मीडिया, इंटरनेट मीडिया, मानवाधिकार, पर्यावरण और महिला सशक्तीकरण से जुड़े प्लेटफार्म का इस्तेमाल राज्य की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों के लिए करते हैं।
कारोबारी व स्वास्थ्यकर्मी के घर ली तलाशी
सीआईके ने तलाशी लिए घरों व हिरासत में लेने वाले आरोपियों के नामों की पुष्टि नहीं की है, लेकिन सूत्रों ने बताया कि बारामुला में तुफैल अहमद खान और जाहिद अहमद डार के घर की तलाशी ली गई है। तुफैल इन दिनों कुवैत में है, जबकि जाहिद कारोबारी है। श्रीनगर में गुलाम मोहम्मद हजारी के घर से मोबाइल फोन व दो सिमकार्ड जब्त किए गए हैं।
उसे भी हिरासत में लेने की सूचना है। पुलवामा में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत मुख्तार अहमद को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। हंदवाड़ा में सुहेल रमजान गनई के घर को खंगाला गया। वह पहले भी आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों में लिप्त रहा है और कुछ समय पहले ही जमानत पर रिहा हुआ है।
आईएसआई पहले भी चलाती थी ‘खेल’
कश्मीर में आतंकी और अलगाववादी एजेंडे को जिंदा रखने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई पहले भी तथाकथित पत्रकारों और बुद्धिजीवियों का इस्तेमाल करती रही है। वह इनका इस्तेमाल दुनियाभर में कश्मीर के मुद्दे पर भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में करती आई है। कई हवाला व आतंकियों की मदद करने के आरोप में पकड़े गए हैं।
खुर्रम परवेज नामक एक कथित मानवाधिकारवादी कुछ वर्ष से जेल में है। मोहम्मद अहसान उंतु हवाला मामले में पकड़ा जा चुका है। कथित पत्रकार इरफान मेहराज भी अलगाववादी एजेंडे को आगे चलाता था। आसिफ सुल्तान भी अलगाववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए जेल जा चुका है।
आईएसआई का षड्यंत्र नाकाम
एसपी रैंक के एक अधिकारी ने बताया कि सोशल एक्टिविस्टों के नाम पर तैयार की जा रही जिहादी तत्वों की एक नई फौज खड़ी करने के आईएसआई के षड्यंत्र को नाकाम कर दिया गया है। जब्त किए गए डिजिटल सुबूतों से साजिश के और भी साक्ष्य मिलने की उम्मीद है। और गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं।
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