India-Pakistan Conflict: अस्पताल की आड़ में आतंक का केंद्र चला रहा था पाकिस्तान, भारतीय सेना ने किया तबाह
Hizbul Mujahideen Terror Camp Destroyed भारतीय सेना ने सियालकोट में हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद के अस्पताल की आड़ में चल रहे लॉन्चिंग पैड को नष्ट कर दिया। इस ठिकाने का इस्तेमाल जम्मू में आतंकी नेटवर्क को पुनर्जीवित करने के लिए किया जा रहा था जिसकी कमान इरफान टांडा संभाल रहा था। यहां आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जाता था और घुसपैठ कराई जाती थी।

नवीन नवाज, श्रीनगर। सियालकोट में अस्पताल की आड़ में हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद द्वारा चलाए जा रहे लॉन्चिंग पैड को भी भारतीय सेना ने मंगलवार की रात को तबाह कर दिया। इसकी कमान 26 जनवरी 1995 को जम्मू के मौलाना आजाद स्टेडियम में आइईडी धमाकों को अंजाम देने वाले इरफान टांडा उर्फ मेजर इरफान ने संभाल रखी थी।
यही वही जगह है, जहां से हिजब और लश्कर के एक दस्ते ने पाकिस्तानी रेंजरों के साथ मिलकर सितंबर 2018 में रामगढ़(सांबा) सेक्टर में एक बैट हमला किया था। पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई इस कैंप का इस्तेमाल जम्मू प्रांत में विशेषकर कठुआ और सांबा में आतंकी नेटवर्क को फिर से तैयार करने के लिए कर रही थी।
भारत ने कोटली में स्थित आंतकियों का लॉन्चिंग पैड किया तबाह
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, मंगलवार को भारतीय सेना की कार्रवाई में सियालकोट के कोटली में स्थित हिजबुल मुजाहिदीन व जैश-ए-मोहम्मद का संयुक्त कैंप व लॉन्चिंग पैड मेहमूना जोया भी तबाह हो गया है। संबधित सूत्रों ने बताया कि यह लॉन्चिंग पैड अंतरराष्ट्रीय सीमा से ज्यादा दूर नहीं है और यह एक सरकारी अस्पताल के साथ सटा हुआ है।
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उन्होंने बताया कि इस कैंप में हथियारों की ट्रेनिंग, भारत में घुसपैठ और बैट हमलों के लिए आने वाले जैश व हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों को अस्पताल परिसर में बने क्वार्टरों में ही ठहराया जाता था। अस्पताल परिसर में एक वार रूम भी बनाया गया था।
सूत्रों ने बताया कि इस कैंप की कमान हिजबुल मुजाहिदीन का पाकिस्तानी कमांडर इरफान खान उर्फ इरफाना टांडा उर्फ मेजर इरफान संभाल रहा था। इरफान ने वर्ष 1993 से लेकर 1995 के अंत तक जम्मू प्रांत में विशेषकर जम्मू शहर और उसके साथ सटे इलाकों में कई बम धमाको को अंजाम दिया है। वह सांबा, रामगढ़ और अरनिया व निक्की तवी इलाके से आतंकियों की सुरक्षित घुसपैठ का जिम्मा संभालता है।
1995 में मौलाना आजाद स्टेडियम में हुआ था आईईडी धमाका
इसके अलावा वह सांबा, रामगढ़, अरनिया के इलाकों में ड्रोन के जरिए हथियार व अवैध नशीले पदार्थों को पहुंचाता है, जिन्हें आगे कश्मीर में सक्रिय आतंकियों व उनके ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क तक ले जाया जाता है।
उन्होंने बताया कि 26 जनवरी 1995 को मौलाना आजाद स्टेडियम में गणतंत्र दिवस समारोह के समय हुआ आईईडी धमाका भी उसका ही कृत्य रहा है। इस हमले में आठ लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी। जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल केवी राव इस धमाके में बाल-बाल बचे थे। वह जहां खड़े होकर भाषण दे रहे थे, वहां से कुछ ही दूरी पर एक आईईडी लगाई गई थी।
मेजर इरफान कुछ समय बाद जम्मू-कठुआ राष्ट्रीय राजमार्ग पर पकड़ा गया था, लेकिन वह अक्टूबर 1998 में कोट भलवाल जेल से अपने दो अन्य साथियों संग फरार हो गया था। सूत्रों ने बताया कि सांबा और रामगढ़ सेक्टर में भारतीय सीमा में बैट कार्रवाई के लिए पाकिस्तानी सेना के कमांडो दस्ते के साथ जो आतंकी शामिल होते हैं, वह भी इसी कैंप से निकलते थे।

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