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    अनुच्छेद 370 हटने के 6 साल: जम्मू-कश्मीर में विकास की गंगा, शिक्षा-स्वास्थ्य और निवेश समेत इन सेक्टरों में चमत्कारी बदलाव

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 06:00 AM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद शासन बुनियादी ढांचे और नागरिक भागीदारी में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ी है शिक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा मिला है और करोड़ों का निवेश हुआ है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक चालू होने से कनेक्टिविटी बेहतर हुई है और पर्यटन को बढ़ावा मिला है। सरकार का दावा है कि इससे विकास और शांति की नींव रखी गई है।

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    शासन, बुनियादी ढांचे और नागरिक भागीदारी में हुआ बदलाव।

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के छह साल पूरे हो रहे हैं। इन वषों में यहां शासन, बुनियादी ढांचे और नागरिक भागीदारी में एक परिवर्तनकारी बदलाव हुआ है।

    जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने की राजनीतिक बहस जारी रहने के बावजूद सरकार का रुख जन कल्याण, लोकतांत्रिक सुदृढ़ीकरण और आर्थिक पुनरुद्धार में ठोस सुधारों पर रहा है।

    जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ा परिवर्तन लोकतांत्रिक भागीदारी में वृद्धि के रूप में हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के इंसानियत, जम्हूरियत, कश्मीरियत के सिद्धांत से प्रेरित होकर इस क्षेत्र में स्थानीय पंचायत चुनावों में मतदान प्रतिशत में 70 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

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    अनुच्छेद 370 हटने के बाद वर्ष 2020 में जिला विकास परिषद के चुनाव पहली ज़मीनी लोकतांत्रिक प्रक्रिया थी जिसके बाद नगरपालिका और पंचायत चुनाव हुए। 2024 के राज्य विधानसभा चुनावों ने राजनीतिक भागीदारी को और मजबूत किया जिसमें दक्षिण कश्मीर के सरपंचों सहित युवाओं और महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी रही।

    शिक्षा, स्वास्थ्य को बढ़ावा

    इन वषों में शिक्षा और स्वास्थ्य को भी बढ़ावा मिला है। आईआईटी जम्मू स्थापित हुआ। एम्स विजयपुर में मरीजों का इलाज हो रहा है जबकि एम्स अवंतीपोरा के 2025 के अंत तक चालू होने की उम्मीद है। रियासी में भी एक मेडिकल कालेज खुल गया है।

    इस क्षेत्र ने दूरदराज के इलाकों से यूपीएससी उत्तीर्ण छात्र तैयार किए हैं और रोजगार मेलों ने स्टार्टअप्स को गति दी है। कई महिलाएं इन स्टार्टअप को चला रही हैं।

    करोड़ों का निवेश

    सरकारी आंकड़े 2019 के बाद 80000 करोड़ रुपये के निवेश का संकेत देते हैं जिसमें रोजगार और उद्यमिता को लक्षित करने वाली योजनाएं शामिल हैं। बुनियादी ढांचे के विकास में तेज़ी आई है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक अब पूरी तरह से चालू है।

    यह घाटी को शेष भारत से जोड़ता है। ज़ोजि ला सुरंग 2026, ज़ेड मोड़ सुरंग और बनिहाल-काज़ीगुंड सड़क सुरंग जैसी परियोजनाएं भी गतिशीलता को बढ़ा रही हैं।

    डिजिल पहुंच बढ़ी

    मार्च तक भारतनेट के तहत 9789 फ़ाइबर टू द होम कनेक्शन चालू किए जा चुके हैं जिससे डिजिटल पहुंच में सुधार हुआ है। पर्यटन में तेज़ी आई है और 2024 में यूनेस्को द्वारा श्रीनगर को विश्व शिल्प नगरी का दर्जा दिया गया है।

    श्रीनगर के लिए दैनिक उड़ानें 2019 में 35 से बढ़कर 2024 में 125 हो गई हैं।इको-टूरिज्म, हेरिटेज होमस्टे और कारीगरों द्वारा संचालित अनुभव रिकार्ड स्तर पर लोगों को आकर्षित कर रहे हैं और स्थानीय आजीविका में योगदान दे रहे हैं।

    हालांकि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता बनी हुई है। सरकार का दावा है कि इस कानून के निरस्तीकरण ने जम्मू-कश्मीर में समावेशी विकास, लोकतांत्रिक नवीनीकरण और दीर्घकालिक शांति की नींव रखी है।