घुसपैठ की फिराक में 40 आतंकी, LoC से सटे इलाकों में लॉन्चिंग पैड एक्टिव; क्या पहलगाम के बाद एक और अटैक की तैयारी?
ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाकर कश्मीर में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने के लिए सीमा पर आतंकियों की घुसपैठ कराने की साजिश रच रहा है। लगभग 40 आतंकी लॉन्चिंग पैड पर मौजूद हैं जिन्हें घुसपैठ कराने की कोशिश की जाएगी। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां भी घुसपैठ रोकने के लिए तैयार हैं और अपनी रणनीति को बेहतर बना रही हैं।

नवीन नवाज, श्रीनगर। ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाई पाकिस्तान की सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कश्मीर में मरनासन्न आतंकवाद को जिंदा करने के लिए आतंकियों की बड़े पैमाने पर घुसपैठ का षडयंत्र रचा है।
इस षडयंत्र के तहत उसने एलओसी के साथ सटे इलाकों में जम्मू-कश्मीर व पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी नए लॉन्चिंग पैड सक्रिय किए हैं। लगभग 40 आतंकी इन लॉन्चिंग पैड पर हैं, जिन्हें अगले दो माह के दौरान जम्मू-कश्मीर में सुरक्षित घुसपैठ कराने की कोशिश होगी।
पाकिस्तानी सेना के षडयंत्र को विफल बनाने के लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने भी अपने घुसपैठरोधी तंत्र का नियमित आकलन कर उसे आवश्यक्तानुसार और बेहतर बनाना शुरू कर दिया है। संबधित सूत्रों के अनुसार, राजौरी-पुंछ और बारामुला-कुपवाड़ा व गुरेज में एलओसी के पार पाकिस्तानी सेना के निगरानी में लगभग एक दर्जन नए लॉन्चिंग पैड बीते एक माह के दौरान शुरू हुए हैं।
इसके अलावा जम्मू में जिला सांबा में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार लूनी और बड़ा बाबा मसरुर में भी दो नए लॉन्चिंग पैड शुरू होने की सूचना है। प्रत्येक लॉन्चिंग पैड पर दो से तीन आतंकी हैं। इनमें से अधिकांश के बारे में कहा जा रहा है कि यह पाकिस्तानी सेना के विशेष दस्ते के एसएसजी के साथ कुछ दिनों तक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।
इन आतंकियों में अधिकांश पाकिस्तानी पंजाब और गुलाम जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं जबकि कुछ के कश्मीरी होने का भी दावा किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो घुसपैठ के लिए लॉन्चिंग पैड पर वही कश्मीरी आतंकी माौजूद है, जो विगत कुछ वर्षों के दौरान घाटी में अचानक लापता हो गए या फिर पासपोर्ट के आधार पर पाकिस्तान गए थे।
उन्होंने बताया कि राजौरी-पुंछ और उत्तरी कश्मीर में एलओसी के पार पाकस्तानी सेना की निगरानी में लॉन्चिंग पैड पर मौजूद आतंकियों को उनके हैंडलर व पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई अक्टूबर-नवंबर में ही घुसपैठ कराने की फिराक में है। उनके हैंडलरों का प्रयास है कि सर्दियों में हिमपात होने से पहले ही उन्हें कश्मीर में स्थित उनके सेफ हाउस तक पहुंचाया जा सके।
सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में दाखिल कराए जाने वाले विदेशी आतंकियों को सिर्फ सुरक्षाबलों पर हमले या किसी विशेष स्थान पर हमले तक सीमित रखा जाएगा। उन्हें स्थानीय आतंकियों को किसी सेफ हाऊस, बाग या जंगल में प्रशिक्षित कर, उन्हें लक्षित हत्याओं और सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड हमले जैसी वारदातों में इस्तेमाल करने को कहा गया है।
गाइडों के बजाय ड्रोन और जीपीएस मदद सूत्रों की मानें तो घुसपैठ के लिए तैयार आतंकियों को एलओसी व अंतरराष्ट्रीय सीमा सुरक्षित तरीके से पार कराने के लिए उनके हैंडलर और पाकस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई टोह लेने के लिए ड्रोन का सहारा ले रही है और इन्हें अपने ठिकानों व ओवरग्राउंड वर्कर तक पहुंच बनाने के लिए जीपीएस के इस्तेमाल के अलावा मैट्रिक्स कोड प्रदान किए गए हैं।
गाइडों का प्रयोग कम से कम किया जाएगा और उन्हें किसी खास मिशन के लिए तैयार गुट को या फिर किसी प्रमुख आतंकी कमांडर की सुरक्षित घुसपैठ को सुनिशक्ति बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
नार्को टेरर मॉडयूल का भी लिया जाएगा सहारा
जम्मू प्रांत में और पंजाब में सक्रिय अवैध नशीले पदार्थो के तस्करों को जो मुख्यत जम्मू प्रांत के जिला कठुआ-सांबा में और पजांब के जिला गुरदासपुर व पठानकोट में सक्रिय हैं, को भी आतकियों की सुरक्षित घुसपैठ के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, इन्हें सीमा पार से आने वाले आतंकयों को अपने नेटवर्क के जरिए जम्मू-कश्मीर के विभिन्न इलाकों में सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सर्दियों से पहले घुसपैठ की कोशिशों में बढ़ोत्तरी होती है, क्योंकि हिमपात के कारण घुसपैठ के परम्परागत रास्ते बंद हो जाते हैं। आतंकियों द्वारा अपनी रणनीति बदलने की जानकारी भी है। इसे देखते हुए हमने भी उन्हें नाकाम बनाने और मार गिराने की अपनी व्यापक रणनीति तैयार कर रखी है।
घुसपैठरोधी तंत्र की लगातार समीक्षा कर उसे संबधित एजेंसियां लगातार बेहतर बना रही हैं। गत अगस्त और इसी माह के दौरान पुंछ, उड़ी व गुरेज में घुसपैठ के प्रयास हुए, जिन्हें सफलतापूर्वक नाकाम बनाया गया है, लेकिन यह बताते हैं कि आने वाले समय में घुसपैठ बढ़ेगी।
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