टूरिज्म नहीं, कश्मीर मसले के लिए पत्थर उठा रहे नौजवान
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने बुधवा
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि कश्मीरी नौजवान टूरिज्म के लिए पत्थर नहीं मार रहा, वह कश्मीर मसले के हल के लिए पत्थर उठा रहा है। जो युवा पैलेट सह रहा है, अपनी जान दे रहा है, वह टूरिज्म के लिए नहीं दे रहा। वह चाहता है कि लोगों की मर्जी के मुताबिक कश्मीर मसला हल हो। उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी मध्यस्थता का भी समर्थन किया।
फारूक यहां गुपकार रोड स्थित पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। डॉ. फारूक ने प्रधानमंत्री की गत रविवार को ऊधमपुर रैली का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी को शायद पता नहीं है कि यहां का नौजवान क्या चाहता है। यह सही है कि पर्यटन हमारे लिए बहुत जरूरी है, लेकिन जो पत्थर फेंकने वाला है, उसे टूरिज्म से कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि रिजक (खाना देना वाला) देने वाला अल्लाह है, जिस दिन वह रिजक बंद करेगा तो उस समय मोदी चाहे पूरे ¨हदोस्तान का रिजक लेकर आएं, वह किसी के गले के नीचे नहीं उतार पाएंगे।
डॉ. अब्दुल्ला ने पीडीपी और भाजपा के गठजोड़ की निंदा करते हुए कहा कि इस समय पूरे देश में सांप्रदायिक ताकतें हावी हो रही हैं। मुस्लिमों को दबाया जाने लगा है, लेकिन हम इन ताकतों को मुकाबला करेंगे। उन्हें अपना दीन मुबारक, हमें अपना दीन मुबारक । हमने उनके दीन के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया, बल्कि खुद फारूक अब्दुल्ला ने उनके दीन के भजन गए हैं, लेकिन आरएसएस अब माहौल बिगाड़ रहा है।
कश्मीर मसले पर भारत-पाक में बातचीत पर जोर देते हुए डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि आपने भी सुना होगा कि अमेरिका अब भारत-पाक में कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करना चाहता है। हालांकि ¨हदोस्तान ने कभी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता नहीं मानी है, लेकिन अब पानी बहुत बह गया है और इस मुद्दे पर कोई आशाजनक बातचीत नहीं हुई है। अगर ¨हदोस्तान इस मसले पर पाकिस्तान से बातचीत कर इसे उस मंजिल तक नहीं पहुंचाता जहां से हमारी मुसीबत दूर हो तो हम चाहेंगे कि अमेरिका इसमें मध्यस्थता करे। नेकां अध्यक्ष ने कहा कि अगर भारत-पाक यह मसला हल नहीं कर सकते तो अमेरिका को दोनों के बीच सहयोग करना चाहिए। अन्यथा दोनों के बीच एटमी जंग का खतरा है।
बता दें कि फारूक श्रीनगर संसदीय सीट के लिए नौ अप्रैल को होने वाले उपचुनाव में नेकां-कांग्रेस के साझा उम्मीदवार हैं।
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