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    धंस रहा जिला पुंछ का कालाबन गांव: पहाड़ी ढसाल पर बसे इस गांव में 70 से अधिक मकान क्षतिग्रस्त, लोगों में दहशत

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 01:14 PM (IST)

    राजौरी जिले के पुंछ में मेंढर तहसील के कालाबन गांव में जमीन धंसने से 70 मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं जिनमें दो स्कूल भी शामिल हैं। गांव को जाने वाली सड़क भी टूट गई है। प्रशासन ने प्रभावित लोगों को टेंट दिए हैं और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।

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    ग्रामीणों का कहना है कि उनका खूबसूरत गांव अब तबाह हो गया है।

    जागरण संवाददाता, राजौरी। पुंछ जिला में पहाड़ी ढलान पर बसा गांव कालाबन, आज संकट में है। लगातार बारिशों के बाद 1300 की आबादी और करीब 200 घरों वाले इस गांव की जमीन लगातार धंस रही है। पिछले 10 दिन में दो सरकारी स्कूलों के साथ करीब 70 घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।

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    इन घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं। इसके साथ गांव की तरफ जाने वाली सड़क भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है और जमीन का धंसना जारी है। ग्रामीणों की सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन ने कुछ परिवारों को आसपास के गांवों में सुरक्षित इमारतों में ठहराया है, जबकि कुछ टेंटों में रात गुजार रहे हैं।

    जहां उनके लिए खाने व अन्य प्रबंध किए गए हैं। प्रशासिनक अधिकारी पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। कालाबन सिर्फ अकेला गांव प्रभावित नहीं हुआ है, इस बरसात में कई जिलों में पहाड़ों पर जमीन धंसने से सैकड़ों घर व भवन क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।

    मेंढर तहसील का कालाबन गांव पहाड़ की गोद में बसा होने के कारण काफी खूबसूरत माना जाता है, लेकिन पिछले दस दिन में गांव में जमीन लगातार धंसती जा रही है। इसके साथ पहाड़ों से मलबा भी लगातार गिर रहा है। इससे घरों में दरारें लगातार बढ़ती जा रही हैं। इसे देखते हुए प्रशासन ने गांव खाली करवाना शुरू कर दिया है।

    गांव में दो स्कूल भी दरारें आने से बंद कर दिए गए हैं। प्रभावित करीब 70 घरों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है। अब गांव पूरी तरह वीरान नजर आने लगा है। गांव में दाखिल होने में भी डर लगता है, क्योंकि गांव के कुछ क्षेत्र में तार लगाकर लोगों को वहां जाने से मना कर दिया गया है।

    ग्रामीण बोले-दिन-रात काम कर बनाए घर तबाह हो गए 

    गांव के रहने वाले मोहम्मद रहमान और बशीर अहमद ने बताया कि हमारा गांव स्वर्ग से कम नहीं था। अब मकान पूरी पूरा तबाह हो चुका है। बचे मकान भी अब सुरक्षित नहीं है। सभी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। हमें रहने के लिए टेंट दिए गए हैं। लेकिन हम लोगों ने दिन रात मेहनत करके जो मकान बनाए थे, वह अब मलबे में तबदील हो चुके हैं। अब हम इस काबिल नहीं हैं कि फिर से अपने मकान बना सकें। सरकार व प्रशासन को चाहिए की वह हम लोगों को रहने के लिए मकान दें, ताकि हम फिर से अपने घरों में जा सकें।

    करीब 70 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। इन घरों में रहने वाले सभी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रखा गया है। प्रशासन इन लोगों की हर संभव मदद कर रहा है। इन लोगों को किसी भी प्रकार की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। -इमरान रशीद कटारिया, एसडीएम मेंढर

    चार जिलों में ही 500 से अधिक मकान जमीन धंसने से हो चुके क्षतिग्रस्त

    बरसात के इस सीजन में लगातार वर्षा की वजह से जम्मू संभाग के चार पहाड़ी जिलों में ही जमीन धंसने से अब तक 500 से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। राजौरी से पंजनाड़ा गांव में 30 से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हुए थे, किसानों की जमीन भी प्रभावित हुई थी। इसके अलावा रेहयान, खवास, मंगलनाढ़, गंभीर मुगला, चौकियां दरहाल, बडाल, केवल आदि गांवों में भी जमीन धंसने के कारण लोगों का काफी नुकसान हुआ। ऊधमपुर जिला के लाटी, पंचैरी, रामनगर, चिनौनी और रामबन जिला के गूल भी इससे प्रभावित है।