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    भारत-पाक LoC पर एक दरगाह जो पाक सेना के निशाने पर, लेकिन फिर भी सुरक्षित: जानिए क्या है इसकी सुरक्षा का राज?

    By Gagan Kohli Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Fri, 12 Dec 2025 04:18 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के राजौरी में भारत-पाक LoC पर स्थित एक दरगाह, पाक सेना के निशाने पर होने के बावजूद सुरक्षित है। नियंत्रण रेखा पर होने वाली गोलीबारी के बी ...और पढ़ें

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    नियंत्रण रेखा से सटे नंब गांव के हिंदू एकता की एक अनोखी मिसाल हैं।

    जागरण संवाददाता, राजौरी। नियंत्रण रेखा (एलओसी) की बाड़ के ठीक आगे और झंगड़ सेक्टर में भारतीय सेना की अग्रिम चौकियों के ठीक पीछे स्थित इस दरगाह के सामने और कुछ दूरी पर स्थित रिज लाइन पर पाकिस्तानी सेना की चौकियों का वर्चस्व है। यह दरगाह नंब गांव में स्थित है जहां सभी लोग हिंदू धर्म के हैं और वह ही इस दरगाह की देखरेख करते हैं।

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    हैरान करने वाली बात यह है कि यह दरगाह हमेशा ही पाक सेना के निशाने पर भी रही है। जब भी इस क्षेत्र में संघर्ष विराम का उल्लंघन होता है तो सबसे अधिक गोलाबारी इस दरगाह के आसपास ही होती है, लेकिन आज तक न तो दरगाह का कोई नुकसान हुआ और न ही आसपास रहने वाले लोगों का।

    नंब गांव के 77 वर्षीय ईश्वर दास ने कहा मेरे पूर्वज इस दरगाह के भक्त थे और मैं उस विरासत को जारी रख रहा हूं और यह दरगाह हमारे लिए सबसे सम्मानित दरगाहों में से एक है। उन्होंने कहा कि इलाके की पूरी आबादी हिंदू समुदाय से आती है और हममें से हर कोई इस दरगाह का ख्याल रखता है।

    सेना भी करती है दरगाह के रखरखाव में सहयोग

    उन्होंने ने कहा कि सेना भी इस दरगाह के रख-रखाव के लिए बहुत प्रयास करती है और यहां उपलब्ध सभी बुनियादी ढांचा सेना इकाइयों द्वारा प्रदान किया गया है।

    दरगाह की दीवारों पर झाड़ू-पोंछा कर रही 70 वर्षीय सोमा देवी ने कहा कि यह उनकी नियमित जिम्मेदारी है। सोमा देवी ने कहा, इस दरगाह की सफाई करना और सभी पहलुओं से इसकी देखभाल करना यहां रहने वाले सभी हिंदुओं की जिम्मेदारी है। उन्होंने गांव के सोम राज की सराहना करते हुए कहा कि वह इस दरगाह के रख-रखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

    दरगाह पर दूर-दूर से मन्नत मांगने आते हैं लोग

    दरगाह के पास एक दुकानदार ने कहा कि यह दरगाह किसी भी धार्मिक सीमा को नहीं जानती है। राजौरी के पलमा गांव की रहने वाली 65 वर्षीय नूर बी पत्नी मुनीर हुसैन अपने गांव से 70 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करके दरगाह पर पहुंचीं। वृद्ध नूर बी ने कहा, मैंने इस दरगाह पर मन्नत मांगी थी और वह पूरी हो गई और अब मेरा पूरा परिवार यहां मत्था टेकने आया है। ग्रामीण ने कहा, इलाके में नियंत्रण रेखा पर तैनात सैनिक भी यहां मत्था टेकते हैं।

    दरगाह में ही हर खुशी मनाते हैं हिंदू परिवार

    दरगाह के आसपास रहने वाले परिवारों के सदस्य कोई भी खुशी का कार्य इसी दरगाह से आरंभ करते है। स्थानीय लोगाें में इस दरगाह के प्रति काफी आस्था है और लोग श्रद्धा के साथ दरगाह में आकर सेवा करते है। समय समय पर दरगाह पर भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। जिसमें अन्य गांवों के लोग भी आकर लंगर प्रसाद ग्रहण करते है।