Jammu Politics: पहाड़ी आरक्षण के बाद कई नेताओं के भाजपा में शामिल होने की चर्चा, बुखारी बोले- अभी नहीं
पहाड़ियों के लिए अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का बिल लोकसभा में पास होने का भाजपा को राजौरी पुंछ में सीधा फायदा होने का अनुमान है। कयास लग रहे हैं कि कांग्रेस पीडीपी नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) को आने वाले दिनों में कुछ झटके लग सकते हैं और पहाड़ी आरक्षण पर भाजपा के सुर में सुर मिलाते दिखे नेता औपचारिक तौर पर कमल थाम सकते हैं।

राजौरी,जागरण संवाददाता। पहाड़ियों के लिए अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का बिल लोकसभा में पास होने का भाजपा को राजौरी पुंछ में सीधा फायदा होने का अनुमान है। कयास लग रहे हैं कि कांग्रेस, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) को आने वाले दिनों में कुछ झटके लग सकते हैं और पहाड़ी आरक्षण पर भाजपा के सुर में सुर मिलाते दिखे नेता औपचारिक तौर पर कमल थाम सकते हैं। अनुमान है कि कुछ नेता अगले एक पखवाड़े में औपचारिक तौर पर भाजपा में शामिल हो जाएंगे।
इनमें पिछले वर्ष नेकां छोड़ चुके पहाड़ी नेता ओर पूर्व विधायक मुश्ताक अहमद बुखारी अहम है। बुखारी दो बार सुरनकोट से विधायक रहने के साथ पहाड़ी सलाहकार बोर्ड के उपसभापति भी रह चुके हैं। सुरनकोट सीट उन नौ विधानसभा क्षेत्रों में एक है, जिन्हें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रखा गया है। इसके अलावा पीडीपी और कांग्रेस के कई दिग्गज नेता अपनी अपनी गोटियां बिछाने में जुट गए हैं।
इन नेताओं ने खुलकर भाजपा में जाने की घोषणा नहीं की है और बुखारी भाजपा का आरक्षण के लिए आभार तो जता रहे हैं पर पार्टी में शामिल होने की चर्चाओं को नकार रहे हैं। हालांकि वह यह कहने से नहीं चूकते कि भाजपा ने अपना वादा पूरा किया है और अब बारी पहाड़ियों की है कि वह अपना वादा निभाएं।
यहां बता दें कि मुश्ताक बुखारी ने 22 फरवरी 2022 को नेशनल कांफ्रेंस से इस्तीफा देते हुए कहा था कि नेकां नेतृत्व पहाड़ियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के मुद्दे पर गंभीरता नहीं बरत रहा है। उसके बाद पहाड़ी आरक्षण के मुद्दे पर लगातार भाजपा नेताओं के संपर्क में रहे और दिल्ली में पहाड़ी आरक्षण की आवाज बुलंद करते रहे। कयास लग रहे थे कि वह आरक्षण बिल के बहाने भाजपा के कमल को थाम सकते हैं।
अब आरक्षण का सपना साकार होता दिख रहा है तो एक बार उनके साथ कई अन्य पहाड़ी नेताओं के भाजपा में जाने की चर्चाएं फिर गर्म हैं। फिलहाल मुश्ताक बुखारी का कहना है कि जिन्होंने हमें हमारा हक दिया है, हम उनके साथ है और हमेशा साथ रहेंगे। इससे यह बात साफ है कि वह भाजपा में शामिल हो जाएंगे। वहीं दूसरी तरफ राजौरी व पुंछ दोनों जिलों के कई नेता जो लंबे समय से कांग्रेस, पीडीपी व नेकां में रहकर पहाडी जनजाति के हक की बात करते आ रहे थे, वह नेता भी कई भाजपा नेताओं के संपर्क में हैँ।
भाजपा में जा नहीं रहा, प्रचार करता रहूंगा : बुखारी
मुश्ताक बुखारी ने कहा कि भाजपा ने हमारी एक बड़ी मांग पूरी की है। हमें अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया है। मैंने पहले ही कहा था कि मैं उसका साथ दूंगा जो हमारी यह मांग पूरी करेगा। लेकिन मैं भाजपा में अभी शामिल नहीं होने जा रहा हूं। अगर होना होता तो में नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा का सदस्य बनकर ही आता। हां, मैं भाजपा के पक्ष में प्रचार करुंगा और जब वोटों की बारी आएगी तो कोशिश करूंगा कि सभी पहाड़ी भाजपा को ही वोट दें।
इसीलिए अहम हैं पहाड़ी आरक्षण
पहाड़ी आबादी राजौरी व पुंछ जिलों में 65 प्रतिशत के आसपास है और दोनों जिलों की आठ विधानसभा सीटें भाजपा के मिशन 50प्लस के लिए अहम हैं। इन दोनों जिलों की पांच सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई हैं। आठ में से दो सीटों को छोड़ दें तो अन्य पर पारंपरिक तौर पर भाजपा का खास प्रभाव नहीं रहा। इसके अलावा नवगठित राजौरी-अनंतनाग लोकसभा क्षेत्र में भी यह पहाड़ी वोटर खासा भूमिका अदा करने वाले हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।