Jammu News: किश्तवाड़ और कठुआ आपदाओं के बाद CM उमर ने की बैठक, नदी-नालों के किनारे बस्तियां बसाने पर लगाएं रोक
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने किश्तवाड़ चशोती और कठुआ में बादल फटने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए स्पष्ट मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) अपनाने और संवेदनशील क्षेत्रों का मूल्यांकन करने की आवश्यकता पर बल दिया। उमर अब्दुल्ला ने बाढ़ संभावित क्षेत्रों में बस्तियों को रोकने और पर्यावरण के अनुकूल विकास योजनाओं को बढ़ावा देने का सुझाव दिया।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को किश्तवाड़ चशोती और कठुआ में बादल फटने की घटनाओं के संदर्भ में महत्वपूर्ण सलाह दी। उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए हमें अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्रों के लिए स्पष्ट मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और दिशानिर्देशों को अपनाना होगा।
प्राकृतिक आपदाओं के दृष्टिकोण से संवेदनशील इलाकों का समग्र मूल्यांकन करते निवारक तंत्र का निर्माण करना आवश्यक है। बाढ़ की दृष्टि संवेदनशील नदी-नालों के किनारे बस्तियों के बसने पर रोक लगानी होगी। पर्यावरण के अनुकूल विकास योजनाओं को आगे बढ़ाना होगा।
यह बातें उमर ने सचिवालय में चिशोटी किश्तवाड़ और कठुआ के बादल फटने और बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में जारी राहत एवं पुनर्वास कार्यों की समीक्षा बैठक में उपस्थित अधिकारियों को संबोधित करते हुए कही।
मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित पक्षों को राहत प्रयासों को युद्ध स्तर पर तेज करने के निर्देश दिए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील क्षेत्रों के लिए मध्यम व दीर्घकालिक आपदा न्यूनीकरण योजना तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अधिकारियों से त्वरित राहत सहायता, आवश्यक सेवाओं की बहाली और संवेदनशील क्षेत्रों को बार-बार होने वाली प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया।
उमर ने कहा कि चशोती में चाहे बादल फटा हो या हिमनद झील के फटने से बाढ़ आई हो, यह त्रासदी उस समय हुई जब वहां साल का सबसे व्यस्त समय होता है। इस दौरान देश-विदेश से लोग वहां आते हैं। यदि यह घटना साल के किसी अन्य माह में होती, तो शायद इतने बड़े पैमाने पर जानी नुकसान नहीं होता। यह एक ऐसा सबक है जिसे हमें हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। मौसम विभाग ने यात्रा के खिलाफ चेतावनियां जारी की थीं, लेकिन उन पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी प्राथमिकता राहत व पुनर्वास कार्य होने चाहिए। दीर्घकालिक प्राथमिकता विशेषज्ञों द्वारा संवेदनशील क्षेत्रों का समग्र मूल्यांकन, कृषि भूमि की सुरक्षा, बाढ़-प्रवण नालों के किनारे बस्तियों को रोकना और निवारक तंत्र का निर्माण होना चाहिए।
राहत कार्यों की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से, 33 लोग अभी भी लापता हैं, इसलिए यह मान लेना उचित है कि हम उनमें से किसी को भी जीवित नहीं पाएंगे। हमारी प्राथमिकता शव निकालकर उनके परिवारों को सौंपना है। जिन लोगों के घर और आजीविका तबाह हो गए हैं, उनका पुनर्वास भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
उन्होंने क्षतिग्रस्त घरों के पुनर्निर्माण, कृषि भूमि की बहाली और आवश्यक सेवाओं के प्रविधान में हर संभव सरकारी सहायता का आश्वासन दिया। संबंधित विभागों को निर्देश दिया कि वे प्रभावित क्षेत्रों में सड़क संपर्क बहाल होने तक बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जनरेटर की व्यवस्था सहित अस्थायी उपाय करें।
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