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    राजौरी में गैस्ट्रोएंटेराइटिस-डायरिया से दो लोगों की मौत के बाद पांच झरने सील

    Updated: Wed, 02 Jul 2025 05:22 PM (IST)

    राजौरी प्रशासन ने गैस्ट्रोएंटेराइटिस और डायरिया के कारण हुई मौतों के बाद पांच झरनों को सील कर दिया है। जाँच में दो झरनों में ई-कोली बैक्टीरिया पाया गया। अधिकारियों ने निवासियों को झरनों का पानी इस्तेमाल न करने की सलाह दी है। राजौरी डीसी ने प्रभावित गांव का दौरा किया और पानी के नमूने लिए।

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    प्राकृतिक झरने का फाइल फोटो। दो मौतों के बाद राजौरी प्रशासन ने पांच झरनों को सील कर दिया।

    डिजिटल डेस्क, जम्मू। राजौरी प्रशासन ने जिले में पिछले सप्ताह गैस्ट्रोएंटेराइटिस और डायरिया से हुई दो लोगों की मौत और 40 से अधिक लोगों के बीमार होने के कारण पांच झरनों को सील कर दिया है। इन झरनों के आसपास रहने वाले लोगों को भी सूचित कर दिया गया है कि वे इन झरनों के पानी का इस्तेमाल न करें।

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    अधिकारियों ने बताया कि कोटरंका सब डिवीजन के धार सकरी गांव में स्थित झरनों को एहतियात के तौर पर सील कर दिया गया है। पानी की जांच करने पर इनमें से दो में ई-कोली नामक बैक्टीरिया पाया गया है जो आंत, मूत्र मार्ग और शरीर के अन्य भागों में संक्रमण का कारण बन सकता है।

    वहीं राजौरी के मुख्य चिकित्सा अधिकारी मनोहर लाल राणा ने बताया कि पिछले पांच दिनों में सकरी से गैस्ट्रोएंटेराइटिस और डायरिया के करीब 40 मामले सामने आए हैं जबकि पास के त्राला गांव से भी एक मामला सामने आया है। इनमें दो पीड़ितों जिनमें सकरी की सह-रुग्णता से पीड़ित 75 वर्षीय महिला और त्राला की तीव्र निर्जलीकरण और बहु-अंग विफलता से पीड़ित 40 वर्षीय महिला ने बीमारी से हाकर दम तोड़ दिया।

    अधिकारियों ने बताया कि गैस्ट्रोएंटेराइटिस के रिपोर्ट किए गए मामलों के मद्​देनजर राजौरी डीसी अभिषेक शर्मा ने वाटर टेस्टिंग लेबोरेटरी के कर्मचारियों, चिकित्साकों सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ प्रभावित गांव का दौरा किया और प्राकृतिक झरनों (बावली) के साथ नल से जरिए सप्लाई हो रहे पानी के नमूने एकत्र किए। परीक्षण करने पर दो झरनों में ई-कोली वायरस पाया गया जबकि नल के पानी को उपभोग के लिए सुरक्षित घोषित किया गया।

    इस पूरी जांच प्रक्रिया में कुल पांच झरनों को सील कर दिया गया और उसके पानी को पीने योग्य बनाने के लिए कहा गया। एहतियाती उपाय के रूप में जिला प्रशासन ने एक सार्वजनिक स्वास्थ्य सलाह जारी की है जिसमें निवासियों से अनुपचारित झरने के पानी का उपयोग न करने की हिदायत दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि जिन गांवों में प्राकृतिक झरने हैं और वहां के लोग उनका इस्तेमाल पीने के तौर पर कर रहे हैं तो वे नजदीकी जल शक्ति विभाग के कार्यालय में जाकर पानी की जांच करवाएं। गंभीर बीमारी से बचने के लिए केवल सुरक्षित, उपचारित पानी का सेवन करने का ही इस्तेमाल करें।

    अधिकारियों ने बताया कि इस घटना के बाद पूरे जिले में असुरक्षित जल स्रोतों से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। जब तक इन झरनों का पानी पीने योग्य नहीं हो जाता तब तक प्रभावित आबादी के लिए सुरक्षित जल आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।