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    करोड़ों खर्च कर लगाए ट्यूबवेल, फिर भी नहीं मिल रहा किसानों को पानी; सीमावर्ती गांवों के किसान परेशान

    Updated: Tue, 17 Jun 2025 09:57 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के हीरानगर में सीमावर्ती गांवों के किसान सिंचाई की समस्या से जूझ रहे हैं। आठ साल पहले लगाए गए ट्यूबवेल अभी तक चालू नहीं हो पाए हैं जिससे ...और पढ़ें

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    जर्जर हालत में हैं ट्यूबवेल (फोटो- जागरण)

    संवाद सहयोगी, हीरानगर। अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों में सिंचाई के लिए लगाए गए ट्यूबवेल पिछले आठ वर्षों से बंद पड़े हुए हैं। हालांकि, इन ट्यूबवेलों पर बिजली कनेक्शन के साथ मशीनरी भी लगी हुई है। पंप हाउस भी बने हैं। इसके बावजूद किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा।

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    दरअसल, हीरानगर के सीमावर्ती गांवों में रावी तवी सिंचाई नहर का पानी नहीं पहुंचता है। भूमि उबड़-खाबड़ होने की वजह से किसान वर्षा के पानी पर ही निर्भर है। पूर्व सरकार ने आठ साल पूर्व कडियाला, चक चंगा, करोल माथरियां, खनक सपालमा, बोबिया में ट्यूबवेल लगाए थे।

    वर्तमान में हालात यह है कि कडियाला और चक चंगा ट्यूबवेलों पर तो अभी तक पंप हाउस, नाले भी नहीं बनवाए गए और अन्य गांवों में पंप हाउस, नाले भी बने हैं। फिर भी संबंधित विभाग ने ट्यूबवेल चालू नहीं किया। नतीजा करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा।

    किसानों का कहना है कि आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार विभिन्न कृषि योजनाएं लागू कर करोड़ों रुपये भी खर्च कर रही है, लेकिन संबंधित विभागों की लचर कार्यप्रणाली के चलते किसान कड़ी मेहनत करने के बावजूद अपनी आर्थिक तंगी को दूर नहीं कर पा रहे। अगर सिंचाई विभाग सिंचाई की उचित व्यवस्था करे तो किसान धान, सब्जियां उगाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।

    किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए सरकार ने कृषि योजनाएं तो लागू कर रखी हैं। किसान भी कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन संबंधित विभागों की लचर कार्यप्रणाली की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं हो पाया। सीमावर्ती गांवों में आठ साल पूर्व सिंचाई के लिए लगाए गए ट्यूबवेल अभी तक चालू नहीं हो पाए हैं। करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद किसान आसमानी पानी पर ही निर्भर है। संबंधित विभाग को इन ट्यूबवेलों को जल्द चालू करना चाहिए।

    - मनोहर लाल, कडियाला।

    सीमा पर हजारों कनाल भूमि वर्षों से तारबंदी के आगे खाली पड़ी हुई है। जिसमें खेती नहीं हो रही और जो थोड़ी बहुत पीछे बची हुई है, उसमें सिंचाई नहीं होती। करोड़ों रुपये खर्च कर लगाए गए ट्यूबवेल भी वर्षों से बंद पड़े हुए हैं। जिन्हें चालू करने की प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार किसान मांग कर चुके हैं। फिर समस्या हल नहीं हुई।

    - तिलक राज, स्थानीय निवासी।

    सीमावर्ती गांवों में सिंचाई के लिए ट्यूबवेल लगाने से किसानों में उम्मीद जगी थी कि वह अपनी थोड़ी भूमि पर सिंचाई कर सब्जियां, धान व बागवानी कर अपनी आमदनी बढ़ा सकेंगे, लेकिन सिंचाई विभाग की अनदेखी की वजह से ट्यूबवेल लगाने पर खर्च किया गया करोड़ों रुपये भी बेकार साबित हो रहा है। सरकार को इन ट्यूबवेलों को चालू करवाना चाहिए, तभी किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।

    - रोशन लाल।

    सीमावर्ती गांवों में सिंचाई के लिए लगाए गए ट्यूबवेलों को चालू करवाने की किसानों ने उनसे भी मांग की थी। सिंचाई विभाग के उच्चाधिकारियों से पता करेंगे कि अभी तक इनसे सिंचाई शुरू क्यों नहीं हो रही।

    - विजय कुमार शर्मा, विधायक, हीरानगर।