जिसका खेत, उसकी रेत पॉलिसी की आड़ में पंजाब खनन माफिया का जम्मू-कश्मीर के हिस्से पर कब्जे का प्रयास
पंजाब के खनन माफिया 'जिसका खेत, उसकी रेत' नीति का गलत इस्तेमाल करते हुए जम्मू-कश्मीर के इलाके पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। वे सीमावर्ती क्षेत्रो ...और पढ़ें

यह मामला पंजाब सरकार की नीति की आड़ में हो रहा है, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ सकता है।
अजय मीनिया, कठुआ। जिसका खेत उसकी रेत पॉलिसी की आड़ में पंजाब का खनन माफिया जम्मू-कश्मीर के हिस्से पर कब्जा करने का प्रयास कर रहे हैं। हद तो यह है कि जब इसे रोकने के लिए वीरवार को कठुआ के डीएमओ मौके पर पहुंचे तो खनन तस्कर पंजाब की पॉलिसी की धौंस दिखाने लगे तो उन्होंने कहा कि वे अपने क्षेत्राधिकार में खनन कर रहे हैं।
उनकी पॉलिसी अनुमति देती है कि वे अपने खेत से खनन कर सकते हैं। जबकि ये पॉलिसी बाढ़ की वजह से जमा होने वाली सिल्ट निकालने तक सिमित है। साथ ही नदी किसी का खेत नहीं हो सकती। इस पर संज्ञान लेते डीएमओ वीरेंद्र सिंह ने पठानकोट के डीएमओ से बात कर इसकी जानकारी दी। साथ ही ये भी कहा कि वे अपने राजस्व विभाग की टीम को मौके पर लेकर आएं और पंजाब और कठुआ के हिस्से की सीमा तय करें।
डीएमओ ने पठानकोट के डीएमओ को ये लिखित में भी लिखा है। डीएमओ ने बताया कि उन्होंने इसके बारे कठुआ के डीसी को भी जानकारी दे दी है। उन्हें लिखित में भी भेजा है कि राजस्व विभाग की एक टीम को उनके साथ रावी नदी के पास भेजा जाए। जहां पंजाब और कठुआ की सीमा तय की जाए। इस समय कुछ पिल्लर लगे हुए हैं। जिससे स्पष्ट नहीं है कि कौन सा हिस्सा कठुआ का है और कौन सा पंजाब का।
इसी का लाभ उठाकर वहां के खनन माफिया हमारे क्षेत्राधिकार में अवैध रूप से खनन कर रहे हैं। जो कि किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एक दो दिन में ही पंजाब और कठुआ दोनों की सीमा तय की जाएगी ताकि अवैध खनन को रोका जा सकेगा।
पूरे जिले को संभाल रहे 8 कर्मी, जरूरत 200 की
डीसी कठुआ ने एक महीना पहले कठुआ के रावी, सहार खड्ड समेत कई नदी नालों के महत्वपूर्ण पुलों के आसपास दो किलोमीटर तक के दायरे में खनन पर रोक लगा दी थी। इस आदेश के बावजूद इन जगहों पर अवैध खनन जमकर हो रहा है। लेकिन इस पर कार्रवाई करने में खनन विभाग को पसीना निकालना पड़ रहा है।
दरअसल, पूरे जिले की खनन विभाग की कार्यप्रणाली 8 कर्मियों के सहारे है। जबकि जरूरत कम से कम 20 कर्मियों की है। डीएमओ कठुआ वीरेंद्र सिंह का कहना है कि हमने खनन विभाग मंत्रालय को लिखित में कर्मियों की संख्या बढ़ाने की मांग की है।
बाढ़ से उबरने के लिए बनी थी पालिसी
बीते अगस्त में भारी बारिश और बाढ़ की वजह से पंजाब और कठुआ दोनों में ही बड़े स्तर पर तबाही मची। लोगों के घरों में मलबा जमा हो गया। खेतों भी मलबा जमा हो गया।
पंजाब सरकार ने लोगों को खेतों से मलबा हटाने के लिए जिसका खेत, उसकी रेत नीति बनाई। जिसके तहत बाढ़ प्रभावित किसान अपने खेतों से बाढ़ के कारण जमा हुई रेत और मिट्टी को बिना परमिट के निकाल और बेच सकते हैं।
यह नीति बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई करने और खेतों को फिर से खेती के लायक बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, जिसके तहत किसान इस रेत को बेचकर आर्थिक लाभ भी कमा सकते हैं। लेकिन इसकी आड़ में माफिया खनन कर रहे हैं।
पहले शुल्क लगाकर की मनमानी
बता दें कि अभी एक महीना पहले ही पठानकोट के डीएमओ ने एक आदेश जारी कर कठुआ से पंजाब की तरफ जाने वाले रेत, बजरी, पत्थर के ट्रैक्टर ट्राली और डंपरों पर शुल्क लगाया। ट्रैक्टर ट्राली पर एक फेरे का एक हजार और डंपर टिप्पर पर 3 हजार रुपये का शुल्क लागू कर दिया गया। इसकी वजह से कठुआ के स्टोन क्रशर मालिकों ने पंजाब में माल भेजना ही बंद कर दिया था। इस आदेश को पंजाब की अदालत में चुनौती भी दी गई है।

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