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    भारत-पाक बॉर्डर पर कुछ बड़ा होगा! एक तरफ गेहूं की कटाई तो दूसरी तरफ बंकरों की सफाई, पहलगाम हमले के बाद सीमा पर तनाव

    पहलगाम हमले (Pahalgam Terrorists Attack) के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को देखते हुए हीरानगर सेक्टर के सीमावर्ती ग्रामीण तैयारी में जुटे हैं। किसान गेहूं की कटाई में तेजी दिखा रहे हैं और बंकरों की सफाई कर रहे हैं। लगभग 70 प्रतिशत कटाई हो चुकी है। लोग बंकरों में खाने-पीने का सामान इकट्ठा कर रहे हैं। हालांकि कई बंकरों में अभी भी बुनियादी सुविधाओं की कमी है।

    By rajinder mathur Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Wed, 30 Apr 2025 03:56 PM (IST)
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    एक तरफ गेहूं की कटाई तो दूसरी तरफ हो रही बंकरों की सफाई।

    संवाद सहयोगी, हीरानगर। पहलगाम (Pahalgam Terrorists Attack) में पर्यटकों के नरसंहार के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात को देखते हुए हीरानगर सेक्टर के सीमावर्ती ग्रामीण किसी भी हालात के लिए तैयारी में तेजी से जुटे हैं।

    एक तरफ गेहूं की कटाई युद्ध स्तर पर चल रही है, तो दूसरी ओर बंकरों की साफ-सफाई का काम चल रहा है। अभी तक 70 प्रतिशत क्षेत्र में कटाई हो चुकी है। पंजाब से आई दर्जनों कंबाइन मशीन हीरानगर सेक्टर के विभिन्न गांवों में दिन-रात कटाई में जुटी हुई हैं।

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    किसान जल्द से जल्द फसल को समेटना चाहते हैं। क्योंकि यह उनकी छह माह की मेहनत है। कटाई के साथ ही पशुओं के लिए भूसे की मांग भी बढ़ गई है। क्योंकि हाथों से कटाई नहीं होने से अब किसान रीपर से भूसा तैयार करवाते हैं।

    बंकरों में खाने-पीने की वस्तुओं को इकट्ठा कर रहे लोग

    जितनी तेजी से कटाई का काम इस समय चल रहा है। उसे देख लगता है कि अगले तीन दिन में कटाई का काम पूरा हो जाएगा। वहीं, आतंकी हमले के बाद उपजे हालात को देखते हुए हुए लोगों ने अपनी सुरक्षा प्रबंध भी कर लिए हैं। खास कर घर में बनाए गए बंकरों में साफ-सफाई कर उनमें रोशनी और अन्य खाने-पीने की वस्तुओं को भी इकट्ठा करना शुरू कर दिया है।

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    हालांकि, अधिकांश लोगों के बंकर अभी तक पूरी तरह मुकम्मल नहीं हुए हैं। कुछ के रोशनदान को जालियां आदि नहीं लगी। कुछ में बिजली की फिटिंग करना भी बाकी है। शौचालय और पानी की व्यवस्था नहीं है। इस कारण उन्हें परेशानी हो सकती है। यह लोगों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

    2000 रुपये ट्राली बिक रहा भूसा

    कंबाइन की निस्बत कम रीपर आने की वजह से पशुपालकों को 2000 रुपये ट्राली के हिसाब से भूसा खरीदना पड़ रहा है। वहीं, सरकार ने गेहूं का रेट इस बार 2425 रुपये प्रति क्विंटल तय कर रखा है। मंडियों में जाने के बजाय किसान खेतों से ही 2500 रुपये क्विंटल गेहूं की बिक्री कर रहे हैं। किसान मंडियों के बजाय खेतों से अनाज बेच कर रहे हैं, ताकि उनकी घरेलू जरूरतें पूरी हो जाएं।

    जिस तरह के हालात बने हुए हैं। पाकिस्तान खामोश बैठने वाला नहीं है। कोई न कोई नापाक हरकत जरूर करेगा। मौजूदा हालात को देखते हुए बंकरों में सभी बुनियादी सुविधाएं जल्द से जल्द मुहैया करवानी चाहिए।

    - शाम लाल स्थानीय निवासी।

    दोनों देशों में उपजे तनाव के बावजूद किसान बुलंद हौसले से कटाई में जुटे हैं। अनाज की बिक्री भी खेतों से ही रो रही है और मंडी से रेट भी ज्यादा मिल रहा है। अगले कुछ दिनों में काम मुकम्मल हो जाएगा।

    - बिट्टू सैनी, स्थानीय निवासी

    गांव में लोगों की सुरक्षा के लिए घर में बंकर तो बने हैं, लेकिन अधिकांश घर में शौचालय नहीं है। पहले भी गोलीबारी के कारण गांवों में काफी नुकसान हुआ था। प्रशासन को बिजली-पानी की व्यवस्था के साथ ही शौचालयों का निर्माण भी करवाना चाहिए।

    मोहन लाल, पूर्व सरपंच मनियारी

    सीमावर्ती क्षेत्र में गेहूं की कटाई का 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। लोंडी गांव में कंबाइन कम आने से कटाई का काम धीमा चल रहा था। उनकी टीम ने क्षेत्र का दौरा कर गांव के लिए दो कंबाइन उपलब्ध करवाई हैं। इससे जल्द काम निपट जाएगा।

    - विनोद शर्मा, एईओ, कृषि विभाग हीरानगर

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