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    अगले 15 वर्ष तक कठुआ शहर में नहीं होगी पानी की किल्लत, 38 करोड़ की परियोजना का रास्ता साफ, जानिए क्या है योजना

    By Ajay Kumar Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Fri, 12 Dec 2025 06:19 PM (IST)

    कठुआ शहर में अगले 15 वर्षों तक पानी की किल्लत नहीं होगी। 38 करोड़ रुपये की एक परियोजना को मंजूरी मिल गई है, जिससे शहर की जल आपूर्ति में सुधार होगा। इस ...और पढ़ें

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    शहर के स्थानीय और प्रवासी लोगों को मिलाकर करीब 1.5 लाख लोगों को लाभ होग।

    अजय मीनिया, कठुआ। शहरवासियों के लिए एक बड़ी राहत देने वाली और खुशखबरी है। अगले 15 वर्ष तक शहर से पीने के पानी की समस्या खत्म होने जा रही है। 2040 तक की अनुमानित जनसंख्या को ध्यान में रखकर बनाई गई 38 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी मिल गई है। जिसका बाकायदा टेंडर जारी कर दिया गया है।

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    टेंडर जारी होने के बाद इसे अलाट भी कर दिया गया है। संभव है कि अगले एक दो हफ्तों में इस परियोजना पर काम शुरू हो जाए। इस परियोजना के तहत 7 नए ट्यूबेल, 5 नए ओवरहेड टैंक बनेंगे। 4 पुराने ओपरहेड टैंक ठीक किए जाएंगे। 7 नए पंप रूम, 7 ऑपरेटर रूम और 7 ही बिजली के सब स्टेशन बनेंगे।

    6 ट्यूबेलाें की सुरक्षा के लिए चेन लिंकिंग बनेगी। सबसे खास बात यह है क नए ट्यूबेलों के साथ फ्लोमीटर लगा लगाया जाएगा। जिससे पूरा हिसाब रहेगा कि कितना पानी निकला और कितना आगे सप्लाई किया गया।

    पानी सप्लाई की पाइपें 60 फीसदी पुरानी हैं

    पानी की सप्लाई वाली मुख्य लाइनों और वितरण सभी पुरानी पाइपों को बदला जाएगा। इससे कठुआ के स्थानीय और प्रवासी लोगों को मिलाकर करीब 1.5 लाख लोगों को लाभ होगा। मौजूदा समय में शहर में पीने के पानी की जरूरत के हिसाब से 30 फीसदी की कमी रहती है। खासकर जो इलाके क्षेत्र स्थापित हुए हैं। इसके अलावा शहर में पानी सप्लाई की पाइपें 60 फीसदी पुरानी हैं। जिनकी वजह से कई जगह लीकेज की वजह से पानी नहीं पहुंच पाता।

    शहर के शिवपुरी जैसे कई इलाके हैं, जहां अब भी दूसरे दिन या फिर दिन में एक बार पीने का पानी पहुंचता है। नई परियोजना के तहत यह सारी समस्याएं खत्म होंगी और पीने के पानी की समस्या खत्म होगी। नई परियोजना के तहत शहर में बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने की वजह से क्षतिग्रस्त ढांचे को भी ठीक दिया जाएगा। कई जगहों पर ट्यूवेल क्षतिग्रस्त हैं। कईयों का पानी लीक करता है। कई जगहाें पर पानी की पुरानी पाइपों की वजह से गंदा पानी लोगों को सप्लाई होता है। यह समस्या भी दूर होगी।

    टेंडर में हेरोफेरी से अटका मामला

    बता दें कि इस परियोजना को कई महीने पहले ही शुरू हो जाना था। लेकिन टेंडरिंग प्रक्रिया में हेराफेरी से मामला लटक गया। दरअसल, 38 करोड़ रुपये की इस परियोजना के लिए पांच लोगों ने टेंडर भरा था। जिनमें से एक ठेकेदार को टेंडर मिल गया। जिसने 38 करोड़ का काम 24 करोडृ में करने की बोली लगा दी। जब सवाल उठा कि इतने पैसों का काम कम पैसों में कैसे होगा। पता चला कि ठेकेदार ने दस्तावेजों से छेड़छाड़ कर टेंडर अपने नाम किया। इसके बाद टेंडर को खारिज कर दिया गया। अब दोबारा से टेंडर जारी किया। अब एक नए ठेकेदार को टेंडर दिया गया है।

    लखनपुर, नगरी में शुरू हो चुका काम

    बता दें कि इसी तरह की परियोजना लखनपुर, नगरी के लिए भी है। लखनपुर के लिए 4.5 करोड़ और नगरी के लिए 12 करोड़ की परियोजना है। जिसका काम शुरू हो चुका है। जिससे इन क्षेत्रों में 20240 तक पीने के पानी की किल्लत को खत्म करने की लक्ष्य है। हालांकि इसी परियोजना के साथ कठुआ की परियोजना भी शुरू होनी थी। क्योंकि चीफ इंजीनियर तक सिर्फ 25 करोड़ रुपये की परियोजना ही शुरू हो सकती है। इसलिए इस कार्य के लिए इंजीनियर इन चीफ का पद सृजत किया गया। जिसने योजना को मंजूरी दी।

    अमृत 2 में तीन परियोजनाएं भेजी, तीनों मंजूर हुई

    अमृत 2 के तहत हमने नगरी, कठुआ और लखनपुर के लिए तीन परियोजनाएं बनाई थीं। कठुआ पहला विधानसभा हल्का है। जहां तीन परियोजनाएं भेजी और तीनों ही मंजूर हो गई। पहले टेंडर प्रक्रिया में गडबड़ हो गई थी। इसकी वजह से टेंडर को रद्द कर दोबारा जारी करना पड़ा। क्योंकि योजना काफी बड़ी है। इसलिए वक्त लगा है। अब अड़चने दूर हो गई हैं। सीएम या फिर संबंधित मंत्री को बुलाकर इस परियोजना का जल्द ही श्रीगणेश कराएंगे। उम्मीद है कि अगले 15 साल तक अनुमानित जनसंख्या को पीने के पानी के लिए दरबदर नहीं होना पड़ेगा। - भारत भूषण, विधायक कठुआ