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    कोई वरुण देव तो कोई पुकारता है ख्वाजा खिजर

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 19 Dec 2019 10:47 PM (IST)

    जेई सरदांर दर्शन सिंह को जिस देवीय शक्ति ने सपने में आकर पुल के पिल्लर के बार बार गिरने कारण उसे बताया था। 1959 में सरदार दर्शन सिंह ने सुबह उठकर एक लोहें के छड और मिठा रोट चढाकर जिस देवता को स्थानीय लोगों की मदद से मनाया था। आज वही लुडेरा स्थित वरूण देव हिदू मुसिलम भाईचारे की

    कोई वरुण देव तो कोई पुकारता है ख्वाजा खिजर

    संवाद सहयोगी, बिलावर: वरुण देव स्थल पर न सिर्फ हिदू, बल्कि मुसलिम समुदाय के लोग भी शीश निभाते हैं। कोई वरुण देव कहकर पुकारता है तो कोई ख्वाजा खिजर, लेकिन सभी की आस्था एक है।

    मांडली के सरपंच कैप्टन ओेम प्रकाश, गुडा कल्याल जोगिद्र कुमार व कैप्टन पवन कुमार शर्मा का कहना है कि 60 साल पहले वरुण देव स्थान को डुग्गल कंस्ट्रक्शन कंपनी के जेई सरदार दर्शन सिंह ने किया था। जब उज्जपुल का निर्माण हो रहा था, तब पुल निर्माण में कई विघ्न आड़े आ रहे थे, जिससे कंपनी के अधिकारी काफी परेशान हो चुके थे। उन्होंने बताया कि एक रात निर्माण करवा रहे जेई सरदार दर्शन सिंह को देवीय शक्ति ने सपने में आकर अपने होने के बारे में बताया कि उसी के कोप के कारण पिल्लर टूट रहा हैं। पहले उसकी स्थापना होगी, तभी पुल का निर्माण होगा। इसके बाद सुबह उठकर सबसे पहले जेई दर्शन सिंह स्थानीय लोगों को पूरे वाक्य बताया और एक लोहे की छड़ को एक स्थान पर रखकर मिठा रोट, रोटी देकर देवता को मनाया और पुल का निर्माण बिना कोई बिघ्न का पूरा हो गया। धीरे-धीरे आज वरुण देव स्थान पर मनोकामना पूरी होने पर बकरे की बलि के अलावा दूध व घी के अलावा फसल चढ़ाते हैं।

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