गुरु के प्रति आस्था जताने के लिए उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
जागरण संवाददाता कठुआ गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में अभी भी कई धार्मिक स्थलों पर गुरु पूजा काय

जागरण संवाददाता, कठुआ: गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में अभी भी कई धार्मिक स्थलों पर गुरु पूजा कार्यक्रम जारी है। इस उपलक्ष्य में श्री अखंड परम धाम नौनाथ घगवाल के प्रांगण में शुरू हुए दो दिवसीय गुरु पूजा कार्यक्रम के पहले दिन शनिवार को श्रद्धालुओं का गुरु के प्रति अपनी आस्था जताने के लिए सैलाब उमड़ा। इसके चलते आश्रम में सुबह से शाम तक उत्सव जैसा वातावरण रहा। इस दौरान संत सुभाष शास्त्री महाराज के असंख्य शिष्य अपने गुरु देव के श्री चरणों की पूजा-अर्चना के लिए आस्था एवं श्रद्धा के साथ पहुंचे।
गुरु पूजा के बाद शास्त्री महाराज ने संगत से कहा कि सौ करोड़ शास्त्रों से भी क्या होता है, सार बात तो यह है कि गुरु कृपा के बिना मनुष्य के चित्र को विश्रांति मिलना दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन पर्यंन्त सुख की खोज में लगा रहता है, सुख की अभिलाषा से वह रात दिन परिश्रम करता है, तब कहीं जाकर उसे अल्प सुख की प्राप्ति होती है, वह इन सुखों से अतृप्त रहता है, उसकी यह जीवन यात्रा उस असीम आनंद को प्राप्त करना चाहती है, जहां से उसे अतिशय आनंद की प्राप्ति हो और दुखों से छुटकारा मिल जाए। उन्होंने कहा कि वेदांत दर्शन में दुखों की आत्यंतिक निवृत्ति और परमानंद की प्राप्ति को ही मोक्ष कहा गया है। यह मोक्ष क्या सभी मनुष्यों को सुलभ है? अवश्य! कैसे? उपनिषदों में कहा गया है- उस ब्रह्म को आत्मरूप से जानने के लिए साधन संपन्न जिज्ञासु हाथ में समिधा लेकर श्रोत्रिय और भ्रमनिष्ठ गुरु के शरण में जाएं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पानी मनुष्य के तन को साफ करता है, ठीक ऐसे ही गुरु शिष्य की आत्मा को साफ कर उसे ज्ञान का प्रकाश देता है।
शास्त्रों में गुरु पूजा सबसे श्रेष्ठ मानी गई है, जिसने गुरु की पूजा कर ली मानों उसने सभी देवी देवताओं की पूजा कर ली। गुरु पौधे के जड़ की तरह है, जबकि अन्य देवता उसकी टहनियां और शाखाएं हैं। गुरु की पूजा को शास्त्र में इतनी महत्ता दी गई है। गुरु की शरण भी भगवान की कृपा से मिलती है। यह सौभाग्य भी इस धरती पर सभी मनुष्य को प्राप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि शास्त्र ने श्रद्धायुक्त होकर गुरु शरण में जाने की आज्ञा दी है, हम इस आज्ञा का पालन कर लाभान्वित हो रहे हैं और आपसे भी यह करके लाभ यानि आत्मिक शांति प्राप्त करने का प्रयास करने के लिए कह रहे हैं।
इस बीच सावन मास की संक्रांति की धार्मिक महत्ता के बारे में भी शिष्यों को विस्तार से बताया कि यह माह भगवान भोले की पूजा को समर्पित है। कार्यक्रम के बाद विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया।
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