रक्तदान जीवनदान सूत्र वाक्य को सार्थक कर रहे ब्लड डोनर्स
सेवा की भावना उजागर होने लगी हैदरअसल ये एक ऐसा दान हैजिससे एक व्यक्ति जिदगी और मौत के बीच जूझ रहे दूसरे कर अपना रक्तदान कर उसकी जान बचा सकता है। अब तो वैसे भी पूरा विश्व और उसके साथ अपना देश प्रदेश और जिला कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहा हैतो ऐसे हालात में रक्तदान का
राकेश शर्मा, कठुआ: रक्तदान नाम ज
बां पर आते ही समाज सेवा करने की भावना बढ़ जाती है। दरअसल, ये एक ऐसा दान है, जिससे एक व्यक्ति जिदगी और मौत के बीच जूझ रहा होता है तो दूसरा व्यक्ति अपना रक्त दान कर उसकी जान बचाता है। अब तो वैसे भी पूरा विश्व कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी से जूझ रहा है, ऐसे हालात में रक्तदान का और भी महत्व बढ़ जाता है। कोरोना संकट से पीड़ित को रक्त की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
इसी को देखते हुए कई समाज सेवी हर समय इस महान कार्य के लिए तत्पर रहते हैं और तो और वे दूसरों के लिए कुछ करने को मिशन बना लते हैं। कुछ ऐसे ही दो युवा कठुआ के हैं, जो अपनी उम्र के लगभग बराबर रक्तदान कर चुके हैं और वे अभी थके नहीं हैं, बल्कि ब्लड डोनर्स संस्थाओं के साथ लगातार रक्तदान कर रहे हैं। वे कठुआ के अलावा जम्मू और चंडीगढ़ तक जाकर रक्तदान कर चुके हैं।
शहर के वार्ड 17 के 30 वर्षीय साहिल कौल एक निजी टेलीफोन कंपनी में काम करता है, अब तक 26 बार रक्तदान कर चुका है और अभी उसका ये क्रम रुका नहीं है, बल्कि जारी है। अब जेके ब्लड डोनर्स एसोसिएशन के साथ जुड़कर साहिल अपने इस सामाजिक कार्य को और आगे बढ़ा रहा है। रात के 12 बजे भी फोन पर किसी के लिए भी रक्तदान करने को तैयार रहता है। जीवन को अब उसने मिशन बनाकर जीने का संकल्प ले लिया है। साहिल का कहना है कि कुछ साल पहले किसी को रक्तदान करते देखा था, उसके बाद से अब खुद में भी रक्तदान करने की सोच जाग उठी है। अब ये कारवां रुकने वाला नहीं है। अगर कोई जिदगी और मौत के बीच जूझ रहा हो और रक्त की जरूरत हो तो हम उसके काम न आए तो धरती पर रहना बेकार है, फिर तो पशु बराबर है। इंसानी रक्त ही इंसान के काम आता है। कुछ ऐसी ही भावना लेकर रक्तदान करने वाले शहर के निकटवर्ती गांव जगतपुर के 28 वर्षीय नवदीप सिंह हैं जो कि एमकॉम के छात्र है, वे अब तक 23 बार रक्तदान कर चुका है। नवदीप भी सहिल की तरह अब ब्लड डोनर्स एसोसिएशन का सदस्य है और जहां जहां रक्तदान शिविर लगता हैं, वहां सहयोग करने के साथ-साथ खुद भी रक्तदान करते हैं। नवदीप सिंह का कहना है कि किसी की अगर रक्त के अभाव में जान जा रही हो और आप उसे रक्त देकर उसे जीवन देते हैं तो इससे बढ़कर दुनिया में महान कार्य और कोई नहीं हो सकता है, वैसे भी देश में बड़ी सख्यां में लोग थैलेसीमिया से पीड़ित हैं, जिन्हें रक्त की जरूरत रहती है। ऐसे में अगर हम समय-समय पर रक्तदान करते रहें तो उक्त पीड़ितों को सहायता मिलती रहेगी, जरूरी नहीं है कि रक्तदान आपात स्थिति में किया जाए,ये करते रहना चाहिए, ताकि अस्पतालों में आपके द्वारा किया गया रक्तदान से ब्लड बैंक में उपलब्धता रहे और किसी भी मरीज को आपात स्थिति में उसे इस्तेमाल किया जा सके।
जेके ब्लड डोनर्स एसोसिशन के प्रधान मलकियत सिंह का कहना है कि उनकी संस्था कठुआ व जम्मू के अलावा अन्य स्थानों पर शिविर आयोजित करती है।
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