जम्मू-कश्मीर: कठुआ में दो हजार परिवार शराब के धंधे में लिप्त, 800 महिलाएं भी शामिल
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में अवैध शराब के कारोबार को रोकने के लिए आबकारी विभाग ने एक नई पहल की है। जिले में देसी शराब बनाने वाले लगभग 2 हजार परिवारों को रोजगार से जोड़कर इस धंधे से दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। इन परिवारों में 800 महिलाएं भी शामिल हैं। प्रशासन इन परिवारों को पुनर्वासित करने और उन्हें अन्य रोजगार के अवसर प्रदान करने की योजना बना रहा है।

अजय मीनिया, कठुआ। जिला कठुआ प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है, जहां पर सबसे अधिक देसी शराब निकाले जाने वाले परिवार हैं। अवैध शराब के धंधे को जड़ से खत्म करने के लिए आबकारी विभाग ने बड़ा फैसला लिया है। रोजगार से जोड़कर आबकारी विभाग इस धंधे से लोगों को तौबा कराएगा। गौर हो कि ऐसे परिवार पुलिस व आबकारी विभाग के रिकार्ड में शामिल है, क्योंकि पुलिस व आबकारी विभाग आए दिन दबिश देते रहती है।
इसके बावजूद कुछ परिवार धंधे को छोड़ने को तैयार नहीं है। इसे देखते हुए आबकारी विभाग ने जिले के ऐसे 2 हजार परिवारों की पहचान की है जो कि देसी शराब के धंधे में शामिल है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन परिवारों में 800 महिलाएं भी शामिल हैं जो की लाहन और देसी शराब निकालती हैं। ऐसे परिवार इस धंधे में तीन दशकों से जुड़ा हुआ है।
बताया जाता है कि पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार की जा रही छापेमारी के बाद रोजगार और भरण पोषण जैसी समस्याएं उभरकर सामने आई, जिसके बाद ऐसे लोगों को रोजगार से जोड़ना अति आवश्यक है, जो हमेशा रोजगार नहीं मिलने की वजह से भरण पोषण के लिए शराब निर्माण और बिक्री की बात करते रहे हैं।
अब देसी शराब और लाहन निकालने वाले परिवारों की लत छुड़ाकर इन परिवारों का पुनर्वास कर किसी दूसरे कार्य में लगाएगा, जहां इन्हें रोजगार मिलेगा। ताकि वे इस धंधे को छोड़ अपने परिवार का जीविकापार्जन कर सके।
जिला प्रशासन के साथ मिलकर इनको श्रम विभाग और मिशन यूथ से जोड़ा जाएगा। इसके बाद उद्योगों और अन्य क्षेत्रों में इन्हें काम दिलाया जाएगा। विभाग ने इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार कर लिया है। डीसी कठुआ को इसकी मौखिक जानकारी दे दी गई है। कुछ ही दिन में पूरे सार के साथ प्रस्ताव सौंपा जाएगा।
कठुआ जिला पूरे प्रदेश में देसी शराब और लाहन निकालने का गढ़ माना जाता है जो कि लगातार पुलिस और आबकारी विभाग के लिए चुनौती और चिंता दोनों बना हुआ है। इससे निजात दिलाने के लिए ही आबकारी विभाग अब नई योजना के तहत इन परिवारों को मुख्य धारा में लाने का प्रयास करने जा रहा है, क्योंकि विभाग ने देखा कि इन परिवारों की आय भी 20 से 30 हजार के बीच है।

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