Kathua News: हीरानगर के प्राइमरी हेल्थ सेंटर में डॉक्टरों की कमी, निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर लोग
जम्मू-कश्मीर के हीरानगर में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। भारत-पाकिस्तान सीमा के पास चकडा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं हैं जिससे मरीजों को परेशानी हो रही है। पिछले तीन सालों से एमबीबीएस डॉक्टरों के दो पद खाली हैं और केंद्र केवल एक फार्मासिस्ट के भरोसे चल रहा है।

संवाद सहयोगी, हीरानगर। सरकार लोगों को आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के तमाम दावे करती है, लेकिन कई जगह जमीनी हकीकत इसके उलट है। पर्याप्त स्टाफ नहीं है। डॉक्टर नहीं हैं। भवन हैं तो जर्जर हालत में। दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में बीमार होने पर मजबूरन लोगों को अधिक पैसे और समय खर्च निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है।
आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को इसमें काफी मुश्किल होती है। भारत-पाकिस्तान सीमा से लगे गांवों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं का टोटा है। लोग मामूली बीमारी सर्दी, खांसी और जुकाम की दवा के लिए भी परेशान होते हैं। चकडा में एक डिस्पेंसरी थी।
स्थानीय लोग काफी समय से इसके दर्जे को बढ़ाने की मांग कर रहे थे। सरकार ने इसको प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा तो दे दिया, लेकिन यहां पिछले तीन वर्षों से एमबीबीएस डॉक्टरों के दो पद खाली पड़े हैं। इनकी नियुक्ति नहीं होने के कारण स्वास्थ्य केंद्र केवल एक फर्मासिस्ट के सहारे ही चल रहा है, जिससे रोगियों को आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
हीरानगर सेक्टर पाकिस्तान की गोलीबारी से प्रभावित रहा है और स्थानीय लोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की नियुक्ति के साथ-साथ एंबुलेंस और लैबोरेटरी जैसी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हुई हैं।
क्षेत्र के निवासियों का कहना है कि चकडा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत पांच पंचायतों के लगभग बीस गांव आते हैं। डॉक्टरों के पद खाली होने के कारण रोगियों को उपचार के लिए उप जिला अस्पताल हीरानगर या कठुआ जाना पड़ता है, जिससे उन्हें काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।
इसके अलावा पीएचसी के साथ ही पंचायतों में उप स्वास्थ्य केंद्रों के भवन भी जर्जर स्थिति में हैं और पुराने भवनों की मरम्मत नहीं हो रही है। लोगों ने चकडा पीएचसी में डॉक्टरों की नियुक्ति और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है। लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य सेवा लोगों की मूलभूत सुविधा में शामिल है। इसलिए सरकार को प्राथमिकता के साथ अस्पतालों में सुविधाएं उपलब्ध कराना चाहिए।
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