जम्मू-कश्मीर की बेटी अनेखा देवी की कहानी; जो अपने सपनों को सच करने के लिए लड़ती है, जिसे जानकर आप भी प्रेरित होंगे
JammuKashmirNews: जम्मू-कश्मीर की अनेखा देवी की कहानी प्रेरणादायक है। उन्होंने मुश्किलों के बावजूद शिक्षा के प्रति समर्पण दिखाया और अपने सपनों को पूरा ...और पढ़ें

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से लेकर खेल मंत्री जम्मू कश्मीर की बेटी की उपलब्धि के लिए उसका हौसला बढ़ा रहे हैं।
करुण शर्मा, बिलावर। JammuKashmirNews: मंजिल कठिन हो सकती है, लेकिन हिम्मत और मेहनत से सब कुछ संभव है। यह कहानी है हिम्मत, संघर्ष और सपनों को सच करने की।
बिलावर उप जिला के मशेडी तहसील मुख्यालय के दूर दराज गांव डल बजोई की 20 साल की अनेखा देवी आज पूरे देश की बेटियों के लिए मिसाल बनकर उभरी हैं। जिन्होंने महिलाओं कि ब्लाइंड टी-20 विश्व कप में बेहतर प्रदर्शन किया और अपनी टीम के विश्व कप विजेता बनने में अहम भूमिका निभाई ।
जिसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी महिलाओं की दृष्टिबाधित टी-20 विश्व कप विजेता टीम के साथ मुलाकात कर पूरी टीम को बधाई देते हुए हौसला अफजाई कर रहे हैं तो जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से लेकर खेल मंत्री जम्मू कश्मीर की बेटी की उपलब्धि के लिए उसका हौसला बढ़ा रहे हैं।
अनेखा देवी बचपन से बी2 श्रेणी की दृष्टिबाधित
अनेखा देवी के पिता विचित्र सिंह बिजली विभाग में डेलीवेजर (दिहाड़ीदार) और मां गृहिणी हैं। अनेखा के घर की आर्थिक स्थिति भी ज्यादा अच्छी नहीं है। जम्मू कश्मीर में दृष्टिबाधित लड़कियों की टीम न होने के कारण दिल्ली में जाकर लड़कों के साथ क्रिकेट की प्रैक्टिस की और अपनी कड़ी मेहनत और परिश्रम से भारत की विश्व विजेता टीम की सदस्य बनी।
जहां उन्होंने पहले मैच में श्रीलंका के खिलाफ चौका लगाकर भारत को जीत दर्ज करवाई तो पाकिस्तान के खिलाफ 34 गेंदों में 64 रन की शानदार पारी खेल कर भारत को विश्व विजेता बनाया। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में 117 रन बनाएं ।
उनका चयन हाल में 16 सदस्यीय भारतीय टीम में बी2 श्रेणी के टी-20 वर्ल्ड कप के लिए हुआ था । अनोखा देवी अपनी टीम में ओपनर बल्लेबाज हैं। यही नहीं, पहले वह जूडो की खिलाड़ी रह चुकी हैं और पांच बार राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुकी हैं।
महिला टीम न होने से पुरुष टीम के साथ किया प्रशिक्षण
अनेखा देवी के चाचा ने उन्हें स्थानीय स्कूल से निकालकर जम्मू में दृष्टिहीन बच्चों के लिए विशेष स्कूल में दाखिला दिलाया। जम्मू-कश्मीर में महिलाओं की ब्लाइंड क्रिकेट टीम न होने के कारण अजय ने अपनी भतीजी को पुरुष टीम के साथ प्रशिक्षण दिलवाया। इसके बाद उन्होंने अनेखा को समर्थनम ट्रस्ट फार दा डिसएबल के सहयोग से दिल्ली में कोचिंग दिलाना शुरू की।
अनेखा ने 18 वर्ष की आयु में प्रशिक्षण लेना शुरू किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। अनेखा ने दिल्ली ब्लाइंड विमेन टीम में खेलते हुए राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन किया। उनकी मेहनत और जुनून ने ही ओपनर के रूप में सफलता दिलाते हुए विश्व कप विजेता टी-20 बनाया।
आज उनकी मेहनत के कारण है वह जम्मू कश्मीर की शान बनकर आगे बढ़ रही है जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी महिलाओं की ब्लाइंड टी-20 विश्व कप विजेता टीम के साथ मिलकर हौसला ऊंचाई कर चुके हैं।
अनेखा के दृष्टिबाधित होने के कारण परिवार ने छोड़ दी थी आस
उनके घर तक पहुंचने के लिए करीब पांच किलोमीटर पैदल पहाड़ी चढ़कर ही पहुंचा जा सकता है। दृष्टिबाधित होने के कारण परिवार को अनेखा का जीवन अंधकारमय लग रहा था। अनेखा चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी है। वह तीन बहनें और एक भाई है। हालांकि अनेखा को बचपन से ही खेल में रुचि थी और इसमें उनका साथ दिया उनके चाचा अजय कुमार ने। अजय भी दृष्टिबाधित हैं।
जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन फार ब्लाइंड के महासचिव होने के साथ-साथ प्रदेश की ब्लाइंड क्रिकेट टीम के खिलाड़ी भी हैं। पहले अनेखा देवी को जूडो में रुचि थी और उन्होंने उसी में हाथ आजमाए और सफलता मिलती गई। अनेखा देवी ने अंडर-19 आयु वर्ग में हरियाणा की करिश्मा को राष्ट्रीय स्तरीय ब्लाइंड जूडो कराटे प्रतियोगिता में मात देकर पहला स्थान हासिल किया था। बाद में उनकी रुचि क्रिकेट में बढ़ने लगी।
मंजिल कठिन हो सकती है, लेकिन हिम्मत और मेहनत से सब कुछ संभव है। महिलाएं और दृष्टिबाधित लड़कियां बड़े सपने देखें और उन्हें पूरा करें। मेहनत और लगन से किसी भी मुकाम को हासिल किया जा सकता है। जब आप मेहनत करती हैं तो ईश्वर भी किसी न किसी रूप में आपका साथ देता है। - अनेखा देवी वर्ल्ड कप विजेता भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम की सदस्य

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