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Rubia kidnapping मामले में भी यासीन मलिक को जल्द सुनाई जा सकती है सजा, टाडा अदालत ने रुबिया को तलब किया

डा. रुबिया के अलावा फेस्पी व डा. शहनाज चश्मदीद गवाह हैं। इन तीनों को तलब करते हुए टाडा कोर्ट ने समन जारी किया है। कोर्ट ने केस की अगली सुनवाई 11 व 12 जुलाई को निर्धारित की है। दो दिनों में तीनों गवाहों को पेश रहने का निर्देश दिया है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 08:22 PM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 08:33 PM (IST)
टाडा कोर्ट जम्मू ने 29 जनवरी, 2021 को इस मामले में यासीन मलिक व अन्य को दोषी करार दे दिया

जम्मू, जेएनएफ : टेरर फंडिंग मामले में आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा पा चुके जम्मू-कश्मीर लिबेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) चीफ यासीन मलिक को पूर्व गृहमंत्री व जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डा. रुबिया सईद के अपहरण मामले में भी जल्द सजा सुनाई जा सकती है। टाडा कोर्ट जम्मू ने 29 जनवरी, 2021 को इस मामले में यासीन मलिक व अन्य को दोषी करार दे दिया था। इस बहुचर्चित मामले में अब टाडा कोर्ट ने डा. रुबिया सईद समेत तीन गवाहों को बयान के लिए तलब किया है।

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इस मामले में डा. रुबिया के अलावा फेस्पी व डा. शहनाज चश्मदीद गवाह हैं। इन तीनों को तलब करते हुए टाडा कोर्ट ने समन जारी किया है। कोर्ट ने केस की अगली सुनवाई 11 व 12 जुलाई को निर्धारित की है। इन दो दिनों के दौरान तीनों गवाहों को पेश रहने का निर्देश दिया है। डा. रुबिया सईद के अपहरण को लेकर श्रीनगर के सदर पुलिस स्टेशन में आठ दिसंबर, 1989 को रिपोर्ट दर्ज हुई थी।

दर्ज केस के अनुसार रुबिया सईद ट्रांजिट वैन में ललदद अस्पताल श्रीनगर से नौगाम स्थित अपने घर जा रही थी। वह एमबीबीएस करने के बाद अस्पताल में अपना इंटरनशिप कर रही थी। ट्रांजिट वैन लाल चौक से श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम की तरफ जा रही थी। जब वैन चानपूरा चौक के पास पहुंची, उसमें सवार तीन लोगों ने बंदूक के दम पर वैन को रोक लिया और उसमें सवार मेडिकल इंटर्न रुबिया सईद को उतारकर किनारे खड़ी नीले रंग की मारुति कार में बैठा लिया। उसके बाद मारुति वैन कहां गई, किसी को पता नहीं चला।

अपहरण के करीब दो घंटे बाद जेकेएलएफ के जावेद मीर ने एक स्थानीय अखबार को फोन कर अपहरण की जानकारी दी। उसके बाद कोहराम मच गया। सीबीआइ को इस मामले की जांच सौंपी गई। जांच पूरी होने के बाद 18 सितंबर, 1990 को जम्मू की टाडा कोर्ट में आरोपितों के खिलाफ चालान पेश किया गया।

पांच आतंकी रिहा करने पर रुबिया को छोड़ा था : डा. रुबिया सईद को रिहाई के बदले में जेकेएलएफ ने अपने पांच आतंकियों को रिहा करने की शर्त रखी थी। अपहरण के 122 घंटे बाद 13 दिसंबर को सरकार ने पांच आतंकियों, हामिद शेख, अल्ताफ अहमद भट्ट, नूर मोहम्मद, जावेद अहमद जरगर व शेर खान को रिहा किया था, जिसके बाद डा. रुबिया को छोड़ा गया। उसी रात विशेष विमान से रूबिया सईद को दिल्ली ले जाया गया जहां हवाई अड्डे पर तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद समेत परिवार के अन्य सदस्य मौजूद थे। शुरू में जेकेएलएफ की तरफ से रूबिया को छोड़ने के बदले 20 आतंकियों की रिहाई की मांग की गई लेकिन बाद में इसे कम करके सात आतंकियों की रिहाई की मांग होने लगी। अंत में डा. रुबिया की रिहाई के बदले में पांच आतंकियों को रिहा किया गया।


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