Jammu Kashmir: Yasin Malik की टूटी अकड़, पहली बार केस की बहस में लिया हिस्सा, अगली सुनवाई 23 दिसंबर निर्धारित
यासीन मलिक पर अपने साथियों संग मिलकर आठ दिसंबर 1989 को रूबिया सैयद का अपहरण करने का आरोप है। यासीन मलिक के अलावा इस केस में अली मोहम्मद मीर मोहम्मद जमां मीर इकबाल अहमद जावेद अहमद मोहम्मद रफीक मंजूर अहमद वजाहत बशीर मेहराज-उद-दीन शेख और शौकत अहमद भी आरोपित हैं।

जम्मू, जागरण संवाददाता। टेरर फंडिंग मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काट रहे प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक की अकड़ टूट गई है। देश के पूर्व गृहमंत्री और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सैयद की छोटी बेटी और महबूबा मुफ्ती की बहन रूबिया सैयद के 33 साल पहले हुए अपहरण के मामले में अभी तक स्वयं पेश होकर गवाहों से सवाल-जवाब करने पर अड़े यासीन मलिक ने वीरवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से केस की बहस में हिस्सा लेने पर सहमति भी जताई और गवाह से सवाल-जवाब भी किए। अभी तक यासीन मलिक इस केस में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर सवाल-जवाब करने की अनुमति दिए जाने की मांग पर अड़ा था।
पिछली सुनवाई के दौरान टाडा कोर्ट ने तिहाड़ जेल के सुपरींटेंडेंट को यासीन मलिक को पेश करने का निर्देश भी दिया था लेकिन सीबीआई की ओर से कोर्ट को बताया गया कि गृह मंत्रालय का सख्त निर्देश है कि यासीन मलिक दिल्ली से बाहर नहीं जा सकता। वीरवार की सुनवाई के दौरान इस केस की गवाह रिटायर्ड डाक्टर शहनाज को पेश किया गया। सीबीआई वकील ने उसके बयान दर्ज करवाए जिसके बाद कोर्ट ने यासीन मलिक से पूछा कि क्या वह गवाह से कुछ पूछना चाहता है या उसकी तरफ से कोई वकील सवाल-जवाब करेगा? इस पर मलिक ने कहा कि वह स्वयं बहस में हिस्सा लेना चाहता है। कोर्ट की अनुमति मिलने पर यासीन मलिक ने गवाह से कुछ सवाल-जवाब भी किए। करीब एक घंटे तक चली इस कार्रवाई के बाद कोर्ट ने सुनवाई स्थगित करते हुए 23 दिसंबर को केस की अगली सुनवाई निर्धारित की।
यह है पूरा मामला
यासीन मलिक पर अपने साथियों संग मिलकर आठ दिसंबर 1989 को रूबिया सैयद का अपहरण करने का आरोप है। यासीन मलिक के अलावा इस केस में अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमां मीर, इकबाल अहमद, जावेद अहमद मीर, मोहम्मद रफीक, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, मेहराज-उद-दीन शेख और शौकत अहमद बख्शी भी आरोपित हैं। टाडा कोर्ट जम्मू ने 29 जनवरी 2021 को इस मामले में यासीन मलिक व अन्य को आरोपित करार दे दिया था।
इस बहुचर्चित मामले में अब टाडा कोर्ट डा. रूबिया सैयद समेत तीन गवाहों के बयान दर्ज कर रही है। इस मामले में डा. रूबिया के अलावा फेस्पी व डा. शहनाज चश्मदीद गवाह है। डा. रूबिया सैयद के अपहरण को लेकर श्रीनगर के सदर पुलिस स्टेशन में आठ दिसंबर 1989 को रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इसके अनुसार रूबिया सैयद ट्रांजिट वैन में ललदद अस्पताल श्रीनगर से नौगाम स्थित अपने घर जा रही थी। वह एमबीबीएस करने के बाद अस्पताल में अपना इंटरनशिप कर रही थी। ट्रांजिट वैन लाल चौक से श्रीनगर के बाहरी इलाके नौगाम की तरफ जा रही थी। जब वैन चानपूरा चौक के पास पहुंची, उसमें सवार तीन लोगों ने बंदूक के दम पर वैन को रोक लिया और उसमें सवार मेडिकल इंटर्न रूबिया सैयद को उतारकर किनारे खड़ी नीले रंग की मारुति कार में बैठा लिया। उसके बाद मारुति वैन कहां गई, किसी को पता नहीं चला।
अपहरण के करीब दो घंटे बाद जेकेएलएफ के जावेद मीर ने एक स्थानीय अखबार को फोन करके जानकारी दी कि जेकेएलएफ ने भारत के गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सैयद की बेटी रूबिया सैयद का अपहरण कर लिया है जिससे चारो ओर कोहराम मच गया था। सीबीआइ को इस मामले की जांच सौंपी गई। जांच पूरी होने के बाद 18 सितंबर 1990 को जम्मू की टाडा कोर्ट में आरोपितों के खिलाफ चालान पेश किया गया।
पांच आतंकी किए गए थे रिहा
डा. रूबिया सैयद की रिहाई के बदले में जेकेएलएफ ने अपने पांच आतंकियों को रिहा करने की शर्त रखी थी। अपहरण के 122 घंटे बाद 13 दिसंबर को सरकार ने पांच आतंकियों, हामिद शेख, अल्ताफ अहमद भट्ट, नूर मोहम्मद, जावेद अहमद जरगर व शेर खान को रिहा किया था जिसके बाद डा. रूबिया को छोड़ा गया। उसी रात विशेष विमान से रूबिया सैयद को दिल्ली ले जाया गया जहां हवाई अड्डे पर तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सैयद समेत परिवार के अन्य सदस्य मौजूद थे। शुरू में जेकेएलएफ की तरफ से रूबिया को छोड़ने के बदले 20 आतंकियों की रिहाई की मांग की गई लेकिन बाद में इसे कम करके सात आतंकियों की रिहाई की मांग होने लगी। अंत में डा. रूबिया की रिहाई के बदले में पांच आतंकियों को रिहा किया गया।

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