Water Crisis in Katra: कटड़ा में गहराया जल संकट, भीषण गर्मी में पानी की तलाश में भटक रहे श्रद्धालु; कई होटल व गेस्ट हाउस बंद
कटड़ा में इन दिनों भीषण गर्मी के चलते श्रद्धालु पानी तक को तरस रहे हैं। यहां पर जल संकट गहराया हुआ है। श्रद्धालुओं की लगातार भारी भीड़ के बावजूद 20 से 25 प्रतिशत होटल व गेस्ट हाउस पानी की कमी के कारण बंद हो गए हैं। आम दिनों में पानी का टैंकर जहां करीब 1500 रुपये में उपलब्ध होता था वहीं अब रेट 4000 से 5000 रुपये के बीच है।
संवाद सहयोगी, कटड़ा। इस भीषण गर्मी में कटड़ा में जल संकट गहरा गया है। पानी की बूंद-बूंद के लिए श्रद्धालु तरस रहे हैं और पानी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं। उनकी सुध न तो स्थानीय प्रशासन ले रहा है, न श्राइन बोर्ड प्रशासन और न ही जलशक्ति विभाग। कटड़ा के मुख्य बस अड्डा पर निजी वाटर एटीएम स्थापित है, जहां पर पांच रुपये प्रति लीटर पानी लेने के लिए दिनभर श्रद्धालुओं की भीड़ खुले आसमान तले लगी रहती है।
20 से 25 फीसदी होटल पानी की कमी के चलते बंद
कटड़ा में मौजूदा समय में जल संकट इस तरह से गहरा गया है कि श्रद्धालुओं की लगातार भारी भीड़ के बावजूद 20 से 25 प्रतिशत होटल व गेस्ट हाउस पानी की कमी के कारण बंद हो गए हैं। न चाहते हुए भी होटल मालिक पानी न होने के चलते अपने होटल बंद करने पर मजबूर हैं।
पानी टैंकरों के भी बढ़ दाम
हालांकि कटड़ा में पुजारी परिवार द्वारा कई स्थानों पर निशुल्क जल केंद्र स्थापित किए गए हैं, लेकिन पानी की सप्लाई कम होने के चलते इसका विपरीत असर श्रद्धालुओं पर पड़ रहा है। हालांकि आधार शिविर कटड़ा में पानी की कमी पूरा करने को लेकर 200 के करीब निजी टैंकर व ट्राली मौजूद हैं, लेकिन वे पानी की कमी का फायदा उठाते हुए मुंह मांगे दाम वसूल रहे हैं। आम दिनों में पानी का टैंकर जहां करीब 1500 रुपये में उपलब्ध होता था, वहीं वर्तमान में इसका रेट 4,000 से 5,000 रुपये के बीच पहुंच गया है।
दूसरी ओर ट्राली का रेट ₹800 से ₹2500 के बीच पहुंच गया है। इसके बावजूद कटड़ा में पानी की कमी पूरा नहीं हो पा रही है। पानी की गंभीर समस्या को लेकर जलशक्ति विभाग ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं।
भीषण गर्मी के कारण सूख गए जल स्त्रोत
कटड़ा जलशक्ति विभाग के अधिकारी एईई दीप्त महाजन का कहना है कि आधार शिविर कटड़ा में प्रतिदिन 40 लाख गैलन पानी की दरकार है, परंतु आम दिनों में आधार शिविर कटड़ा में 22 लाख गैलन पानी सप्लाई किया जाता है। वहीं, वर्तमान में भीषण गर्मी के चलते जल स्त्रोत सूख जाने के कारण प्रतिदिन मात्र आठ लाख गैलन पानी ही सप्लाई हो पा रही है।
इनमें बाबा धनसर जल परियोजना से प्रतिदिन 16 लाख के बजाय छह लाख गैलन पानी, झज्जर कोटली जल परियोजना से प्रतिदिन चार लाख गैलन के बजाय एक लाख गैलन और बाण गंगा जल स्त्रोत से प्रतिदिन दो लाख गैलन के बजाय 50 हजार गैलन पानी ही सप्लाई हो पा रहा है। बिजली की अघोषित कटौती और आए दिन जल रहे बिजली के तारों से समस्या और गंभीर हो रही है।
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पानी के लिए तरस रहे श्रद्धालु
नगरवासियों का कहना है कि भीषण गर्मी हर वर्ष पड़ती है और जल की कमी का सामना भी करना पड़ता है, लेकिन प्रशासन के साथ ही जलशक्ति विभाग द्वारा समय पर पुख्ता कार्ययोजना न बनाने के चलते और न ही गंभीरता दिखाने के चलते स्थानीय व्यापारियों के साथ ही स्थानीय लोगों को यहां तक कि श्रद्धालुओं को पानी की बूंद-बूंद के लिए तरसना पड़ रहा है। अगर जल शक्ति विभाग के साथ ही प्रशासन ने समय रहते पुख्ता कार्य योजना बनाई होती तो इस तरह की गंभीर समस्या नहीं होती।
अब भी अगर स्थानीय प्रशासन, जल शक्ति विभाग यहां तक की श्राइन बोर्ड ईमानदारी से गंभीरता दिखाए तो जल संकट से कुछ हद तक सुधार हो सकता है। जिससे स्थानीय निवासियों के साथ ही श्रद्धालुओं को पानी उपलब्ध हो सकता है। जिसको लेकर तत्परता दिखानी होगी। जल शक्ति विभाग के पास जब भी कोई पानी की समस्या लेकर जाता है तो उनका बस एक ही जवाब होता है की जल स्त्रोत सूख गए हैं पानी कहां से लाया जाए मानो प्रशासन के साथ ही जल शक्ति विभाग ने लोगों के साथ ही श्रद्धालुओं को मां वैष्णो देवी के सहारे छोड़ दिया हो।
यात्रा में लगातार जारी वृद्धि के चलते आए दिन पंजीकरण को लेकर श्रद्धालुओं को दिनभर कटड़ा के मुख्य बस अड्डा पर लंबी-लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ रहा है तपती गर्मी में श्रद्धालुओं के लगातार कंठ सूख रहे हैं पर ना तो श्राइन बोर्ड ना ही प्रशासन न ही जल शक्ति विभाग श्रद्धालुओं की किसी भी तरह की मदद कर रहा है और श्रद्धालु लगातार प्यासे ही कतारो में इंतजार कर रहे हैं। स्थानीय लोगों को कहना कि वर्तमान में जितना भी पानी आ रहा है अगर इस पानी को ईमानदारी से जल शक्ति विभाग लोगों को सप्लाई करें तो कुछ हद तक सभी को पानी उपलब्ध हो सकता है।
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