Jammu Kashmir Politics: चिनाब क्षेत्र में आतंक नहीं, शांति व सुरक्षा के लिए होगा मतदान; लोगों ने दी अपनी प्रतिक्रिया
जम्मू के चिनाब इलाके में एक समय आतंकवादियों का गढ़ हुआ करता था यहां आए आतंक के माहौल से स्थानीय लोग परेशान थे। वहीं बीते 10 सालों में कोई बड़ी आतंकी वारदात न होने से लोगों में बड़ी राहत है। लोगों का कहना है कि इस बार की वोटिंग रोजगार और महंगाई के साथ ही शांति और सुरक्षा को भी ध्यान में रखकर की जाएगी।
रोहित जंडियाल, किश्तवाड़। जम्मू संभाग का चिनाब क्षेत्र में आतंकियों ने एक समय खूब खून बहाया था। नरसंहार ने लोगों को हिला दिया था। अब बीते एक दशक में इस क्षेत्र का माहौल काफी बदल गया है। पिछले 10 वर्षों में न तो कोई बड़ी आतंकी घटना हुई और न ही सांप्रदायिक तनाव दिखा। इस बदलाव का असर वर्तमान में लोकसभा चुनाव में देखा जा रहा है।
लोग अब न तो आतंक पर बात करना चाहते और न ही सांप्रदायिक तनाव और ध्रुवीकरण पर क्योंकि उनके लिए अब यह कोई मुद्दा नहीं है। लोग अब खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं और ऐसा ही शांत और सुरक्षित माहौल बना रहे। इसी उम्मीद के साथ मजबूत सरकार के लिए मतदान होगा। इसके बाद दूसरा मुद्दा रोजगार का है। युवाओं को रोजगार मिल जाए तो महंगाई का मुद्दा खुद ही हाशिये पर चला जाएगा।
जनप्रतिनिधियों द्वारा नजरअंदाज करने से आहत हुए लोग
मतदाताओं को मलाल है कि निर्वाचन के बाद प्रतिनिधि गांवों की तरफ आते ही नहीं। डोडा शहर हो या जिले के अस्सर, बग्गर, प्रेमनगर, ठाठरी, घाट, कुल्हांड़ या फिर किश्तवाड़ जिला... कहीं पर भी कोई भी आतंक को लेकर बात नहीं करना चाहता। बात होती है तो सिर्फ शांति, सुरक्षा, रोजगार और विकास की। लोग अपने जनप्रतिनिधियों द्वारा नजरअंदाज करने से आहत हैं।
सरथल में नवरात्र पर उमड़ा था जनसमूह
हालांकि, एक बड़े वर्ग का मानना है कि मतदान करते समय वे अपने क्षेत्र की सुरक्षा को देखेंगे। कौन उन्हें अधिक सुरक्षित रख सकता है। यह उनके लिए सर्वोपरि है। 'दैनिक जागरण' जब किश्तवाड़ के सरथल में पहुंचा तो वहां नवरात्र पर अपार जनसमूह था। इस जनसमूह में जब लोगों से चुनावी मुद्दों पर बात की तो वह बिना लाग-लपेट के कहते हैं कि हमारे लिए ऐसी ही शांति और सुरक्षा बनी रहे।
रोजगार नहीं, महंगाई चरम पर
यह भी कहते हैं कि यहां रोजगार नहीं है। महंगाई भी है, लेकिन यह सब तब मिल जाएगा जब सुरक्षित रहेंगे। सरथल में दर्शन करने पहुंचे मदन शर्मा ने कहा कि आतंक पर नकेल कसना बहुत जरूरी था। आतंक के दौर में तो इस मंदिर से माता की मूर्ति चोरी हो गई थी, लेकिन यह तो मां की शक्ति थी कि चोर थोड़ी ही दूरी पर मूर्ति को छोड़कर भाग गए। यह करतूत भी आतंकियों की ही थी।
पूरे क्षेत्र में अब है शांति का माहौल
डोडा-किश्तवाड़ मार्ग पर प्रेमनगर में चाय की दुकान करने वाले संजीत सिंह परिहार कहते हैं कि उनके क्षेत्र में पहले आतंकियों ने बहुत बड़े हमले किए हैं। अब ऐसा नहीं है। इस पूरे क्षेत्र में शांति है। नेताओं से नाराजगी है, लेकिन वोट उसी को देंगे जो कि उन्हें पूरी सुरक्षा देगा। पोनियाला के मोहम्मद इकबाल भी यह मानते हैं कि सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है।
2013 में पैदा हुआ था सांप्रदायिक तनाव
उनका कहना है कि आतंक के कारण हर किसी को बहुत कुछ सहना पड़ा है। वोट देते समय हर कोई यह सोचता है कि सुरक्षा उनके लिए बहुत जरूरी है। किश्तवाड़ के राजिंद्र शर्मा बताते हैं कि शहर में अंतिम बार वर्ष 2013 में सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ था। कई दुकानों में आग लगा दी गई। इसमें लाखों रुपयों का नुकसान हुआ। ऐसा कर समाज में ध्रुवीकरण करने की साजिश होती थी, लेकिन अभी ऐसा नहीं है। अब पिछले 11 वर्ष से कहीं कोई दंगा नहीं हुआ, कहीं पर तनाव पैदा नहीं हुआ।
ध्रुवीकरण से आम जनता का ही होता है नुकसान
चिनाब क्षेत्र के लोग हतोत्साहित दिखते हैं कि राजनीतिक दल अपने लाभ के लिए ध्रुवीकरण का प्रयास करते हैं। इसका लाभ उन्हें मिलता भी है। मतदान से एक-दो दिन पहले ध्रुवीकरण का प्रयास होता है तो इसका नुकसान यहां के लोगों को उठाना पड़ता है। चिनाब क्षेत्र में कई जगह पर नरसंहार हुए हैं। हालांकि, अब तक बहुत कुछ बदल गया है। सभी समुदायों के लोग शांति और भाईचारे से रह रहे हैं, लेकिन दिल की दूरी पूरी तरह से मिटना जरूरी है।
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