पहाड़ों से रिसता पानी, कहीं 400 फीट गहरी खाई... आसान नहीं था कश्मीर तक ट्रेन लाना, 45 साल में ऐसे पूरा हुआ प्रोजेक्ट
Train to Kashmir उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल संपर्क के लोकार्पण के साथ जम्मू-कश्मीर (Kashmir Vande Bharat Express) में कनेक्टिविटी की नई ऊंचाइयों को छुआ गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे भारत की इच्छाशक्ति का उत्सव बताया है। पीर पंजाल की पहाड़ियों में इंजीनियरों ने कई चुनौतियों का सामना करते हुए इस परियोजना को पूरा किया।

नवीन नवाज, जम्मू l Kashmir Vande Bharat: उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल संपर्क के लोकार्पण के साथ ही जम्मू-कश्मीर ने कनेक्टिविटी की राह में नई छलांग लगाई ही, देश ने तकनीकी क्षमता से दुनिया में अपना लोहा मनवाया। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस रेल परियोजना को भारत की इच्छा शक्ति का विराट उत्सव बताया और देश के सामर्थ्य की पहचान बताकर संबोधित किया।
साफ है कि दुनिया के सबसे दुर्गम भौगोलिक क्षेत्रों में से एक पीर पंजाल की पहाड़ियों में हमारे इंजीनियरों ने वह सच कर दिखाया जो दो दशक पूर्व तक असंभव दिखाई पड़ता था।
कई बड़ी चुनौतियों को किया पार
निश्चित तौर पर यह परियोजना जम्मू-कश्मीर में पर्यटन के साथ ही सामाजिक-सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देते हुए विकास की एक नई कहानी लिखेगा। इस परियोजना की राह में चुनौतियां अनगिनत थीं, पहाड़ों से रिसता पानी, कहीं चार सौ फीट की गहरी खाई और कहीं भरभरा कर ढह जाने वाले पहाड़। इन तमाम बिंदुओं के बावजूद न हमारे इंजीनियर थमे और न ही हार मानी। वह हर चुनौती के सामने अडिग डटे रहे।
प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कटड़ा में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लाइन के लोकार्पण के साथ दुनिया के सबसे ऊंचे आर्च ब्रिज और देश के पहले केबल आधारित रेल ब्रिज को भी राष्ट्र को समर्पित किया। इसी ट्रैक पर देश की सबसे बड़ी तीन सुरंगें भी हैं। यूं कहें कि यहां कदम-कदम पर इतिहास लिखा गया है।
1972 में जम्मू पहुंची ट्रेन
कश्मीर तक रेल संपर्क बहाली का सपना एक सदी से भी ज्यादा पुराना है। वर्ष 1972 में जम्मू में रेल पहुंचने के बाद से ही कश्मीर तक उसे पहुंचाने के प्रयास हो रहे थे, लेकिन योजना कुछ कदम चलती और फिर ठहर जाती। सबसे बड़ी चुनौती पीर पंजाल की पहाड़ियों को चीरकर आगे बढ़ने की थी। पर अंतत: लक्ष्य को पा लिया गया है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज मां वैष्णो के आशीर्वाद से कश्मीर भारत के रेल नेटवर्क से जुड़ गया। उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के उस बयान का भी जिक्र किया जिसने उन्होंने कहा था कि वह जब सातवीं-आठवीं में पढ़ते थे, तब से इस प्रोजेक्ट के पूरा होने का इंतजार कर रहे थे।
उधमपुर-बारामूला रेल लिंक योजना
- 1981: जम्मू-उधमपुर रेल लिंक को मंजूरी दी गई
- 1994: श्रीनगर तक रेल लिंक के विस्तार का एलान किया गया
- 1995: उधमपुर-कटड़ा रेल लिंक पर काम शुरू हुआ
- 1999: काजीगुंड-बारामूला रेल लिंक पर काम शुरू हुआ
- 2002: कटड़ा-काजीगुंड रेल लिंक पर काम शुरू हुआ
- 13 अप्रैल, 2005: जम्मू-उधमपुर सेक्शन खोला गया
- 11 अक्टूबर, 2008: मजहोम अनंतनाग सेक्शन खोला गया
- 14 फरवरी, 2009: बारामूला मजहोम सेक्शन खोला गया
- 28 अक्टूबर 2009: अनंतनाग-काजीगुंड सेक्शन खोला गया
- 26 जून 2013: बनिहाल-काजीगुंड सेक्शन खोला गया
- 4 जुलाई 2014: उधमपुर-कटड़ा सेक्शन खोला गया
- 20 फरवरी 2024: बनिहाल खंड खोला गया
कश्मीर टू ट्रेन के बीच खास
- देश की सबसे बड़ी तीन रेलवे टनल इस ट्रैक पर हैं
- दुनिया का सबसे ऊंचा आर्च ब्रिज यही बना है
- देश का पहला केबल स्टे रेलवे ब्रिज इसी ट्रैक पर है
- 11 KM लंबी टी-50 टनल यही पर है
- 11 KM लंबी टी-44 सुरंग देश की तीसरी सबसे बड़ी रेल सुरंग है।
- 272 KM के रेल संपर्क में 36 मुख्य सुरंगे हैं
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