माता वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज में सीट आवंटन मामले पर बोले सीएम उमर, 'एडमिशन में मेरिट होनी चाहिए, धर्म नहीं'
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में एमबीबीएस प्रवेश को लेकर भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बिना मेरिट के एडमिशन संभव नहीं है, क्योंकि संविधान धर्म के आधार पर प्रवेश की अनुमति नहीं देता। उन्होंने विपक्ष के नेता को विधानसभा में पारित एक्ट को पढ़ने की सलाह दी, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सीटों का वितरण केवल मेरिट के आधार पर होगा।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मेरे ऑफिस में बिजली किरायों में बढ़ोतरी को लेकर कोई प्रपोजल पेश नहीं किया गया है।
डिजिटल डेस्क, जम्मू। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में पहले बैच के एमबीबीएस प्रवेश को लेकर उठाए गए सवालों को लेकर भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बिना मेरिट के प्रवेश देना संभव नहीं है और ऐसा कोई कदम उठाने से पहले सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी लेनी होगी।
अब्दुल्ला ने कहा कि हमारे संविधान में सेक्युलर शब्द लिखा है। अगर उन्हें (भाजपा) को यह शब्द पसंद नहीं, तो पहले इसे संविधान से हटवाएं। जम्मू के कन्वेंशन सेंटर में अनंतनाग, राजौरी और पुंछ में सात चूना-पत्थर ब्लॉकों की ई-नीलामी के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल एक्सीलेंस की प्रवेश सूची को लेकर बनाया जा रहा विवाद अनावश्यक है।
इस वर्ष संस्थान को एमबीबीएस की पचास सीटें मिलीं, जिनमें से 42 सीटें एक विशेष समुदाय के छात्रों को मेरिट के आधार पर मिलीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोगों को मेरिट-आधारित प्रवेश पसंद नहीं। अगर बिना मेरिट प्रवेश चाहिए, तो सुप्रीम कोर्ट से इजाजत लें। संविधान धर्म के आधार पर प्रवेश की अनुमति नहीं देता।
मेरिट पर एडमिशन की इजाज़त देता है एक्ट
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि एक्ट साफ तौर पर सिर्फ मेरिट के आधार पर एडमिशन की इजाज़त देता है। अब्दुल्ला ने कहा, "उस समय, यह कहा गया था कि एडमिशन मेरिट के आधार पर होगा, धर्म के आधार पर नहीं। अब, जब एडमिशन के फैसले मेरिट के आधार पर होंगे, तो कुछ लोग नाखुश हैं।"
उन्होंने कहा कि मेरिट को बायपास करने की किसी भी कोशिश के लिए सुप्रीम कोर्ट से मंज़ूरी लेनी होगी। उन्होंने कहा, “जहां तक मुझे पता है, बिना मेरिट के एडमिशन नहीं दिया जा सकता,” और कहा कि एडमिशन में धर्म को शामिल करना संवैधानिक नियमों का उल्लंघन होगा।
अब्दुल्ला ने चेतावनी दी कि एक बार जब धर्म इंस्टीट्यूशनल फैसलों में एक फैक्टर बन जाता है, तो यह गवर्नेंस के दूसरे एरिया पर असर डाल सकता है। उन्होंने पूछा, “अगर फैसले धर्म के आधार पर लिए जाते हैं, तो क्या सोशल वेलफेयर स्कीम को भी उसी प्रिंसिपल पर चलना चाहिए? क्या पुलिस अधिकारियों को धर्म के आधार पर अपनी ड्यूटी करनी चाहिए?”
असेंबली रिकॉर्ड और बिल का रिव्यू करें सुनील
अब्दुल्ला ने नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा को सलाह दी कि वे विधानसभा में पारित एक्ट पढ़ें, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सीटों का वितरण केवल मेरिट के आधार पर होगा, न कि धर्म के आधार पर। उन्होंने कहा कि जिन छात्रों ने मेरिट के आधार पर सीटें ली हैं, उनकी क्या गलती है, छात्रों को चाहिए कि वे कड़ी मेहनत कर प्रवेश परीक्षा पास करें।
उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि यदि मांग करने वाले लोग चाहते हैं कि संस्थान को माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय और अस्पताल से अलग माना जाए, तो उन्हें यह भी कहना चाहिए कि चूंकि अस्पताल मंदिर के दान से बना है, इसलिए मुसलमानों और गैर-हिंदुओं का इलाज भी रोक दिया जाए। उन्होंने इसे असंवैधानिक बताया।
उन्होंने कहा कि जब विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए जमीन दी गई थी तो उस समय तब यह स्पष्ट किया गया था कि सीटें धर्म के आधार पर नहीं बल्कि मेरिट पर होगी। जब श्री माता वैष्णो देवी विवि स्थापित करने के लिए बिल पारित किया गया तो उस समय तब यह गया था कि दाखिले धर्म के आधार पर नहीं बल्कि मेरिट पर होंगे।
बिजली किरायों में बढ़ोतरी का कोई प्रस्ताव नहीं
बिजली के टैरिफ में संभावित बढ़ोतरी के दावों पर, अब्दुल्ला ने कहा कि उनके ऑफिस में ऐसा कोई प्रपोजल पेश नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, “मैं पावर मिनिस्टर हूं। अब तक, मेरे सामने ऐसी कोई फाइल नहीं आई है।”
उन्होंने यह भी कहा कि माइनिंग ब्लॉक्स की चल रही ई-नीलामी को मिनिस्ट्री ऑफ माइंस सपोर्ट कर रही है ताकि ट्रांसपेरेंट अलॉटमेंट पक्का हो सके और इलाके में सीमेंट इंडस्ट्री के डेवलपमेंट को बढ़ावा मिल सके।

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