'अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से दिल की सेहत को खतरा', जम्मू के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. सुशील शर्मा की चेतावनी
जम्मू में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का सेवन लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। आजकल की भागदौड़ भरी जीवनशैली में लोग आसानी से उपलब्ध होने व ...और पढ़ें

कम और मध्यम आय वाले देशों में तेज़ी से पोषण में बदलाव हो रहा है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड आधुनिक कार्डियो मेटाबोलिक बीमारियों के सबसे प्रभावशाली लेकिन कम समझे जाने वाले कारणों में से एक के रूप में उभरे हैं। ये ऐसे इंडस्ट्रियल फ़ार्मूलेशन हैं जो ज़्यादातर खाने की चीज़ों से निकाले गए पदार्थों या लैब में बनाए गए पदार्थों से बनते हैं।
राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू में हृदय रोग विभाग के एचओडी डॉ. सुशील शर्मा ने लोगों से तेज गति से हो रहे आधुनिकीकरण और बदलती खाने की आदतों और दिल की सेहत पर इसके बुरे असर को लेकर जागरूक किया। उन्होंने कहा कि ये उत्पाद जैसे कि पैकेट वाले स्नैक्स, चीनी वाले ड्रिंक्स, इंस्टेंट नूडल्स, प्रोसेस्ड मीट, बेकरी आइटम और रेडी टू ईट खाना शरीर को पोषण देने के बजाय स्वाद, लंबी शेल्फ लाइफ और ज़बरदस्त मार्केट अपील के लिए बनाए जाते हैं।
पिछले कुछ दशकों में अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड की ओर ग्लोबल डाइट में बदलाव के साथ-साथ मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हृदय संबंधी बीमारियों में भी भारी बढ़ोतरी हुई है।यह महज एक इत्तेफाक नहीं है। यह बात उन्होंने श्री द्वारिका नाथ शास्त्री सर्विसेज ट्रस्ट के सहयोग से गांव सोहाजना जम्मू में श्री गौ गोपाल महा यज्ञ के दौरान एक दिन एक कैंप में कही कैंप का उद्घाटन गंगाधर जी महाराज ने किया।
अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड आमतौर पर एनर्जी से भरपूर होते हैं
डॉ. सुशील ने कहा कि कम प्रोसेस्ड या साबुत खाने के उलट, अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड आमतौर पर एनर्जी से भरपूर होते हैं। उनमें रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, एक्स्ट्रा चीनी, अनहेल्दी फैट और सोडियम ज़्यादा होता है जबकि डाइटरी फाइबर, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और बायोएक्टिव कंपाउंड्स की कमी होती है।
यह खराब न्यूट्रिएंट प्रोफाइल तेज़ी से ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव, इंसुलिन रेजिस्टेंस और पाजिटिव एनर्जी बैलेंस को बढ़ावा देता है। बार-बार इनका सेवन करने से पेट भरने का सिग्नल ठीक से नहीं मिल पाता जिसका एक कारण कम फाइबर और ज़्यादा ग्लाइसेमिक लोड है जिससे ज़्यादा खाने और वज़न बढ़ने की आदत पड़ती है।
उन्होंने कहा कि नए सबूत बताते हैं कि अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स का नुकसान सिर्फ़ उनके न्यूट्रिएंट कम्पोज़िशन तक ही सीमित नहीं है। उनका बदला हुआ फूड मैट्रिक्स, तेज़ी से पचने की क्षमता और बहुत ज़्यादा स्वादिष्ट नेचर न्यूरो हार्मोनल भूख रेगुलेशन में दखल देते हैं।
पारंपरिक खाने की आदतें कमज़ोर हो गई
सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय कारण अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स को रोज़मर्रा की ज़िंदगी में और भी मज़बूती से जमा देते हैं। इनकी कम कीमत, सुविधा, ज़ोरदार मार्केटिंग और हर जगह आसानी से मिलने की वजह से ये शहरी इलाकों और व्यस्त लोगों के बीच ज़्यादा हावी हो गए हैं।
इसने खाने के तरीकों को पारंपरिक घर के बने खाने से बदलकर पैकेट वाले, तुरंत खाने वाले प्रोडक्ट्स में बदल दिया है जिससे पारंपरिक खाने की आदतें कमज़ोर हो गई हैं जो कभी मेटाबालिक सुरक्षा देती थीं। नतीजतन डाइट से जुड़ी गैर संक्रामक बीमारियों का बोझ हेल्थकेयर सिस्टम पर लगातार बढ़ रहा है खासकर कम और मध्यम आय वाले देशों में जहां तेज़ी से पोषण में बदलाव हो रहा है।
उन्होंने पारंपरिक, पोषक तत्वों से भरपूर खाने के तरीकों को फिर से अपनाना सिर्फ़ एक लाइफस्टाइल सलाह नहीं है बल्कि यह कार्डियोमेटाबोलिक हेल्थ की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण निवारक रणनीति है।
डॉ. सुशील और उनकी टीम की सराहना
मैनेजमेंट कमेटी और ट्रस्ट के चेयरमैन श्री गंगाधर जी महाराज ने समुदाय के कल्याण के लिए श्री गौ गोपाल महायज्ञ के दौरान कार्डियक जागरूकता सह स्वास्थ्य जांच शिविर आयोजित करने के लिए डॉ. सुशील और उनकी टीम की भी प्रशंसा की।
कैंप में डा. धनेश्वर कपूर, डा. वेंकटेश येल्लुपु और डा. आदित्य शर्मा शामिल थे। पैरामेडिक्स और स्वयंसेवकों में राजकुमार, रंजीत सिंह, गुरप्रीत सिंह, मुकेश कुमार, राहुल वैद्य, रोहित नैयर, मनिंदर सिंह, अनमोल सिंह, गौरव शर्मा, विकास कुमार, वरुण शर्मा, निरवैर सिंह बाली और ट्रस्ट के कई स्वयंसेवक शामिल थे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।