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    Jammu kashmir : जम्मू कश्मीर में भी यूएलपीआइएन और स्वामित्व योजना लागू, ग्रामीण परिवेश में आएगा बदलाव

    शनिवार को श्रीनगर सचिवालय में इन दोनों परियोजनाओं का शुभारंभ करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि प्रौद्योगिकी पर आधारित यह दोनों योजनाएं ग्रामीण परिवेश में एक बड़े बदलाव का कारण बनेंगी। इनके जरिए जमीन के मालिक तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा।

    By Lokesh Chandra MishraEdited By: Updated: Sun, 03 Oct 2021 08:50 AM (IST)
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    पंचायत राज मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

    श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री गिरिराज सिंह और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को जम्मू कश्मीर में विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (यूएलपीआइएन) और स्वामित्व योजना का ई-उद्घ्राटन किया। शनिवार को श्रीनगर सचिवालय में इन दोनों परियोजनाओं का शुभारंभ करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि प्रौद्योगिकी पर आधारित यह दोनों योजनाएं ग्रामीण परिवेश में एक बड़े बदलाव का कारण बनेंगी। इनके जरिए जमीन के मालिक तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा। इससे न सिर्फ भ्रष्टाचार को समाप्त करने में मदद मिलेगी बल्कि यह लोगों को एक पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन प्रदान करने में भी सहायक साबित होंगी।

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    केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि इन दोनों योजनाओ को जम्मू कश्मीर मे लागू किया जाना, आम लोगों के लिए सुशासन और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के साथ उसके सरलीकरण की केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता भी साबित होती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस अवसर पर प्रदेश सरकार विशेषकर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की सराहना करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में जिस तरह से पंचायत राज संस्थानों को पूरी तरह से प्रभावकारी, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम किया गया है, वह प्रशंसनीय है।

    उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में संविधान का 73वां और 74वां संशोधन पूरी तरह लागू हो चुका है। इसका असर अब नजर आता है। यूएलपीआइएन को एक तरह से किसी जगह विशेष पर जमीन के टुकड़े का आधार नंबर ही होता है। यह किसी जगह विशेष का 14 अंकों की संख्या का कोड होता है। इस नंबर का इस नंबर का उपयोग हर सर्वेक्षण किए गए भूमि के पार्सल की पहचान करने के लिए किया जाएगा। पहचान संख्या को भूमि पार्सल के अक्षांश और देशांतर निर्देशांक के आधार पर लांच किया जाएगा। भारत राष्ट्रीय जेनेरिक दस्तावेज़ पंजीकरण प्रणाली इसे लागू कर रहा है । यूएलपीआईन से किसानों व जमीन मालिकों को सरकार द्वारा प्रदान किए जाने वाले नकद प्रोत्साहण, या संबधित जमीन मालिक को बैंक से कर्ज राशि, किसी आपरदा का मुआवजा प्राप्त करने में आसानी होगी। यह राशि सीधे उनके खातों में जाएगी।

    2020 में शुरू हुई थी स्वामित्व योजना : स्वामित्व योजना राष्ट्रीय पंचायती दिवस 24 अप्रैल, 2020 को शुरू की गई थी। पंचायती राज मंत्रालय ही इस योजना को लागू कराने वाला नोडल मंत्रालय है। ड्रोन के जरिये जमीन के सर्वे के लिए सर्वे ऑफ इंडिया नोडल एजेंसी है। योजना का मकसद ग्रामीण इलाकों की जमीन का सीमाकरण ड्रोन सर्वे टेक्नोलॉजी के जरिये करना है। इससे ग्रामीण इलाकों मे मौजूद घरों के मालिकों के मालिकाना हक का एक रिकॉर्ड बनेगा। वह इसका प्रयोग बैंकों से कर्ज लेने के अलावा अन्य कामों में भी कर सकते हैं।